केही कुरा

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Friday, October 1, 2010

आंटी की प्यास

मैं आमिर अलाहाबाद से हूँ, उम्र चौबीस साल है, मेरा लंड सात इन्च लम्बा है तीन इन्च मोटा है।

यह जो कहानी लिखने जा रहा हूँ वो कल की ही बात है। मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती है उसकी कहानी है। मुझे यह आंटी बहुत अच्छी लगती थी। क्या माल था। उसकी फ़ीगर 38-30-38 है। बड़े-2 चूतड़ और इतनी सेक्सी गाँड थी कि मेरा लंड उसको देख कर तन जाता था। गाँड का पूछो मत, मोटी मोटी गाँड ! जब जब वो चलती थी तो गाँड हिलती रहती। जब जब मैंने आंटी की गाँड देखा करता था मेरा लंड जोश में आ जता। आंटी बहुत ही सेक्सी थी। बेचारी आंटी अंकल के काम की वजह से एंजोय भी नहीं करती थी। उसके पति आर्मी ओफ़िसर थे, अक्सर बाहर ही रहते थे।

एक दिन मैं उनके घर गया, सोनिया आंटी अकेली थी। मैंने आंटी से पूछा कि सब लोग कहाँ है?

आंटी ने जवाब दिया कि अंकल का तो तुमको पता ही है और सभी बच्चे मामा के घर गये हैं। आज रात को नहीं आयेंगे।

फिर मैंने आंटी को कहा- ओके आंटी, मैं चलता हूँ।

आंटी ने मुझे रोक लिया और कहा- अभी रुक जाओ, मुझे नहाना है, तब तक तुम मेरे घर का ख्याल रखना। मैं अभी नहा कर आती हूँ।

आंटी नाइटी में थी, पिंक नाइटी में उनके वक्ष बड़े सेक्सी लग रहे थे, बोली- तू मेरा पीसी भी ठीक करके जाना ! खराब है !

मुझे नहीं पता था कि आंटी भी पीसी चलाना जानती हैं। मैं रुक गया आंटी नहाने चली गई।

मैं इनके बेडरूम में आंटी का इन्तज़ार कर रहा था कि अचानक मेरी नज़र बेड पर पड़ी, बेड पर तौलिया, पैंटी और ब्रा पड़ा था। ब्रा और पैंटी बहुत बड़ी थी। तकरीबन 15 मिनट बाद आंटी ने आवाज़ दी और कहा- तौलिया दे दो मुझे।

मैंने आंटी को तौलिया दिया फिर आंटी ने कहा- प्लीज़ मेरी पैंटी और ब्रा भी दे दो।

मैंने आंटी को पैंटी और ब्रा भी दे दी। अब आंटी नहा कर निकली। आंटी ने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था। आंटी की काली ब्रा नज़र आ रही थी।

अब मैंने आंटी को कहा- आंटी अब मैं चलता हूँ।

आंटी ने कहा- तुम्हें कुछ काम से जाना है क्या?

मैंने जवाब दिया- नहीं !

फिर आंटी ने मुझे कहा- रुक जाओ ! मैं अकेली बोर हो जाऊंगी। कुछ बातें वगैरह करते हैं।

मैं बैठ गया और आंटी अपनी लाइफ़ के बारे में बता रही थी। अब आंटी कुछ खुल कर बातें करने लगी। मेरे से पूछने लगी- तुम्हारी गर्लफ़्रेंड्स हैं या नहीं, कभी सेक्स किया है या नहीं।

मैं ऐसी बात सुन कर हैरान हो गया।

अब मैं भी खुल गया था। मैंने आंटी से पूछा- आंटी, आप को सेक्स पसंद है?

आंटी ने जवाब दिया- सेक्स हर किसी को पसंद होता है पागल।

क्या तुम्हें पसंद नहीं है आंटी ने कहा?

