केही कुरा

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Friday, October 1, 2010

आंटी की प्यास

मैं आमिर अलाहाबाद से हूँ, उम्र चौबीस साल है, मेरा लंड सात इन्च लम्बा है तीन इन्च मोटा है।

यह जो कहानी लिखने जा रहा हूँ वो कल की ही बात है। मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती है उसकी कहानी है। मुझे यह आंटी बहुत अच्छी लगती थी। क्या माल था। उसकी फ़ीगर 38-30-38 है। बड़े-2 चूतड़ और इतनी सेक्सी गाँड थी कि मेरा लंड उसको देख कर तन जाता था। गाँड का पूछो मत, मोटी मोटी गाँड ! जब जब वो चलती थी तो गाँड हिलती रहती। जब जब मैंने आंटी की गाँड देखा करता था मेरा लंड जोश में आ जता। आंटी बहुत ही सेक्सी थी। बेचारी आंटी अंकल के काम की वजह से एंजोय भी नहीं करती थी। उसके पति आर्मी ओफ़िसर थे, अक्सर बाहर ही रहते थे।

एक दिन मैं उनके घर गया, सोनिया आंटी अकेली थी। मैंने आंटी से पूछा कि सब लोग कहाँ है?

आंटी ने जवाब दिया कि अंकल का तो तुमको पता ही है और सभी बच्चे मामा के घर गये हैं। आज रात को नहीं आयेंगे।

फिर मैंने आंटी को कहा- ओके आंटी, मैं चलता हूँ।

आंटी ने मुझे रोक लिया और कहा- अभी रुक जाओ, मुझे नहाना है, तब तक तुम मेरे घर का ख्याल रखना। मैं अभी नहा कर आती हूँ।

आंटी नाइटी में थी, पिंक नाइटी में उनके वक्ष बड़े सेक्सी लग रहे थे, बोली- तू मेरा पीसी भी ठीक करके जाना ! खराब है !

मुझे नहीं पता था कि आंटी भी पीसी चलाना जानती हैं। मैं रुक गया आंटी नहाने चली गई।

मैं इनके बेडरूम में आंटी का इन्तज़ार कर रहा था कि अचानक मेरी नज़र बेड पर पड़ी, बेड पर तौलिया, पैंटी और ब्रा पड़ा था। ब्रा और पैंटी बहुत बड़ी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद आंटी ने आवाज़ दी और कहा- तौलिया दे दो मुझे।

मैंने आंटी को तौलिया दिया फिर आंटी ने कहा- प्लीज़ मेरी पैंटी और ब्रा भी दे दो।

मैंने आंटी को पैंटी और ब्रा भी दे दी। अब आंटी नहा कर निकली। आंटी ने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था। आंटी की काली ब्रा नज़र आ रही थी।

अब मैंने आंटी को कहा- आंटी अब मैं चलता हूँ।

आंटी ने कहा- तुम्हें कुछ काम से जाना है क्या?

मैंने जवाब दिया- नहीं !

फिर आंटी ने मुझे कहा- रुक जाओ ! मैं अकेली बोर हो जाऊंगी। कुछ बातें वगैरह करते हैं।

मैं बैठ गया और आंटी अपनी लाइफ़ के बारे में बता रही थी। अब आंटी कुछ खुल कर बातें करने लगी। मेरे से पूछने लगी- तुम्हारी गर्लफ़्रेंड्स हैं या नहीं, कभी सेक्स किया है या नहीं।

मैं ऐसी बात सुन कर हैरान हो गया।

अब मैं भी खुल गया था। मैंने आंटी से पूछा- आंटी, आप को सेक्स पसंद है?

आंटी ने जवाब दिया- सेक्स हर किसी को पसंद होता है पागल।

क्या तुम्हें पसंद नहीं है आंटी ने कहा?

मैंने जवाब दिया- कभी किया ही नहीं है।

आंटी ने कहा- झूठ मत बोलो, मुझे मालूम है, तुम बहुत बुरे हो ! तुमने अपनी काम वाली को चोदा है और नेहा को भी, मुझे सब पता है और तुमने उन पर कहानी भी लिखी, मैंने भी तुम्हारी कहानी कल रात को पढ़ी थी और मेरी चूत गीली हो गई थी, जी करता था कि तुमको रात को ही अपने घर बुलाकर अपनी प्यास बुझा लूँ, लेकिन बच्चे घर पर थे। झूठ बोलता है, तूने अपना मोबाइल नम्बर भी दे रखा है, लेकिन मैंने सोचा जब घर आओगे तब ही बात करूंगी तुमसे। तेरी माँ को बोलना पड़ेगा कि तेरा विवाह कर दे।

मैं अचानक डर गया।

आंटी ने कहा- डरो मत, मैं कुछ नहीं कहूँगी ! मैंने तो तुमको नंगा भी देखा है।

मैंने आंटी से पूछा- कब देखा आप ने मुझे नंगा?

आंटी ने जवाब दिया- जब तुम मेरे घर के बाथरूम में पेशाब कर रहे थे। मैंने कुछ नहीं कहा। मेरी भी चूत प्यासी है क्या अपनी आंटी की प्यास नहीं बुझाओगे? कहानी में तो लिख रखा है गुलाम हाज़िर है, अब चुप क्यों बैठे हो? बोलो, अब तुम्हारा लंड प्यास बुझायेगा मेरी चूत की प्यास को?

मैं सोनिया आंटी की बातों से मन ही मन खुश हो रहा था, सोचा नहीं था कभी कि आंटी खुद तैयार हो जायेगी। मैं उनसे डरता भी था क्योंकि वो बहुत गुस्सेवाली है।

आंटी ने अब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा तो मुझे तब बहुत अच्छा लगा। मेरी आंटी बहुत प्यासी थी वो बिल्कुल गोरी थी। उनकी उमर 38 की थी लेकिन अभी भी बिल्कुल जवान लगती थी। ज़िंदगी में आज पहली बार 38 साल की औरत के साथ सेक्स करने जा रहा था।

अब आंटी ने मुझसे कहा- अपनी पैंट उतारो ! मैं भी देखूँ तुम्हारा प्यारा सा लंड।

मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैंने उस दन अंडरवियर नहीं पहना हुआ था। मैं अब नीचे से नंगा था।

आंटी मेरे पास आई और मेरी शर्ट भी उतार दी और मुझे पूरा नंगा कर दिया। आंटी को मेरा लंड बहुत अच्छा लगा। आंटी ने मेरा हाथ अपने वक्ष पर रखा और कहा दबाते रहो प्लीज़।

मैंने खूब दबाये आंटी के स्तन। आंटी को मज़ा आ रहा था। फिर आंटी ने अपनी कमीज़ उतारी फिर सलवार उतारी। फिर मेरे लंड को चूसने लगी। फिर मैं आंटी की ब्रा खोलने की कोशिश कर रहा था तो आंटी मुस्करा कर बोली- बेटा, मैं खोल देती हूँ।

फिर आंटी ने ब्रा खोल दी और पैंटी भी उतार दी। अब आंटी का गोरा गोरा जिस्म मेरे सामने पूरा नंगा था।

आंटी ने अपने बड़े बड़े स्तन मेरे लंड पर रख दिये और अपने वक्ष से मुझे चुदाई का मज़ा दे रही थी। कुछ देर बाद मैं आंटी की चूत को चाटने लगा। आंटी की सेक्सी सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी आआआआह्हहह्हह्ह ऊऊऊह्ह्हह बेटा आआआह्हह्हह्हह्हह ज़ोर से बेटा आआआह्हह्हह्हह्ह तेरी आंटी प्यासी है मेरी प्यास बुझा दे बेटा। आआआअह्हह्हह्ह।

आंटी ने कहा- अब अपना लंड मेरी चूत में डालो ! प्यासी है मेरी चूत, प्यास बुझाओ जल्दी।

मैंने आंटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से अपने कंधों पर रखा और चूत पर लंड रखा। आंटी की चूत टाइट हो रही थी। मैंने हल्का सा धक्का दिया तो आंटी की चीख निकल गई और आंटी ने कहा- आराम से डालो ! क्या जल्दी है तुमको?

मैंने कहा- आंटी, अब आराम से डालूँगा।

फिर मैंने हल्के हल्के झटके लगाने शुरु कर दिये। मेरे धक्कों से आंटी को मज़ा आ रहा था। आंटी की आवाज़ें निकल रही थी- ऊओह्हह्ह्ह ऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ हाआआ। और डालो और डाल आज मेरी चूत को मज़ा दे दो प्लीज़। तेज़ करो।

मैंने तेज़ कर दिया।

आंटी ने मुझे बेड पे मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत रख दी और ज़ोर-2 से हिलने लगी और चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह्हह बेटा बेटा आआआआह्हह्हह्हह्हह्ह मज़ा आ गया तुम्हारा लंड अब मेरी प्यास बुझा देगा !

और ज़ोर-2 से ऊपर नीचे होने लगी, ऐसे में मेरे लंड को भी दर्द हो रहा था। आंटी और मैं दोनों पागल हो गये और मैंने आंटी को उठा लिया और नीचे लिटा कर उनकी टांगें खोल दी और फिर से चुदाई शुरु कर दी, आंटी झड़ने वाली थी। हमको 15-20 मिनट हो गये थे और मेरा भी पानी निकलने वाला था।

आंटी ने कहा- अंदर नहीं निकालना।

मैंने कहा- ठीक है आंटी।

अब मैंने अपना लंड निकाल लिया और आंटी के स्तनों पर पानी निकाल दिया। फिर आंटी ने मेरा लंड चूसा और पानी पी गई। 15 मिनट तक हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे।

फिर मैंने आंटी से कहा- आंटी। मुझे आप की गाँड मारनी है।

आंटी ने जवाब दिया- आज से सब कुछ तुम्हारा है बेटा ! यह गाँड भी तुम्हारी है ! जब बोलोगे, दे दूंगी।

मैंने कहा- अभी मिल सकती है?