मैंने जवाब दिया- कभी किया ही नहीं है।

आंटी ने कहा- झूठ मत बोलो, मुझे मालूम है, तुम बहुत बुरे हो ! तुमने अपनी काम वाली को चोदा है और नेहा को भी, मुझे सब पता है और तुमने उन पर कहानी भी लिखी, मैंने भी तुम्हारी कहानी कल रात को पढ़ी थी और मेरी चूत गीली हो गई थी, जी करता था कि तुमको रात को ही अपने घर बुलाकर अपनी प्यास बुझा लूँ, लेकिन बच्चे घर पर थे। झूठ बोलता है, तूने अपना मोबाइल नम्बर भी दे रखा है, लेकिन मैंने सोचा जब घर आओगे तब ही बात करूंगी तुमसे। तेरी माँ को बोलना पड़ेगा कि तेरा विवाह कर दे।

मैं अचानक डर गया।

आंटी ने कहा- डरो मत, मैं कुछ नहीं कहूँगी ! मैंने तो तुमको नंगा भी देखा है।

मैंने आंटी से पूछा- कब देखा आप ने मुझे नंगा?

आंटी ने जवाब दिया- जब तुम मेरे घर के बाथरूम में पेशाब कर रहे थे। मैंने कुछ नहीं कहा। मेरी भी चूत प्यासी है क्या अपनी आंटी की प्यास नहीं बुझाओगे? कहानी में तो लिख रखा है गुलाम हाज़िर है, अब चुप क्यों बैठे हो? बोलो, अब तुम्हारा लंड प्यास बुझायेगा मेरी चूत की प्यास को?

मैं सोनिया आंटी की बातों से मन ही मन खुश हो रहा था, सोचा नहीं था कभी कि आंटी खुद तैयार हो जायेगी। मैं उनसे डरता भी था क्योंकि वो बहुत गुस्सेवाली है।

आंटी ने अब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा तो मुझे तब बहुत अच्छा लगा। मेरी आंटी बहुत प्यासी थी वो बिल्कुल गोरी थी। उनकी उमर 38 की थी लेकिन अभी भी बिल्कुल जवान लगती थी। ज़िंदगी में आज पहली बार 38 साल की औरत के साथ सेक्स करने जा रहा था।

अब आंटी ने मुझसे कहा- अपनी पैंट उतारो ! मैं भी देखूँ तुम्हारा प्यारा सा लंड।

मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैंने उस दन अंडरवियर नहीं पहना हुआ था। मैं अब नीचे से नंगा था।

आंटी मेरे पास आई और मेरी शर्ट भी उतार दी और मुझे पूरा नंगा कर दिया। आंटी को मेरा लंड बहुत अच्छा लगा। आंटी ने मेरा हाथ अपने वक्ष पर रखा और कहा दबाते रहो प्लीज़।

मैंने खूब दबाये आंटी के स्तन। आंटी को मज़ा आ रहा था। फिर आंटी ने अपनी कमीज़ उतारी फिर सलवार उतारी। फिर मेरे लंड को चूसने लगी। फिर मैं आंटी की ब्रा खोलने की कोशिश कर रहा था तो आंटी मुस्करा कर बोली- बेटा, मैं खोल देती हूँ।

फिर आंटी ने ब्रा खोल दी और पैंटी भी उतार दी। अब आंटी का गोरा गोरा जिस्म मेरे सामने पूरा नंगा था।

आंटी ने अपने बड़े बड़े स्तन मेरे लंड पर रख दिये और अपने वक्ष से मुझे चुदाई का मज़ा दे रही थी। कुछ देर बाद मैं आंटी की चूत को चाटने लगा। आंटी की सेक्सी सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी आआआआह्हहह्हह्ह ऊऊऊह्ह्हह बेटा आआआह्हह्हह्हह्हह ज़ोर से बेटा आआआह्हह्हह्हह्ह तेरी आंटी प्यासी है मेरी प्यास बुझा दे बेटा। आआआअह्हह्हह्ह।

आंटी ने कहा- अब अपना लंड मेरी चूत में डालो ! प्यासी है मेरी चूत, प्यास बुझाओ जल्दी।

मैंने आंटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से अपने कंधों पर रखा और चूत पर लंड रखा। आंटी की चूत टाइट हो रही थी। मैंने हल्का सा धक्का दिया तो आंटी की चीख निकल गई और आंटी ने कहा- आराम से डालो ! क्या जल्दी है तुमको?