आंटी ने कहा- अभी क्यों नहीं।

आंटी ने फिर मेरे लंड को चूसना शुरु किया, 5 मिनट के बाद मैं आंटी की मोटी मोटी गाँड पर अपनी ज़बान फेरने लगा।

आंटी ने कहा- यह क्या कर रहे हो? आज तक किसी ने मेरी गाँड पर ज़बान नहीं फेरी !

मैंने जवाब दिया- आंटी एक ब्लू मूवी में मैंने देखा था।

आंटी ने कहा- तुमको तो बहुत कुछ पता है सेक्स के बारे में। अब आंटी कुतिया स्टाइल में थी और मेरा लंड बेचैन था मोटी गोरी गोरी मोटी मोटी गाँड में जाने के लिये।

आंटी ने कहा- आराम आराम से डालना ! यह चूत नहीं है गाँड है। बहुत दर्द होता है।

मैंने कहा- आंटी, आप फ़िक्र नहीं करें, मैं आराम से करूंगा।

मैंने अब आंटी की गाँड में हल्का सा झटका दिया, आंटी को दर्द हुआ, चीख निकल गई- आआआह्हह्ह हरामी बाहर निकाल ! फट जायेगी ! रहम कर आआआह्हह नो बेटा प्लीज़्ज़ अह्हह्ह ऊऊऊईईए माआ मम्मी आअह्हह्ह बाहर निकाल।

फिर मैंने अपनी स्पीड हल्की कर दी। अब हल्के हल्के मेरा पूरा लंड आंटी की गाँड में जा चुका था और आंटी को भी मज़ा आ रहा था। आंटी को भी बहुत मज़ा आया गाँड में लंड ले कर। मैंने आंटी को कहा- आंटी, पानी निकलने वाला है !

आंटी ने कहा- निकाल लो।

फिर आंटी ने सारा पानी फिर से पिया और लंड को चूसने लगी।

अब जब भी मौका मिलता है मैं आंटी की प्यास बुझाता हूँ।

इसे कहानी मत समझना ! यह हकीकत है !

aamir20a@yahoo.com

उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर

मेरा आप सभी को लण्ड हाथ में लेकर प्यार भरा नमस्कार।

मैं अर्न्तवासना का नियमित पाठक हूँ तथा बहुत दिनों से आपसे अपने जीवन की सच्ची कहानी कहना चाह रहा था लेकिन इससे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। खासकर उन सभी लड़कियों को जो अपनी चूत का अच्छे से भोसड़ा बनवाना चाहती हैं क्योंकि मेरा निजी अनुभव है कि जो लड़कियाँ स्वभाव से शान्त होती है उनमें ही कामवासना ज्यादा होती है और चूत मरवाने की इच्छा प्रबल होती है।

हाँ तो मैं अपनी बात कर रहा था कि मैं 22 साल का एक सांवले रंग का लेकिन र्स्माट दिखने वाला लड़का हूँ। मैं मूल रूप से कानपुर का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल नोएडा में अकेला रह रहा हूँ। लड़कियाँ कहती हैं कि मुझमें कुछ बात है जो उन्हें मेरी तरफ आकर्षित करती है। मेरे लण्ड की लम्बाई सात इंच तथा मोटाई तीन इंच है। मेरा शरीर गठीला है क्योंकि कॉलेज के शुरूआती दिनों से ही मुझे कसरत का शौक रहा है।

बात तब की है जब मैं पढ़ रहा था और मेरी बहन भी कॉलेज़ में थी। मेरी बहन मुझसे दो साल बड़ी है।

क्योंकि मैं स्वभाव से थोड़ा शर्मीला हूँ इसलिए उसकी कोई भी सहेली घर पर आती थी तो मैं किसी न किसी बहाने से बाहर चला जाता था। कई बार उसकी सहेलियों में से कई ने मुझसे बात करने की कोशिश भी की लेकिन मैं शर्म तथा बडी बहन की सहेली होने के कारण कुछ नहीं कह पाता था।

लेकिन कुछ दिनों बाद ही हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया। उनकी दो लड़कियाँ तथा एक लड़का था। चूंकि बड़ी लड़की मेरी दीदी की हम उम्र थी इसलिये उनकी अच्छी सहेली बन गई थी। बडी लड़की के साथ उसकी छोटी बहन भी घर पर आने लगी। उसका नाम सपना था और वो देखने में किसी सपने जैसी ही हसीन और सुन्दर थी।

वो और मैं दोनों ही उम्र के उस पड़ाव पर थे जब किसी के साथ की इच्छा होती है। लेकिन मैं जितना शर्मीला था वो उतनी ही बिन्दास स्वभाव की लड़की थी और मुझ पर अपना हक जमाने की कोशिश करती थी तथा किसी न किसी बहाने से मेरे आस-पास ही मंडराती रहती थी। उसकी इस तरह की हरकतें देखकर कर कई बार मेरी दीदी ने मना भी किया कि मेरे साथ इस तरह की हरकतें न किया करे लेकिन जानबूझ कर वह और भी ज्यादा हरकतें करने लगी और कभी भी मौका पाकर दीदी के सामने ही मजाक में मुझसे चिपट जाती हो और मेरे शरीर पर हाथ फेरने लगती।

मेरे मम्मी और पापा दोनी ही नौकरी करते हैं इसलिये मेरे घर पर दिन में चार घंटे कोई नहीं रहता था। मैं और मेरी दीदी एक ही स्कूल में पढ़ते थे लेकिन वो मोर्निंग शिफ्ट में स्कूल जाती थी और मैं बारह बजे दूसरी शिफ्ट में जाता था। जिस कारण सुबह नौ बजे से एक बजे तक कोई नहीं रहता था।

एक दिन की बात है मैं अपने घर में अकेला बिस्तर पर लेटा हुआ बोर हो रहा था कि तभी हमारे घर का दरवाजा खुला देखकर उनकी छोटी लड़की सपना घर पर आई और पूछने लगी- क्या कर रहे हो ?

मैंने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही मन नहीं लग रहा है इसलिये बोर हो रहा हूँ।

उसने कहा- मेरा भी यही हाल है !

यह कहकर वो भी मेरे बगल में आकर लेट गई। इससे मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगा। लेकिन शायद वो अब तक मेरे शर्मीलेपन के बारे में समझ चुकी थी इसलिये अपनी ओर से पहल करना चाह रही थी।

यह बात उसने मुझे बाद में बताई कि जब से वो यहाँ रहने आई है तब से ही वो मुझसे चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं शर्मीला होने के कारण उसकी बातों को उसकी नासमझी समझ कर ऐसे ही जाने दे रहा था।

धीरे-धीरे उसका जिस्म मुझसे छूने लगा जिससे मेरे जिस्म में सरसराहट होने लगी लेकिन शायद मैंने सोचा कि शायद पास लेटने की वजह से अनजाने में ऐसा हो गया है, यह सोचकर मैं थोड़ा पीछे खिसक गया। इसके बाद वो मेरी जाघों पर हाथ फेरने लगी।

मैंने नासमझ की तरह उससे पूछा- यह क्या कर रही हो?

तो वह कहने लगी- अरे मुझे पता ही नहीं चला यह तुम्हारी जांघें हैं।

मैंने कहा- कोई बात नहीं !

और यह कहकर मैं भी उसके हाथों पर हाथ फिराने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने भी हाथ उसकी बगल तक ले जाकर फिराने शुरू कर दिये। लेकिन उसकी चूचियों को पकड़ने की इच्छा होने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को हाथ नहीं लगाया। लेकिन उसने थोड़ा सा तिरछा होकर अपने हाथ अपने सीने की तरफ कर लिये जिससे मेरे हाथ उसकी चूचियों को थोड़ा-थोड़ा सा छूने लगें। उसकी चूचियाँ अभी ही निकलनी शुरू हुई थी इसलिये एक दम कड़क थी और उसकी बटन वाली टीशर्ट उठी हुई होने के कारण दिखाई दे रही थी।

धीरे-धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने उसकी चूचियों पर थोड़ा सा दबाब बनाना शुरू कर दिया। वो शायद समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को दबाना चाह रहा हूँ और वो तो कब से यही चाहती थी। लेकिन लड़की होने के कारण स्वयं नहीं कह पा रही थी।

लेकिन हाय री मेरी फूटी किस्मत ! तभी उसकी मम्मी ने उसे आवाज लगाई और वह जल्दी से उठकर चली गई।

लेकिन मैंने सोचा- जब यहाँ तक बात पहुँच गई है तो कभी न कभी आगे भी बढ़ेगी।

लेकिन शायद मेरी किस्मत में महा-चुदक्कड़ बनना ही लिखा था इसलिये मेरी किस्मत ने मुझे जल्दी ही वह मौका दे दिया।

मेरे मम्मी और डैडी को ऑफिस के एक जरूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा और घर पर सिर्फ मेरी बहन और मैं ही रह गये। क्योंकि हम दोनों ही भाई-बहन कम उम्र के थे इसलिये मम्मी-डैडी कह गये कि अपनी किसी सहेली को रात को सोने के लिये बुला लें। इसलिये वो सपना की बड़ी बहन को सोने के लिये बुलाने के लिये गई लेकिन उसने अगले दिन अपनी परीक्षा होने के कारण "रात को पढ़ना है" यह कहकर आने से मना कर दिया और सपना को दीदी के साथ भेज दिया।

जब सपना दीदी के साथ आई तो मैंने देखा कि वो मुझे अजीब सी नजरों से मुझे देख रही थी और उसकी आँखों में एक खास चमक थी जैसे कोई शेरनी बकरी के बच्चे को देख कर खुश हो जाती है। वैसे यह काफी हद तक सच भी था क्योंकि वो इस फील्ड की शेरनी ही थी और मैं एक बकरी के बच्चे की तरह सीधा-सादा सा लड़का था। लेकिन तब तक मैं इस बात को नहीं जानता था कि वो इन मामलों में इतनी एक्सपर्ट है कि किसी लड़के को कैसे पटाया जाए।

क्योंकि उस दिन घर पर मम्मी डैडी नहीं थे इसलिये मैं दिन भर बाहर खेलता रहा और थकान हो जाने के कारण खाना खाकर जल्दी सोना चाह रहा था। लेकिन जैसे सपना की आँखों में तो नींद ही नहीं थी। वो तो आज रात में मुझसे जरूर ही चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं भोला-भाला बालक इस सब से अनजान सोने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे खिलाफ इतनी भयानक साजिश रची जा चुकी थी।

उधर थकान की वजह से मुझे नींद आ रही थी और सपना और दीदी बातें करने में लगी हुई थी जिस वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी। हम सभी तीनों लोग बैडरूम में एक साथ सो रहे थे। क्योंकि दीदी ने कहा कि घर में सिर्फ हम ही लोग हैं इसलिये एक साथ ही सो जाते हैं लेकिन साथ सोने का यह आइडिया भी सपना का ही था। सपना दीदी और मेरे बीच में लेट गई और दीदी के साथ बातें करती रही। लेकिन मुझे थकान की वजह से जल्दी ही गहरी नींद आ गई और मैं सो गया।

अचानक रात में मुझे अपने जिस्म पर किसी के हाथ का अहसास हुआ लेकिन शायद बिजली चली गई थी जिससे मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि वो हाथ किसका है। तभी मेरे बगल वाला जिस्म मुझसे और सट गया मैं समझ गया कि यह सपना ही है जो मुझे गर्म करने की कोशिश कर रही है। धीरे-धीरे उसने अपना हाथ मेरे चेहरे के पास लाकर मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया और मेरे गालों पर किस करने लगी।

कुछ देर बाद मुझे भी जोश आने लगा। लेकिन मैंने अभी जल्दीबाजी करना ठीक नहीं समझा। सच कहूँ तो मैं देखना चाहता था कि वह क्या करती है। मैंने अभी तक उसे यह अहसास नहीं होने दिया कि मैं नींद से जाग गया हूँ और बिजली जाने की वजह से यह काम और भी आसान हो गया था। वो भी नहीं चाहती थी कि मैं एक दम से जाग जाऊँ क्योंकि बगल में दीदी सो रही थी और हड़बड़ी में वो भी जाग सकती थी। इसलिये वह एक दम आराम से सबकुछ कर रही थी।

अचानक मुझे एक आइडिया आया और मैं करवट लेकर उसकी तरफ पलट गया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने सोचा शायद मैंने यह नींद में किया है इसलिये उसने मेरे हाथ को अपनी एक चूची पर कस कर दबा लिया। इससे ज्यादा मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उसकी चूची कस कर पकड़ ली और धीर से कहा- यह तुम क्या कर रही हो सपना ?

मेरी इस बात से वो एकदम चौंक गई। उसे अदांजा नहीं था कि मैं जाग रहा हूँ और ये सब मेरी ही मर्जी से हो रहा था।

उसने कहा- जब तुम सब कुछ समझ ही गये हो तो अनजान क्यों बने हुए हो। यह कहकर वो मेरे ऊपर लेट गय और अपने गर्म और नर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैंने भी धीरे-धीरे उसके होंठ चूसने शुरू कर दियें। क्योंकि यह मेरा होंठ चुसाई का पहला मौका था इसलिये मुझे शुरूआत में उसके होंठ चूसने में थोड़ी सी परेशानी हुई लेकिन फिर मैंने सब कुछ सम्भाल लिया। फिर मैंने उससे कहा कि यहाँ खतरा है क्योंकि थोड़ी सी हरकत से दीदी की नींद खुल सकती है। इसलिये दूसरे कमरे में चलते है।

मैंने उसे अपने ऊपर से उठाया और बगल वाले दीदी के कमरे में ले गया। क्योंकि चांदनी रात थी इसलिये उस कमरे में थोड़ी-थोड़ी रोशनी फैली हुई थी। मैंने उसे बैड पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। होंठ चूसने के साथ-साथ मैं उसके नाईट सूट के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी चूचियाँ नींबू के समान छोटी-छोटी थी लेकिन बहुत ही ज्यादा कड़क थी। फिर मैंने उसे उठाया और उसका नाईट सूट उतार दिया। अब वो सिर्फ पेन्टी में ही रह गई क्योंकि वो उसकी चूचियाँ निकलने का शुरूआती दौर था और उस समय वो ब्रा नहीं पहनती थी।

मैंने उसे लिटाया और उसकी टाईट और छोटी-छोटी चूचियों को मसलने लगा। वो एकदम कराह कर बोली- प्लीज विनय, धीरे-धीरे दबाओ ! बहुत दर्द होता है ! अभी बहुत टाईट हैं।

हालांकि उसकी तकलीफ मुझसे भी देखी नहीं जा रही थी लेकिन मैं क्या करूं, मुझे उसकी टाईट चूचियों को जोर से दबाने में ही मजा आ रहा था।

धीरे-धीरे वो पूरी तरह गर्म हो गई और मुझसे कहने लगी कि विनय अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो। तुमने तो मेरे पूरे शरीर के दर्शन कर लिये अब मैं भी तुम्हारा हथियार देखना चाहती हूँ। मैंने तुरन्त अपना नाईट सूट उतार दिया और उस चांदनी की हल्की रोशनी में वो मेरे हथियार को हाथ में लेकर घूरते हुये सहलाने लगी।

मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो।

पहले तो उसने आना-कानी की लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो तैयार हो गई। उसने मेरे लण्ड को चूस-चूस कर गीला कर दिया।

फिर मैंने उससे कहा- अब मेरी बारी है ! तुम सीधी होकर लेट जाओ और अपनी टांगों को फैला लो।

और उसके बाद मैंने उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर अपने होंठ टिका दिये। उसकी चूत बहुत छोटी सी सीप के आकार की बड़ी प्यारी लग रही थी। उसकी चूत चाटने में मुझे एक अलग ही मजा आया। धीरे-धीरे उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।

अचानक उसने मेरे बालो को पकड़ा और जोर से अपने ऊपर खींचा और कहा- क्या ऐसे ही जान ले लोगे? चलो अब असली काम करो।

मैं समझ गया कि वो मुझे अपने आपको चोदने के लिये कह रही है। मैंने देखा कि मेरा लण्ड अब अपनी पूरी मस्ती में था और किसी भी लड़की को चोदने के लिये एकदम तैयार था। मैंने उसकी टांगों को फैला कर लण्ड के टोपे को उसकी भीगी हुई चूत पर टिकाया लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी लण्ड का टोपा भी उसके अन्दर नहीं घुसा पाया। कारण कि हम दोनों ही इस काम के लिये नये थे। उसे तो कुछ जानकारी भी थी, मैं तो बिल्कुल ही नया माल था इसलिये अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसा नहीं पा रहा था।

दोस्तो आपको बता दूँ यदि आप नौसिखिये है और पहली बार किसी बिना सील टूटी लड़की के साथ चुदाई करने की सोच रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाये वरना आप भी मेरी तरह ही परेशान होगें। तभी मुझे अपने दोस्त की सुहागरात की बात याद आई जब उसे भी यही परेशानी हुई। लेकिन उसे उसकी भाभी ने बता दिया था कि यदि लण्ड चूत में न घुसे तो उसे या तो घोड़ी बना कर उसकी चूत में घुसाये या फिर एक टांग उठाकर लण्ड अन्दर घुसाने की कोशिश करें, तो ही काम बन सकता है।

मैंने भी वही फार्मूला अपनाने का फैसला किया। लेकिन सबसे पहले एक जरूरी काम करना बाकी था। मैं फ़ौरन उठकर ड्रेसिंग टेबल से उठाकर कोल्ड क्रीम की डिब्बी ले आया और उसके हाथ में देते हुए बोला- अगर चुदवाना है तो इससे मेरे लण्ड पर अच्छी तरह लगाना होगा।

उसने एक चौथाई क्रीम डिब्बे में से निकाली और मेरे लण्ड पर लगानी शुरू कर दी। उसके बाद मैंने भी काफी सारी क्रीम लेकर उसकी चूत पर अन्दर और बाहर की ओर लगाने लगा। लेकिन उसकी चूत टाईट होने के कारण उंगली ज्यादा अन्दर नहीं जा रही था फिर भी जहाँ तक हो सका, मैं क्रीम लगाता रहा।

उसके बाद मैंने उसकी एक टांग उठाकर अपने कन्धे पर रखी तो उसने पूछा- क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं ! तेरी माँ चोदने की तैयारी कर रहा हूँ ! आधी रात निकाल दी और कुछ भी नहीं हुआ।

मेरी इस तरह की बात सुनकर पहले तो वो चौंक गई लेकिन फिर समझ गई कि अब लण्ड के साथ-साथ मुझमें भी गर्मी आ गई है। मैंने उसकी टांग को अपने कन्धे पर टिकाया और उंगली से उसके चूत के छेद को टटोलकर उस पर अपने लण्ट का टोपा सेट कर दिया ताकि एक ही झटके में अन्दर घुस जाए।

जैसे ही मैंने लण्ड को झटका दिया। लण्ड पर बहुत सारी क्रीम लगी होने के कारण वो एक दम से दो-इंच उसकी चूत में घुस गया। उसके मुँह से एक दम एक जोर की चीख निकली- आई मम्मी ! मर गईऽऽऽ !