मैंने कहा- आंटी, अब आराम से डालूँगा।

फिर मैंने हल्के हल्के झटके लगाने शुरु कर दिये। मेरे धक्कों से आंटी को मज़ा आ रहा था। आंटी की आवाज़ें निकल रही थी- ऊओह्हह्ह्ह ऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ हाआआ। और डालो और डाल आज मेरी चूत को मज़ा दे दो प्लीज़। तेज़ करो।

मैंने तेज़ कर दिया।

आंटी ने मुझे बेड पे मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत रख दी और ज़ोर-2 से हिलने लगी और चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह्हह बेटा बेटा आआआआह्हह्हह्हह्हह्ह मज़ा आ गया तुम्हारा लंड अब मेरी प्यास बुझा देगा !

और ज़ोर-2 से ऊपर नीचे होने लगी, ऐसे में मेरे लंड को भी दर्द हो रहा था। आंटी और मैं दोनों पागल हो गये और मैंने आंटी को उठा लिया और नीचे लिटा कर उनकी टांगें खोल दी और फिर से चुदाई शुरु कर दी, आंटी झड़ने वाली थी। हमको 15-20 मिनट हो गये थे और मेरा भी पानी निकलने वाला था।

आंटी ने कहा- अंदर नहीं निकालना।

मैंने कहा- ठीक है आंटी।

अब मैंने अपना लंड निकाल लिया और आंटी के स्तनों पर पानी निकाल दिया। फिर आंटी ने मेरा लंड चूसा और पानी पी गई। 15 मिनट तक हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे।

फिर मैंने आंटी से कहा- आंटी। मुझे आप की गाँड मारनी है।

आंटी ने जवाब दिया- आज से सब कुछ तुम्हारा है बेटा ! यह गाँड भी तुम्हारी है ! जब बोलोगे, दे दूंगी।

मैंने कहा- अभी मिल सकती है?

आंटी ने कहा- अभी क्यों नहीं।

आंटी ने फिर मेरे लंड को चूसना शुरु किया, 5 मिनट के बाद मैं आंटी की मोटी मोटी गाँड पर अपनी ज़बान फेरने लगा।

आंटी ने कहा- यह क्या कर रहे हो? आज तक किसी ने मेरी गाँड पर ज़बान नहीं फेरी !

मैंने जवाब दिया- आंटी एक ब्लू मूवी में मैंने देखा था।

आंटी ने कहा- तुमको तो बहुत कुछ पता है सेक्स के बारे में। अब आंटी कुतिया स्टाइल में थी और मेरा लंड बेचैन था मोटी गोरी गोरी मोटी मोटी गाँड में जाने के लिये।

आंटी ने कहा- आराम आराम से डालना ! यह चूत नहीं है गाँड है। बहुत दर्द होता है।

मैंने कहा- आंटी, आप फ़िक्र नहीं करें, मैं आराम से करूंगा।

मैंने अब आंटी की गाँड में हल्का सा झटका दिया, आंटी को दर्द हुआ, चीख निकल गई- आआआह्हह्ह हरामी बाहर निकाल ! फट जायेगी ! रहम कर आआआह्हह नो बेटा प्लीज़्ज़ अह्हह्ह ऊऊऊईईए माआ मम्मी आअह्हह्ह बाहर निकाल।

फिर मैंने अपनी स्पीड हल्की कर दी। अब हल्के हल्के मेरा पूरा लंड आंटी की गाँड में जा चुका था और आंटी को भी मज़ा आ रहा था। आंटी को भी बहुत मज़ा आया गाँड में लंड ले कर। मैंने आंटी को कहा- आंटी, पानी निकलने वाला है !