मैंने एकदम घबराकर उसका मुँह अपने एक हाथ से बन्द किया और दूसरा धक्का नहीं लगाया। उसके इस तरह चीखने से मैं डर गया था कि कहीं दीदी न जग गई हो और अगर इस हालत में मैं एक झटका और मार देता और अगर वो फिर से चिल्ला देती तो सारा गुड़-गोबर हो जाता।

मैंने मुँह दबाये हुये ही कहा- मरवाओगी क्या? जबसे तो चुदने के लिये तड़प रही थी और अब चिल्ला-चिल्ला कर पूरे मुहल्ले को इकट्ठा कर रही है।

उसने मुझे मुँह से हाथ हटाने का इशारा किया। पूरी तरह आश्वस्त होने पर मैंने उसके मुँह पर से हाथ हटा दिया। मेरे हाथ हटाने के बाद उसने कहा- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा। मेरी सहेलियों ने तो कहा था कि थोड़ा सा ही दर्द होगा और बहुत मजा आयेगा। लेकिन अभी तो मेरी जान ही निकली जा रही है। और चूत में तो ऐसा लग रहा है कि जैस किसी धारदार चीज से चीर दी गई हो।

मैंने उसकी चूचियाँ एक हाथ से दबानी और और एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी। जिससे उसे थोड़ा सा आराम मिला और कुछ दर्द का एहसास कम हो गया।

दर्द का एहसास कम हो जाने पर मैंने उससे पूछा- अब बाकी लण्ड भी अन्दर घुसा दूँ?

तो उसने कहा- हाँ, पर ध्यान से और धीरे-धीरे। पिछली बार के झटके का दर्द अभी तक मेरे जेहन में है।

मैं समझ गया कि अब मामला जल्दी से निपटाना पड़ेगा वरना कोई भी गड़बड़ हो सकती है।

लेकिन अब तक एक तरीका मेरे दिमाग में आ गया जिससे मैं लण्ड भी उसकी चूत में अन्दर घुसा दूंगा और वो चिल्लायेगी भी नहीं। क्योंकि मेरी सारी चिन्ता उसके चिल्लाने से ही थी क्योंकि दीदी बगल के कमरे में ही सोई थी ओर कभी भी जाग सकती थी। मैंने उसकी चूची छोड़ कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये। जैसे ही उसे मदहोशी छाने लगी और उसकी हथेलियो का कसाव मेरे सिर और पीठ पर पड़ा। मैंने एक जोर का झटका मारा और लण्ड आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। उसकी दर्द के मारे चीखने की कोशिश की, मगर उसके होंठ मेरे होंठों के कब्जे में थे इसलिये वो चिल्ला नहीं सकी और तड़प कर ही रह गई।

मैंने देर न करते हुए दो झटके और मारे और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक उतार दिया। दर्द के मारे उसने अपनी कमर को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ मरोड़ना शुरू कर दिया लेकिन मेरी पकड़ से ना तो उसके होंठ ही छूटे और न मेरे लण्ड ने उसकी चूत को छूटने दिया।

मैंने होंठ को चूसने के साथ ही उसकी चूचियाँ भी दबानी शुरू कर दी। लगभग पाँच मिनट के बाद उसे कुछ आराम मिला तो उसने अपनी आँखें खोली और मैंने भी उसके होंठो को छोड़ कर उसके चेहरे की तरफ देखा। आँसुओं की दो लम्बी रेखायें उसके गालों पर बनी हुई थी। दर्द से उसकी आंखें लाल हो चुकी थी। लेकिन मेरे लण्ड के उसकी चूत में घुस जाने की एक खुशी भी उसे थी। यह बात उसने मुझे बाद में बताई।

अब धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत में बुरी तरह फंसे अपने लण्ड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। उसकी चूत बहुत टाईट थी लेकिन क्रीम लगी होने की वजह से लण्ड धीरे-धीरे आगे पीछे हो रहा था। थोड़ीदेर के बाद उसे मजा आने लगा और उसकी चूत गीली होने की वजह से लण्ड अब आराम से आगे पीछे होने लगा। मैंने अब जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये और वो भी गांड हिलाकर मेरा साथ देने लगी।

फिर पाँच-सात मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों शान्त हो गये। मैंने जब उसकी चूत से लण्ड निकाला तो पकक्‌ की एक अजीब सी आवाज बाहर आई। जैसे ही हम दोनों खड़े हुए, एकदम लाईट आ गई। मैंने देखा उसके चूत के खून से मेरा लण्ड लाल हो गया था और बिस्तर पर बिछी चादर पर खून लगने की वजह से खराब हो गई।

मैंने कहा- यह क्या हो गया ? अब दीदी को सब पता चल जायेगा और वो मुझ पर बहुत नाराज होगी। चादर जल्दी से धोनी पड़ेगी वरना बहुत गड़बड़ हो जायेगी।

लेकिन उसने कहा- घबराओ मत ! मैं चादर को धो दूंगी।

मैंने कहा- ठीक है ! लेकिन पहले एक बार और चुदाई का मजा लेंगे उसके बाद धुलाई कार्यक्रम होगा।

उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा लेकिन उसने गाण्ड नहीँ मरवाई और मैंने भी कोई जिद नहीं की। इस तरह हमने रात के 12.15 से लेकर सुबह के तीन बजे तक चुदाई की और चादर धोकर सोने चले गये।

सुबह दीदी ने हमे 8.00 बजे जगाया और कहा- तुम दोनों तो जल्दी उठ जाते हो तो फिर आज क्या हो गया।

मैंने बहाना बनाया- आपने और सपना ने ही तो बात कर-कर के सोने नहीं दिया।

तभी दीदी ने पूछा- मेरे कमरे के बिस्तर पर यह नई चादर कहाँ से आई?

तो मेरे पास उस सवाल का कोई जबाब नहीं था। तभी बीच में ही उसकी बात काट कर सपना बोली- कल शाम तुमने ही तो सफाई के बाद पुरानी चादर हटाकर नई चादर डाली थी।

मैं उसकी तरफ देखकर धीरे से मुस्करा दिया। क्योंकि हम दोनों ही जानते थे कि चादर कैसे बदली थी।

उसके बाद उसे जब भी मौका मिलता वो मुझसे जरूर चुदवाती। मैं आज भी उसे अपना चुदाई का गुरू मानता हूँ और चाहता हूँ कि फिर उसे चोदने का मौका मिले। क्योंकि उस घटना के तीन महीने बाद ही मेरे मम्मी और डैडी कानपुर से नोएडा चले आये। तब से मैं यहीं रहता हूँ।

लेकिन मैं अभी तक पूरी तरह चुदक्कड़ नहीं बना था। यह तो सिर्फ शुरूआत थी। असली ट्रेनिंग तो नोएडा आने के बाद शुरू हुई। जो मैं आपसे अगली कहानी में बताऊँगा।

अब मुझे अपनी चूचियाँ दबा कर विदा कीजिये।

आपका नादान विनय पाठक।

प्यारे दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी। मुझे जरूर बताना।

vinay_1285@rediffmail.com



    अपना हाथ उसके मम्मे पर

    हाय ! मैं हूँ राहुल, चंडीगढ़ का रहने वाला एक आज़ाद ख्यालों वाला युवक। मेरी कहानी सिर्फ आप लोगों को उत्तेजित करने के लिए है, इसका मकसद अपनी सेक्स शक्ति का बखान करने के लिए नहीं है। सो, पढ़िए और मज़ा लीजिये।

    चंडीगढ़ में हमारा लड़के-लड़कियों का ग्रुप होता था, जो हर रोज़ शाम को गेड़ी रूट पर मौज मस्ती करते थे। हमारे ग्रुप में सभी की जोड़ी बनी हुई थी। मेरी भी एक पार्टनर थी नेहा ! जो इतनी खूबसूरत तो नहीं थी, पर हमें कौन सा शादी करनी थी। शुरू शुरू में मैं उसे लेकर ग्रुप में घूमता था, धीरे धीरे हम लोग अकेले घूमने लगे। मैंने उसे पहले दिन ही कह दिया था कि मेरे साथ भावुक होने की कोई ज़रुरत नहीं, लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में मुझे शादी के चक्कर में फ़ंसाने की बात थी।

    धीरे धीरे हम लोग शाम को मेरी कार में 2-3 घंटे इधर उधर घूमने लगे। एक दिन मैंने मौका पा कर उसे चूम लिया। वो एकदम से घबरा गई पर उसे भी मज़ा आया। फिर हमारी मुलाकातों में चूमा-चाटी का दौर चलने लगा। हम सुनसान जगह पर गाड़ी पार्क करके पहले बातें करते, फिर धीरे-धीरे किस्सिंग शुरू हो जाती।

    एक दिन मैंने उतेजना में आकर धीरे से अपना हाथ उसके मम्मे पर रख दिया। उसने हाथ वहीं पकड़ के नीचे कर दिया। मैंने चूमना चालू रखा, और दो मिनट बाद फिर से मम्मा दबा दिया। उसने फिर से मेरा हाथ हटाने की कोशिश की पर मैंने नहीं हटाया। उसने हार मान कर मज़ा लेना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा का हुक खुल दिया और फिर मैं जैसे जन्नत में पहुँच गया। एकदम गोरे गोरे माखन जैसे मम्मे देख कर मैं पागल होकर उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। नेहा भी वासना की आग में अआह आआह्ह की आवाजें निकलने लगी, उसके निप्पल चूस चूस कर मैंने लाल कर दिए।

    बस फिर क्या था, अब रोज़ का यही सिलसिला चलने लगा। मैं घंटों उसके मम्मे दबाता, उन्हें जी भर के चूसता। कुछ दिन यही खेल चला और मैं बीच बीच में उसे चेताता भी रहता कि यह सिर्फ अपनी दोस्ती है, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। पर वो शायद किसी उम्मीद में मुझे आगे बढ़ने दे रही थी।

    ऐसे ही एक दिन हम मोरनी हिल्स के रास्ते पर सुनसान सी जगह पर गाड़ी रोक कर प्यार करने लगे। मैंने झट से उसके मम्मों को दबाना, चूसना शुरू कर दिया। नेहा की साँसें तेज़ होने लगी। मैंने उसकी चूत के ऊपर हाथ फिराया और धीरे से उसकी जींस की जिप खोल के अन्दर चिकनी चूत पर ऊँगली फिराई। चूत एकदम से साफ़ और मखमली थी। मैंने अन्दर ऊँगली डाल के जैसे ही घुमाई, नेहा के मुँह से आआअयीईइ की आवाज़ निकली। उसकी चूत एकदम गीली थी। मैंने उसे ऐसे तड़पाना शुरू किया कि वो पागल हुई मुझसे लिपटी जा रही थी।

    मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी जींस के ऊपर से अपने लौड़े पर रख दिया। नेहा ने झिझकते हुए उस पर हाथ फेरना शुरू किया। मैंने मौका देख कर जिप खोल के अपना सात इंच के लौड़े को बाहर निकाल कर उसके हाथ में दे दिया। उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया। मैंने सर पकड़ा और झट से लौड़े को उसके मुँह में डाल दिया। नेहा ने हैरान होकर मुझे देखा, पर मैं कहाँ मानने वाला था। उसने धीरे धीरे सुपारे को चूसना शुरू किया और मैं जन्नत में !