आंटी ने कहा- निकाल लो।

फिर आंटी ने सारा पानी फिर से पिया और लंड को चूसने लगी।

अब जब भी मौका मिलता है मैं आंटी की प्यास बुझाता हूँ।

इसे कहानी मत समझना ! यह हकीकत है !

aamir20a@yahoo.com

उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर

मेरा आप सभी को लण्ड हाथ में लेकर प्यार भरा नमस्कार।

मैं अर्न्तवासना का नियमित पाठक हूँ तथा बहुत दिनों से आपसे अपने जीवन की सच्ची कहानी कहना चाह रहा था लेकिन इससे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। खासकर उन सभी लड़कियों को जो अपनी चूत का अच्छे से भोसड़ा बनवाना चाहती हैं क्योंकि मेरा निजी अनुभव है कि जो लड़कियाँ स्वभाव से शान्त होती है उनमें ही कामवासना ज्यादा होती है और चूत मरवाने की इच्छा प्रबल होती है।

हाँ तो मैं अपनी बात कर रहा था कि मैं 22 साल का एक सांवले रंग का लेकिन र्स्माट दिखने वाला लड़का हूँ। मैं मूल रूप से कानपुर का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल नोएडा में अकेला रह रहा हूँ। लड़कियाँ कहती हैं कि मुझमें कुछ बात है जो उन्हें मेरी तरफ आकर्षित करती है। मेरे लण्ड की लम्बाई सात इंच तथा मोटाई तीन इंच है। मेरा शरीर गठीला है क्योंकि कॉलेज के शुरूआती दिनों से ही मुझे कसरत का शौक रहा है।

बात तब की है जब मैं पढ़ रहा था और मेरी बहन भी कॉलेज़ में थी। मेरी बहन मुझसे दो साल बड़ी है।

क्योंकि मैं स्वभाव से थोड़ा शर्मीला हूँ इसलिए उसकी कोई भी सहेली घर पर आती थी तो मैं किसी न किसी बहाने से बाहर चला जाता था। कई बार उसकी सहेलियों में से कई ने मुझसे बात करने की कोशिश भी की लेकिन मैं शर्म तथा बडी बहन की सहेली होने के कारण कुछ नहीं कह पाता था।

लेकिन कुछ दिनों बाद ही हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया। उनकी दो लड़कियाँ तथा एक लड़का था। चूंकि बड़ी लड़की मेरी दीदी की हम उम्र थी इसलिये उनकी अच्छी सहेली बन गई थी। बडी लड़की के साथ उसकी छोटी बहन भी घर पर आने लगी। उसका नाम सपना था और वो देखने में किसी सपने जैसी ही हसीन और सुन्दर थी।

वो और मैं दोनों ही उम्र के उस पड़ाव पर थे जब किसी के साथ की इच्छा होती है। लेकिन मैं जितना शर्मीला था वो उतनी ही बिन्दास स्वभाव की लड़की थी और मुझ पर अपना हक जमाने की कोशिश करती थी तथा किसी न किसी बहाने से मेरे आस-पास ही मंडराती रहती थी। उसकी इस तरह की हरकतें देखकर कर कई बार मेरी दीदी ने मना भी किया कि मेरे साथ इस तरह की हरकतें न किया करे लेकिन जानबूझ कर वह और भी ज्यादा हरकतें करने लगी और कभी भी मौका पाकर दीदी के सामने ही मजाक में मुझसे चिपट जाती हो और मेरे शरीर पर हाथ फेरने लगती।

मेरे मम्मी और पापा दोनी ही नौकरी करते हैं इसलिये मेरे घर पर दिन में चार घंटे कोई नहीं रहता था। मैं और मेरी दीदी एक ही स्कूल में पढ़ते थे लेकिन वो मोर्निंग शिफ्ट में स्कूल जाती थी और मैं बारह बजे दूसरी शिफ्ट में जाता था। जिस कारण सुबह नौ बजे से एक बजे तक कोई नहीं रहता था।

एक दिन की बात है मैं अपने घर में अकेला बिस्तर पर लेटा हुआ बोर हो रहा था कि तभी हमारे घर का दरवाजा खुला देखकर उनकी छोटी लड़की सपना घर पर आई और पूछने लगी- क्या कर रहे हो ?