    दस मिनट लौड़े को चूसाने के बाद मैंने अपना रस उसके मुँह में ही छोड़ दिया। वो आधा घंटा सबसे हसीं लम्हे थे।

    उसके बाद हमारा यह सिलसिला जारी रहा, मैं रोज़ उससे लौड़े को चुसवाता, शायद उससे भी मज़ा आता था।

    फिर एक दिन मैंने उसके साथ अपने दिल्ली के टूर की सेट्टिंग की। मैं एक तरफ से दिल्ली पहुंचा, और वो अपने माँ बाप को बहाना बनाकर दिल्ली पहुँच गई। वहाँ मिलते ही हम दोनों ने एक होटल में कमरा ले लिया पति पत्नी बनकर।

    कमरे में घुसते ही मैंने उसे बिस्तर पर गिराकर सारे कपड़े उतार फैंके। धीरे धीरे उसके मम्मों का सारा रस पी गया, निप्पल चूस चूस के लाल कर दिए।

    मुझसे इंतज़ार नहीं हो रहा था, मैंने झट से अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया, वो मज़े से चूसने लगी।

    अब मुझे इंतज़ार था उस चिकनी चूत का, जिसने मुझे इतना तड़पाया था। लौड़े को उसकी चूत के ऊपर रख कर जैसे ही मैंने धक्का लगाया, सीधा स्वर्ग में पहुँच गए हम दोनों ! फिर चुदाई का वो खेल शुरू हुआ कि दो दिन हमने न जाने कितनी बार चुदाई की, हम खुद भी नहीं जानते।

    उसके बाद हम दोनों ने न जाने कितने मज़े एक साथ लूटे, कितनी बार चुदाई की, पर मैंने उससे एक बात साफ़ शब्दों में कह दी थी कि हमारी दोस्ती सिर्फ शारीरिक सुख तक सीमित है। फिर हम दोनों की शादियाँ हो गई और हम फिर कभी नहीं मिले पर वोह हसीं लम्हें आज भी आनंदित कर जाते हैं।

    luvbytes4u@yahoo.com

    आँटी के ख्यालों के चक्कर में

    हाय दोस्तो, मुझे हिंदी लिखनी नहीं आती पर कोशिश कर रहा हूँ, मेरी गलतियों को नज़रान्दाज़ कर दें।

    मेरा नाम राज है, मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। मैं जब भी अपने घर जाता था तो हमेशा पड़ोस की आँटी को चोदने के बारे में सोचता रहता था।

    इस बार जब मैं अपने घर गया तो मेरे ऊपर कृपा हो ही गई, मुझे चोदने का मौका मिल ही गया। मैं जिम जाने लगा था जिसका असर मुझे घर पर मालूम चला। आँटी के पति दुबले पतले थे और दिन भर को़र्ट में रहते थे।

    उस दिन आँटी का हीटर ख़राब हो गया था। हमारे शहर में कई लोग हीटर पर खाना बनाते हैं। आँटी का भी खाना नहीं बना था, मैं गाय को रोटी देने बाहर आया तो आँटी बोली- राज, मेरा हीटर खराब हो गया है, उसे सुधार दो !

    मैंने मजाक में कहा- आप तो खुद ही इतनी गर्म हो कि तपेली को हाथ से पकड़ लो तो पानी भाप बन जाये !

    वो हंस दी, मैंने आज तो रास्ता साफ समझा और उनका हीटर सही करने उनके घर आ गया। उनकी लड़की जो दसवीं में है, स्कूल जा रही थी।

    मैं हीटर को सही करने लगा, उनसे टेस्टर माँगा तो वो उसे लेकर खुद ही हीटर की स्प्रिंग को चैक करने लगी। तब उनके बड़े बड़े स्तन उनके ब्लाउज़ से बाहर दीखने लगे थे। मन तो कर रहा था कि उनके स्तनों को पकड़ कर मसल डालूँ पर मर्यादा मुझे रोक रही थी।

    तब मैंने उनसे टेस्टर लेना चाहा तो उनका हाथ मेरे हाथ से छू गया। मुझे लगा कि आँटी इतनी हॉट हैं, अंकल की तो रोज जन्नत की सैर है।

    मैंने जब स्प्रिंग से टेस्टर छुआ तो मेरे आँटी के ख्यालों के चक्कर में मुझे करंट का एक झटका लगा, मैं लगभग बेहोश हो गया था। आँटी घबरा गई और उन्होंने पानी लाकर मेरे ऊपर डाला और मुझे अपनी गोद में ले लिया और मुझे उठाने लगी।

    मेरा सीना एकदम उभरा था जो शर्ट का बटन खुला होने से आँटी को दिख रहा था। आँटी ने अपना एक हाथ मेरी शर्ट में डाल दिया और धीरे-धीरे मेरे सीने पर फ़िराने लगी।

    मुझे होश आने लगा था, आँटी बड़े प्यार से अपना गर्म हाथ मेरे 40 इंच के सीने पर घुमा रही थी।

    मेरा लंड घोड़े के लंड की तरह धीरे धीरे बढ़ने लगा था जो मेरे रीबोक की चड्डी से बाहर निकलने को तरस रहा था और आँटी मेरे सीने को रगड़े जा रही थी।

    अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मैंने अपनी आंख खोल दी। वो एकदम से मुझसे अलग हो गई।

    मैंने बोला- आँटी करो ना ! मुझे मजा आ रहा है।

    उसने पूछा- पहले कभी सेक्स नहीं किया ?

    मैंने मना कर दिया- नहीं !

    मेरा दिमाग गर्म हो रहा था कि अगर आज सेक्स नहीं कर पाया तो मैं मर जाऊँगा।

    वो शायद मेरी अवस्था समझ चुकी थी, वो मेरे पास आई और हाथ को चूमने लगी। मुझे कुछ होने लगा था। उसने धीरे से मेरे माथे को चूम लिया। मेरा लंड जोर जोर से सांस ले रहा था। आँटी की भी सांसें गर्म होने लगी थी। फिर वो मेरी दोनों आँखों को चूमने लगी। मेरी तो हवा ख़राब होने लगी थी। वो इतनी गोरी थी कि अगर हाथ रख दो तो लाल हो जाये।

    उसने मेरे दोनों हाथ अपने वक्ष पर रख दिए और बोली- इनको दबाओ !

    वो मुझे अनाड़ी समझ रही थी। मैंने अपने हाथ उसके नर्म-नर्म बोबों पर घुमाने शुरु कर दिए। वो मचलने लगी और मेरे मसल्स को सहलाने लगी।

    मैंने धीरे से उसकी साड़ी के अंदर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत के दाने को छू लिया।

    वो सिसकने लगी और बोली- तेरे अंकल को तो कोर्ट से ही समय नहीं है, मैं सात महीने से अपनी प्यास मोमबत्ती या अपने हाथ से मिटा रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दे, तेरा मुझ पर उपकार होगा।

    मैं उसकी चूत को रगड़े जा रहा था, उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और रगड़ने लगी। मैंने उसके पेट पर हाथ रखा तो वो स्प्रिंग की लहरों की तरह हिलने लगा। अब हमारी धड़कने बढ़ चुकी थी। मैंने अपना लंड उसके कहने पर उसके दोनों बोबों के बीच रख दिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।

    उसके बाद वो मुझसे बोली- लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करो !

    मेरी उत्तेजना की सीमा पार हो रही थी, साथ ही मजा भी बढ़ता जा रहा था। मेरी सांसें तेज होने लगी थी। मेरा लंड ठीक उसके मुँह के पास आ जा रहा था। वो अपनी जीभ से उसे चाटने की कोशिश कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरा लंड जैसे दो रुई के गोलों के बीच में हो जिनको हल्का गर्म कर दिया हो।

    तभी वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- और जोर लगाओ अह अहअहहहह अहह हहहहहहह ...........

    उसने मेरे कूल्हे कस कर पकड़ लिए और एकदम ढीली हो गई .....

    lovebycall@gmail.com

    

    तुम्हारी चूची के बारे में

    मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इसमें लोग कुछ तो काल्पनिक कहानी लिखते हैं और कुछ कुछ ही सच्ची होती हैं। किसी का आज तक तीन इंच चौड़ा लंड देखा है? गधे का भी दो इंच चौड़ा होता है। वो फिर क्या गधे का बाप है। कोई बात नहीं मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह सच्ची है, आप लोग इसे सच माने या झूठ !

    मैं राजवीर बीस साल का हूँ। मैं यहाँ फरीदाबाद में रहता हूँ। यहाँ हमारा पूरा परिवार है। हमारा घर में दो कमरे खाली रहते थे। हमने वो किराये पर देने का सोच लिया था। बात तीन साल पहले की ही है। हमारे घर एक परिवार आया उस परिवार में एक बुड्ढा आदमी था और उसकी एक 19-20 साल की एक बेटी होगी। उसका बाप दो हफ्ते भर रहा और फिर गाँव चला गया। उसकी बेटी अकेली ही रहती थी। उसकी पढ़ाई पूरी हो गई थी और नौकरी भी नहीं करती थी। सारा दिन घर पर ही रहती थी। उन दिनों मेरी डांस की प्रैक्टिस चल रही थी।

    एक दिन उसने कहा- मुझ को भी डांस सिखा दो।

    मैंने उससे कहा- अभी नहीं, बाद में !

    वो मान गई।

    शाम को घर में कोई नहीं था। सिर्फ वो और मैं। मैं टीवी देख रहा था। वो आई और कहने लगी- अब डांस सिखा दो !

    तो मैंने पूछा- तुम डांस सीख कर क्या करोगी?

    वो कहने लगी- कुछ नहीं ! बस ऐसे ही।

    मैंने मना कर दिया तो वो मेरी मिन्नत करने लगी। सो मैं भी मान गया।

    मैंने गाना लगा दिया और उसे डांस का एक स्टेप कर के दिखाया। वो मेरे स्टेप्स की कॉपी करने लगी। उसने सूट पहन रखा था तो उसको नाचने में दिक्कत हो रही थी पर उसकी चूची को देख कर, जो हिल रही थी, मेरा लंड भी हिल रहा था। वो डांस करते करते रुक गई।

    मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?

    उसने कहा- परेशानी हो रही है इन कपड़ों में !

    मैंने मजाक में कह दिया- कपड़े उतार कर डांस कर लो।

    वो शरमा गई और चली गई।

    मैं भी उसके पीछे गया। वो मुँह छुपा कर लेट गई।

    मैंने कहा- मैं तो मजाक कर रहा था ! तुम बुरा तो नहीं मानी।

    उसने कहा- इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है? मजाक ही तो किया था।

    हम वहीं बैठ कर बातें करने लगे।

    उसने मुझसे अचानक पूछ लिया- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?

    मैंने कहा- हाँ ! हैं तो कई ! पर क्यों।

    उसने कहा- किसी के साथ सेक्स सम्बन्ध बनाये हैं या नहीं?

    मैंने कहा- तुम्हें क्यों बताऊँ।

    उसने कहा- मैं तुम्हारी दोस्त नहीं हूँ क्या? मुझे बता नहीं सकते?

    मैंने उससे कहा- हमने दोस्ती कब की?

    उसने कहा- अब कर लो।

    मैंने कहा- तुम बड़ी वो हो।

    उसने कहा- वो मतलब क्या?

    मैंने कहा- वो मतलब सेक्सी !

    उसने अपना हाथ मुँह पर रख लिया। मैंने उसका चुम्बन ले लिया।

    वो गुस्सा हो गई और कहने लगी- अभी तुम्हारी मम्मी को बताउँगी।

    मैं डर गया और वहाँ से चला आया।

    रात को मैं छत पर ही सोता हूँ। मैं छत पर सोया था, मेरे सामने रीमा की चूची थी। मैं उसके बारे में सोच कर मुठ मार रहा था। तभी वहाँ रीमा आ गई। उस समय रात के बारह बजे थे। मैं उसे देख कर घबरा गया। वो मुझे घूर कर देखने लगी। मैं घबराया हुआ था।

    उसने कहा- तुम मेरे बारे में सोच कर ही मुठ मार रहे हो न?

    मैंने कहा- नहीं !

    तो उसने कहा- सच बताओ, नहीं तो आंटी को बता दूंगी। मैंने हाँ कह दिया।

    उसने पूछा- क्या सोच रहे थे?

    मैंने कहा- तुम्हारी चूची के बारे में।

    मेरा लंड सिकुड़ गया था। उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और हिलाने लगी। मेरा लंड फिर खडा हो गया। उसने मेरी निक्कर उतार दी और जोर जोर से लंड हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अपनी सलवार और कुर्ती उतार दी और कहने लगी- अब ठीक है ! अब डांस सिखा दो !

    मैंने उससे कहा- सिखा तो दूँ ... पर . . . . . . . ?

    पर पर क्या ? उसने कहा- अगर कोई परेशानी है तो बाकी भी उतार देती हूँ।

    यह बोलते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। क्या चूची थी उसकी . . . . . . चूत अभी कुंवारी लग रही थी . . . . . . । चूत की खुशबू तो अलग ही आ रही थी। मेरा लंड वो देख कर और भी मोटा हो गया।

    मैंने कहा- डांस तो सिखा दूँगा पर क्या तुम फीस दे दोगी।

    उसने कहा- फीस अभी ले लो।

    उसने मेरा मुँह अपनी चूची पर लगा दिया। मैंने भी अपना काम शुरु किया और उसकी चूची चूसने लगा। पाँच मिनट उसकी चूची चूसने के बाद मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और रगड़ने लगा। वो मेरा लंड मुँह में लेकर रगड़ने लगी और मुठ मारने लगी। मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी। वो चिंहुक उठी। मैंने उसकी चूत चूसनी चालू की और साथ-साथ उंगली भी दे रहा था।

    मैंने उससे कहा- यहाँ हमें कोई देख लेगा ! हम नीचे चलते हैं तुम्हारे कमरे में !

    वो मान गई। मैंने जाते ही अपना मोबाइल ऑन किया और वीडियो रिकॉर्डर चालू कर दिया और 69 की अवस्था में आ गए। उसको मालूम नहीं था कि मैं उसकी और अपनी वीडियो बना रहा हूँ।

    15 मिनट बाद मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और धक्का दिया। मेरा आधा लंड अंदर चला गया। बिना रुके हुए दूसरा धक्का दिया और मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। दस मिनट चोदने के बाद उसके चूत में ही झड़ गया और थोड़ी देर बाद वो भी झड़ गई।

    हम लेट गए। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

    इस बार मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरु किया। चोदते-चोदते मैंने अपना लंड निकाला और उसकी गांड में दे दिया। आधा लंड उसकी गांड में चला गया।

    वो रोने लगी और कहने लगी- छोड़ दो ! निकाल दो बाहर ! दर्द हो रहा है !

    मैंने कहा- बस थोड़ी देर दर्द होगा फिर मजा आएगा।

    मैं रुक गया और उसकी चूची दबाने लगा। उसको थोड़ा आराम मिला तो मैंने फिर धक्का दिया और उसकी गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया। वो छटपटा रही थी। पर लण्ड निकालने में नाकामयाब रही।

    मैंने धक्के लगाने शुरु किये। वो आ आ ई ई की आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसे 15 मिनट तक चोदा।

    फिर मैंने अपना लंड निकाला तो उसने कहा- निकाल क्यों किया।

    तो मैंने कहा- मेरा झरने वाला है !

    तो उसने कहा- गांड में ही झार दो।

    मैं अभी डालने ही वाला था, तब तक मेरा पानी निकल गया और उसके गांड के ऊपर ही गिर गया। वो जल्दी से पलटी और बाकी का सारा पानी अपने मुँह में ले लिया और मेरा लंड साफ़ कर दिया। हम थोड़ी देर लेटे रहे और फिर उठ कर कपड़े पहनने लगे। बिस्तर पर थोड़ा सा खून गिरा हुआ था।

    तभी मुझे ध्यान आया कि मेरा वीडियो रिकॉर्डर चालू था। मैंने रीमा के नजरों से बचा कर अपना मोबाइल उठाया और वीडियो सेव करके मोबाइल ऑफ कर दिया। हम ऊपर ही जाकर सो गए। सुबह नींद खुली तो रीमा मेरे बगल में सो रही थी।

    मेरा लंड बाहर था और उसकी चूची बाहर थी। शायद मेरे सोने के बाद उसने मेरा लंड चूसा था। मैंने भी उसकी चूची दबाई और चूसने लगा और सुबह मैंने उसे फिर दुबारा चोदा, सिर्फ उसकी गांड मारी।

    तो दोस्तो, बताओ आपको मेरी कहानी कैसी लगी।

    एक और कहानी है आपके किये मेरे पास पर पहले इस पर अपने विचार जरूर लिखना कि मैंने रीमा को चोदने में कहाँ कसर छोड़ दी, यह बताना।

    veerudada33@gmail.com

    अजय के लण्ड का लाल लाल सुपारा

    मैं हूँ आपकी अंजू शर्मा ! मैं पच्चीस साल की हो चुकी हूँ। मैं आज आपको अपनी सच्ची कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम के माध्यम से बता रही हूँ कि मैंने अपने बड़े भाई से कैसे चुदवाया था।

    मेरे बड़े भाई का नाम अजय है, वह सताईस साल का है। उसकी एक गर्लफ्रैंड भी है जिसका नाम शैली है। शैली मेरे साथ पढ़ चुकी है और मेरे घर से थोड़ी दूर ही रहती है। शैली अजय को पसंद करती है लेकिन शैली के कई दोस्त हैं। शैली एक चालू लड़की है। फ़िर भी अजय को शैली से अकेले में मिलने का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था।

    एक दिन मेरे पापा और मम्मी दो दिन के लिए एक शादी में जबलपुर जाने वाले थे, हम पढ़ाई का बहाना करके घर में ही रुके रहे। वैसे अजय मेरा बड़ा भाई है लेकिन हम दोस्तों की तरह रहते हैं। हम एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते हैं और आपस में हर एक विषय पर खुल कर बातें करते हैं, यहाँ तक सेक्स की बात करने से भी हमें कोई शर्म नहीं आती है।

    उस दिन अजय ने मुझसे कहा- अंजू, दो दिन तक हम लोग अकेले रहेंगे, अगर तुम किसी तरह शैली को दो दिन के लिए अपने घर रहने के लिए तैयार कर लो तो मैं तुम्हारी हर शर्त मान लूंगा।

    मैंने भी अपनी शर्त रखी- मैं शैली को किसी भी बहाने अपने घर रुकने पर राजी कर लूंगी लेकिन तुम शैली के साथ जो भी करोगे मेरे सामने करना होगा।अजय बोला- लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरा पूरा साथ देना पड़ेगा !

    इस तरह हम दोनों के बीच शर्तें तय हो गईं।

    शाम को मैंने शैली को फोन किया कि मुझे अपना एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए उसकी मदद चाहिए और दो दिनों में प्रोजेक्ट पूरा करना है, घर में अकेली हूँ मेरे घर में कोई परेशानी नहीं होगी, मिल कर पढ़ाई और मस्ती करेंगे।

    मैंने कहा- अजय भी हमारी मदद करेगा !

    शैली भी फ़ौरन तैयार हो गई। शैली काफी चालाक है, वह सारा मामला समझ गई और एक घंटे के बाद ही घर आ गई। वह काफी सजधज कर आई थी।

    दरवाज़े पर अजय ने ही उसका स्वागत किया। शैली आराम से सोफे पर बैठ गई और इधर उधर की बातें करने बाद अजय तीन व्हिस्की के पैग बना कर लाया। हम धीमे धीमे व्हिस्की की चुस्कियाँ लेने लगे। अजय खड़े खड़े हमारी बातें सुन रहा था।

    तभी अजय ने झुक कर शैली को चूम लिया। शैली खड़ी हो गई और अजय की पैंट की जिप खोल कर उसका लण्ड चूसने लगी। शैली ने अजय का दस इंची लण्ड पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं भी अजय के लण्ड का लाल लाल सुपारा देख कर दंग रह गई। ऐसा लग रहा था कि जैसे गुस्से से लण्ड का मुँह लाल हो गया हो और चूत पर हमला करने वाला हो। शैली बड़े प्यार से लण्ड चूस रही थी और सारा लण्ड निगल लेना चाहती थी। यह देख कर मेरी चूत भी गीली हो रही थी। शैली लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी, इससे लण्ड और सख्त और लंबा हो रहा था। लण्ड शैली के थूक से पूरी तरह से सना था।

    तभी शैली ने अजय को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बाक़ी के सारे कपड़े निकाल दिए। अजय का लण्ड कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा था। एक एक करके शैली ने अपने कपड़े भी उतार दिए। जब शैली ने अपनी पैंटी भी उतार दी तो मैं उसकी गोरी गोरी चूत देख कर मोहित हो गई। शैली ने अपनी चूत के बाल अच्छी तरह से साफ़ किए थे। चूत से सेक्सी खुशबू आ रही थी। मैंने शैली की चूत को चूम लिया। आख़िर वह मेरे भाई का इतना लंबा मोटा लण्ड लेने जा रही थी। और कोई लड़की होती तो अजय के लण्ड से उसकी चूत जरूर फट जाती।

    फ़िर शैली उठी और अजय के लण्ड को निशाना बना कर उस पर अपनी चूत रख दी। लण्ड का सुपारा चूत पर था, शैली लण्ड पर बैठ गई। शैली के दवाब से लण्ड अन्दर घुसने लगा। जब लण्ड का सुपारा चूत में घुस गया तो चूत में लण्ड के लिए रास्ता बनता गया। लण्ड चूत को चीरते हुए भीतर जाने लगा।

    मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैं लगातार शैली को हिम्मत दिलाती रही और कभी उसे चूमती और कभी उसके स्तन सहलाती रही। जैसे ही पूरा लण्ड शैली की चूत में समा गया, मैंने ताली बजा कर शैली को बधाई दी। शैली अपनी चूत में अजय का लण्ड इस तरह अन्दर-बाहर करने लगी जैसे वह अजय की आज ठीक से चुदाई करे बिना नहीं मानेगी।

    कुछ देर बाद अजय शैली के ऊपर आ गया और उसका लण्ड गच से शैली की चूत में धंस गया। अजय शैली को लगातार चूम रहा था और उसकी चूत की भगनासा को मसल रहा था।

    शैली मस्ती में बक रही थी- अजय जोर जोर से डालो, फाड़ दो मेरी चूत ! उफ़ मज़ा आ रहा है ! जोर से धक्के मारो ! मेरी पूरी चूत भर गई है चूत में अब जगह नहीं है। चोदो ! लगे रहो ! आज मैं जन्नत का मज़ा ले रही हूँ ! तुम्हारा लण्ड कमाल है।

    करीब आधा घंटे के बाद अजय ने शैली को पलंग पर घोड़ी बनाकर अपना लण्ड उसकी चूत में पीछे से घुसा दिया और दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए। इस जबरदस्त चुदाई से शैली हाय हाय करने लगी। शैली हर धक्के पर अपनी चूत लण्ड की तरफ़ धकेल देती थी जिससे मजा दुगुना हो जाता था। शैली की चूत से पानी रिस रहा था, फ़िर भी वह लगातार चुदवा रही थी।

    यह देख कर मुझे भी इसी तरह चुदवाने की इच्छा हो रही थी और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

    इसी तरह आधा घंटा और चोदने के बाद अजय ने मुझे बुला कर कहा- शैली की चूत काफी चुद गई है, अब मैं शैली की गाण्ड मारूंगा, तुम ज़रा पास आकर शैली की कमर जोर से पकड़े रहना और शैली की चूत और वक्ष मसलते रहना। अगर शैली को दर्द हो तो उसकी चूत चाटते रहना, इससे दर्द कम हो जाएगा। वरना वह मेरा इतना लंबा मोटा लण्ड सह नहीं पायेगी, उसकी गाण्ड भी फट सकती है, तुम अपने हाथों से शैली के चूतड़ फैलाते रहना।

    फ़िर अजय ने दोबारा शैली को घोड़ी बनाया। मैंने थोड़ा सा तेल शैली की गाण्ड और अजय के लण्ड पर लगा दिया और अजय को गाण्ड जीतने का आशीर्वाद दे दिया। अजय ने उठ कर अपने लण्ड का सुपारा शैली की गाण्ड के छेद पर रख कर थोड़ा सा दवाब डाला। सुपारा गाण्ड में घुस गया, शैली चिल्लाई- मर गई ! ओह ओह उई उई ! धीमे ! ज़रा धीमे से ! यह लण्ड काफी मोटा है ! मैं सह नहीं पाऊँगी।

    अजय ने कहा- हिम्मत रखो ! हम तुम्हारी गाण्ड नहीं फटने देंगे ! आराम से डालेंगे !

    फ़िर अजय ने चौथाई लण्ड अन्दर घुसा दिया जो आसानी चला गया। फ़िर शैली के दर्द की परवाह किए बिना आधा लण्ड जब चला गया तो मैंने कहा- अब रुको नहीं ! बाक़ी लण्ड भी घुसा दो !

    अजय ने एक ऐसा जोर का धक्का मारा कि गाण्ड को फाड़ते हुए गाण्ड में समा गया। शैली ने इतनी जोर की चीख मारी कि मुझे उसका मुँह बंद करना पड़ा।

    अजय बोला- अब थोड़ा सा दर्द सह लो ! गाण्ड में लण्ड के लिए रास्ता बन चुका है !

    कुछ देर बाद अजय ने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया तो लण्ड आसानी से घुसने लगा। शैली ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, उसका दर्द गायब हो चुका था। मुझे ताज्जुब हुआ कि लण्ड कैसे फचा फच गाण्ड में जा रहा है और शैली मजे से गाण्ड मरवा रही है। मैं शैली की हिम्मत की दाद देने लगी, मैं बोली- तुम्हें तो गाण्ड मरवाने का ओलम्पिक मैडल मिलना चाहिए।

    यह सुन कर अजय ने अपनी स्पीड तेज कर दी। जब उसका लण्ड से बाहर आता तो तो ऐसा लगता था कि लण्ड के साथ पूरी गाण्ड बाहर आ जायेगी क्योंकि लण्ड गाण्ड में पूरी तरह से कसा हुआ था।

    शैली कभी मुझे और कभी अजय को चूम लेती थी। आधे घंटे की गाण्ड मराई के बाद अजय ने अपना गर्म गर्म वीर्य शैली की गाण्ड में छोड़ दिया जो गाण्ड से बाहर बहने लगा। अजय के लण्ड से शैली की गाण्ड काफी चौड़ी हो गई थी। लण्ड निकलने के बाद गाण्ड का गुलाबी चौड़ा छेद साफ़ दिखाई दे रहा था।

    शैली ने अजय के लण्ड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया और एक तरफ़ लेट कर साँस लेने लगी।

    मैंने पूछा- कैसा लगा अजय का लण्ड?

    शैली ने लण्ड को चूम लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। इससे लण्ड फ़िर से फड़कने लगा और कड़क होकर खड़ा हो गया। तभी शैली ने मुझे अपने पास पलंग पर गिरा लिया और मेरे मना करने के बावजूद मेरे कपड़े उतार दिए और अजय का लण्ड मेरी चूत पर रख दिया।

    शैली ने कहा- अंजू चुदाई कुदरत का वरदान है ! दुनिया के सभी प्राणी चुदाई करते हैं ! एक बार लण्ड किसी की चूत में घुस जाता है तो सारे रिश्ते ख़त्म हो जाते हैं, सिर्फ़ चूत और लण्ड का रिश्ता बाक़ी रह जाता है। इसलिए किसी लण्ड का अपमान नही करना चाहिए, जो भी मिले, जैसा भी मिले, जहाँ भी मिले, लण्ड का मजा जरूर लेना चाहिए। तू तो किस्मत वाली है कि घर में ही इतना मजेदार लण्ड मौजूद है। फ़िर भी पुराने विचारों में अपना मजा बरबाद कर रही है। हर एक चूत को हर एक लण्ड से मजा मिलता है। देख, मैंने इसी सुख के लिए अजय के घोड़े जैसे लण्ड से तेर सामने चुदा लिया और गाण्ड भी मरवाई। यह एसा मजा है जिसमे कोई खर्चा नहीं लगता, सिर्फ़ हिम्मत चाहिए। चल उठ और मेरे सामने ही अजय से चुदा ले ! फ़िर तुझे भी पता चल जाएगा कि ऐसे लण्ड से चुदाने में कितना मजा आता है। तू फ़िर रोज चुदवाने लगेगी और मुझे याद करेगी।

    उस दिन से अजय से कई बार लण्ड का मजा ले चुकी हूँ। शैली की बात सच है, आज रात मैं फ़िर चुदवाने वाली हूँ ! आप रात को क्या करने वाले हैं ?

    sharmabrij88@gmail.com

    तुम बेडरूम में जा के बैठो

    मैं लखनऊ में रहता हूँ ! मेरी उम्र इक्कीस साल, कद छः फीट और रंग मध्यम है ! मेरी बॉडी एवरेज है और मेरे हथियार का साइज़ 6'' है ! मुझे चोदने का बहुत शौक है !

    आपने मेरी चुदाई की कई कहानियां पढ़ी और मुझे काफी सारे मेल भी आई ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ....!

    कई बार चुदाई करने के बाद अब मैंने सोच लिया कि इसमें जो मज़ा है वो और किसी चीज़ में नहीं है ! तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना कॉल बॉय बन कर अपना चुदाई का शौक पूरा किया जाये ! इससे मुझे कुछ पैसे भी मिल जायेंगे और चुदाई भी करने को मिलेगी ! लेकिन सवाल था कि यह सब कैसे होगा ?

    यह जानने के लिए पढ़िये आगे की कहानी ..............

    एक दिन मैं ब्लू फिल्म देख रहा था। तब मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न किसी लड़की को आज होटल में ले जाकर चोदूं ! मैं एक लड़की को पैसे देकर उसे होटल में ले गया और वहाँ से घर में फ़ोन करके बताया कि मैं आज दोस्त की जन्मदिन-पार्टी के लिए जा रहा हूँ, इसलिए मैं कल सुबह आऊंगा।

    मेरे दिन आर्थिक तौर पर बहुत ख़राब चल रहे थे। मैंने उस रात उस लड़की को बहुत चोदा। जब मैंने दूसरा राउंड लिया तो वो लड़की जोर से रोने लगी। मैं हैरान हो गया कि जो लड़की धंधा करती है वो मेरे लंड के कारण रो रही थी ? !! चोदने के बाद उस लड़की को मैंने अपनी आर्थिक समस्या भी बता दी !

    वो लड़की बोली- तुम किसी जिगोलो जैसे काम क्यूँ नहीं करते ?? तुम में वो जोश है और तुम्हारा हथियार भी बहुत तगड़ा है !

    मैं सोचने लगा ! जब मैंने उससे पूछा कि यह सब होगा कैसे, तब उसने कहा- वो सब मेरे ऊपर छोड़ दो !

    सुबह ही मैंने उसका नंबर और नाम लिया ! उसका नाम प्रिया था ! एक दिन के बाद मैंने प्रिया को कॉल किया, उसने मुझे नटराज होटल में बुलाया और मेरे वहाँ पहुँचने पर बताया कि तुम्हें एक डॉक्टर के यहाँ कल रात को जाना है ! उसने मुझे उस पहली कस्टमर के बारे में जानकारी और उसका पता बताया। मुझे एक सिन्धी डॉक्टर की बीवी आरती को चोदना था, जिसकी उम्र 23 साल थी, वो एक घरेलू औरत थी जिसका पति दिल का विशेषज्ञ था, उसकी उम्र 31 साल की थी।

    प्रिया ने कहा- आरती को मैंने जब तुम्हारे बारे में बताया तो आरती ने तुम्हारे साथ रात गुजरने की जिद पकड़ी है, आरती का रंग गोरा है, उसकी हाईट 5’7'' और उसने तुम्हारे लिए पाँच हज़ार रुपये दिए हैं। प्रिया ने वो पैसे मेरे हाथ में दिए। पैसे और सारी जानकारी मैंने प्रिया से ली और मैंने प्रिया को मेरे दिल में आये हुए डर के बारे में बताया।

    प्रिया ने कहा कि आरती के पति किसी कोर्स के लिए दो दिन के लिए सुबह दिल्ली जा रहे हैं। तब मैं निश्चिंत हो गया। उस रात मुझे नींद नहीं आई। मैं शाम के 6 बजे घर से निकला और माँ को कहा- माँ, आज मैं नहीं आने वाला ! मेरी राह मत देखना !

    मैं शाम सात बजे उस पते पर पहुंचा और दरवाजे की घंटी बजाई तो सामने एक औरत आई।

    मैंने वो कोड बोला जो प्रिया ने मुझे बताया था, तब मुझे उसने अन्दर बुला लिया। मैं समझ गया कि वही आरती है। आरती ने दरवाजा बंद कर दिया। शायद वो भी मेरा इंतजार कर रही थी ! अन्दर जाने के बाद उसने कहा- "तुम तो रात दस बजे आने वाले थे ?

    मैंने कहा- पहली बार मुझे किसी ने रुपये दिए हैं, जिसके लिए मैंने कुछ नहीं किया ! इसीलिए सोचा कि उसका सब पैसा चुकता होना चाहिए, सो मैं जल्दी आ गया।

    आरती मुस्काई और मैं पागल हो गया क्यूंकि आरती (जितना प्रिया ने बताया) उससे बहुत ज्यादा खूबसूरत थी ! मैंने आरती को कहा- अब अपना काम शुरू करें ??

    तो आरती ने मुझे कहा- मैं दो मिनट में आती हूँ, तुम बेडरूम में जा के बैठो !

    और मुझे बेडरूम की तरफ इशारा किया।

    मैं बेडरूम में जा बैठा ! आरती दस मिनट के बाद दुल्हन की साड़ी पहन के हाथ में गिलास ले आई ! वह मेरे पास आकर बैठी और दूध का गिलास मुझे दिया।

    मैंने पूछा- यह क्या हैं ?

    उसने कहा- मैं अभी तक कुंवारी हूँ ! मेरे पति ने आज तक सुहागरात का मज़ा मुझे नहीं दिया !

    वो मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो- वो सब आज तुम्हें ही करना है !

    मैंने वो दूध आधा पिया। उसके बाद उसने बाकी का पिया। मैंने देखा कि बिस्तर पूरा फूलों से सजाया था !

    मैंने उसे कस के अपनी बाँहों में लिया और उसे चूमने लगा, जहाँ मेरे होंठ रुकते थे, वहाँ उसे चूमता था ! उसके बाद मैंने उसकी साड़ी और चूड़ियाँ उतार दी ! अब वो मेरे सामने ब्लाउज में थी ! मैंने उसके गर्दन को चूमा और उसके स्तन दबाने लगा।

    आरती सिसकारने लगी। मैंने ब्लाउज खोल दिया। उसके वक्ष देख के मैं बहुत गर्म हो गया, मैंने उन्हें चूसना और मसलना शुरू किया। तब आरती के मुंह से आआह्ह्ह उफ्फ्फ, दबाओ और जोर से, निकलने लगा।

    मैं चूसते चूसते नीचे की तरफ गया, आरती और सिसकारने लगी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत चाटने लगा।

    थोड़ी देर के बाद आरती ने अंदर डालने के लिए कहा !

    मैंने अपने कपड़े निकाल दिए और अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा रहा। आरती आँखें फाड़-फाड़ के उसे देख रही थी। थोड़ी देर के बाद वो प्यासी शेरनी की तरह झपट पड़ी, वो मेरे लंड को चूसने लगी ! मैंने थोड़ी देर के बाद लंड उसके मुंह से निकाल कर उस पर दो कंडोम चढ़ाये और आरती की चूत को सहलाते हुए कहा- आरती, इसे अंदर लो !

    मैं आरती की कमर को पकड़ कर लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। आरती आह्ह्ह्ह्ह करने लगी और मैंने उसके स्तनों को पकड़ कर एक जोर का झटका दिया, लंड चूत का बाहरी किनारा लेकर फिसल गया। आरती कुतिया की तरह चिल्लाई ! उसने मुझे उसके बदन से दूर धकेल दिया ! मैं वापस उसको समझा कर उस पर चढ़ गया, इस बार मैंने सही निशाना लगाया, आधा लंड चूत में घुस गया। आरती चिल्लाई- हाय भगवान् !! प्लीज़, इसे निकाल लो !

    मैंने दूसरा झटका दिया, लंड पूरा अंदर तक घुस गया ! तभी मैंने देखा कि आरती की आँखों से आंसू निकल आये।

    उसके बाद मैंने चोदना शुरू किया, मेरे हर एक झटके पर आरती चिल्लाती थी। दस मिनट के बाद आरती मेरा साथ देने लगी। थोड़ी देर के बाद मेरी स्पीड बढ़ने लगी। जैसे ही मैंने आखरी झटका दिया, मेरे अंडकोष जोर से पीछे हो गए और लंड बहुत अंदर तक चला गया, मेरा पानी निकल गया था !

    थोड़ी देर के लिए हम वैसे ही लेटे रहे।

    आरती ने बेड की चादर की ओर इशारा कर के कहा- आज मेरा कुंवारापन टूट गया !

    चादर खून से लाल हो गई थी ! फिर मैंने बाथरूम में जाकर कंडोम हटाया और लेट गया। आरती ने मेरे ऊपर चढ़ कर दूसरे दौर के लिए तैयारियाँ की ! जब मेरा लंड खड़ा हो गया तब मुझे भी बहुत तकलीफ होने लगी और उस रात आरती ने मुझे अपना पति मानकर मेरे साथ 5 बार सम्भोग किया।

    सुबह मुझे जाना था पर सिन्धी लड़की ने मेरी पूरी पॉवर चूस ली थी, मैं दोपहर को नींद से उठा। आरती भी उठ गई, उसने मुझे लम्बा किस किया और कहा- नाश्ता करके जाना !

    हम एक साथ नहाए और फिर आरती ने नाश्ता बना कर मुझे दिया ! जाते समय उसने मुझे और दो हज़ार रुपए और दिए और बाय किया।

    दोस्तो ! आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी ? मुझे मेल करके जरुर बताएं ! मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।

    robirtdecostta@gmail.com