मैंने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही मन नहीं लग रहा है इसलिये बोर हो रहा हूँ।

उसने कहा- मेरा भी यही हाल है !

यह कहकर वो भी मेरे बगल में आकर लेट गई। इससे मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगा। लेकिन शायद वो अब तक मेरे शर्मीलेपन के बारे में समझ चुकी थी इसलिये अपनी ओर से पहल करना चाह रही थी।

यह बात उसने मुझे बाद में बताई कि जब से वो यहाँ रहने आई है तब से ही वो मुझसे चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं शर्मीला होने के कारण उसकी बातों को उसकी नासमझी समझ कर ऐसे ही जाने दे रहा था।

धीरे-धीरे उसका जिस्म मुझसे छूने लगा जिससे मेरे जिस्म में सरसराहट होने लगी लेकिन शायद मैंने सोचा कि शायद पास लेटने की वजह से अनजाने में ऐसा हो गया है, यह सोचकर मैं थोड़ा पीछे खिसक गया। इसके बाद वो मेरी जाघों पर हाथ फेरने लगी।

मैंने नासमझ की तरह उससे पूछा- यह क्या कर रही हो?

तो वह कहने लगी- अरे मुझे पता ही नहीं चला यह तुम्हारी जांघें हैं।

मैंने कहा- कोई बात नहीं !

और यह कहकर मैं भी उसके हाथों पर हाथ फिराने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने भी हाथ उसकी बगल तक ले जाकर फिराने शुरू कर दिये। लेकिन उसकी चूचियों को पकड़ने की इच्छा होने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को हाथ नहीं लगाया। लेकिन उसने थोड़ा सा तिरछा होकर अपने हाथ अपने सीने की तरफ कर लिये जिससे मेरे हाथ उसकी चूचियों को थोड़ा-थोड़ा सा छूने लगें। उसकी चूचियाँ अभी ही निकलनी शुरू हुई थी इसलिये एक दम कड़क थी और उसकी बटन वाली टीशर्ट उठी हुई होने के कारण दिखाई दे रही थी।

धीरे-धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने उसकी चूचियों पर थोड़ा सा दबाब बनाना शुरू कर दिया। वो शायद समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को दबाना चाह रहा हूँ और वो तो कब से यही चाहती थी। लेकिन लड़की होने के कारण स्वयं नहीं कह पा रही थी।

लेकिन हाय री मेरी फूटी किस्मत ! तभी उसकी मम्मी ने उसे आवाज लगाई और वह जल्दी से उठकर चली गई।

लेकिन मैंने सोचा- जब यहाँ तक बात पहुँच गई है तो कभी न कभी आगे भी बढ़ेगी।

लेकिन शायद मेरी किस्मत में महा-चुदक्कड़ बनना ही लिखा था इसलिये मेरी किस्मत ने मुझे जल्दी ही वह मौका दे दिया।

मेरे मम्मी और डैडी को ऑफिस के एक जरूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा और घर पर सिर्फ मेरी बहन और मैं ही रह गये। क्योंकि हम दोनों ही भाई-बहन कम उम्र के थे इसलिये मम्मी-डैडी कह गये कि अपनी किसी सहेली को रात को सोने के लिये बुला लें। इसलिये वो सपना की बड़ी बहन को सोने के लिये बुलाने के लिये गई लेकिन उसने अगले दिन अपनी परीक्षा होने के कारण "रात को पढ़ना है" यह कहकर आने से मना कर दिया और सपना को दीदी के साथ भेज दिया।

जब सपना दीदी के साथ आई तो मैंने देखा कि वो मुझे अजीब सी नजरों से मुझे देख रही थी और उसकी आँखों में एक खास चमक थी जैसे कोई शेरनी बकरी के बच्चे को देख कर खुश हो जाती है। वैसे यह काफी हद तक सच भी था क्योंकि वो इस फील्ड की शेरनी ही थी और मैं एक बकरी के बच्चे की तरह सीधा-सादा सा लड़का था। लेकिन तब तक मैं इस बात को नहीं जानता था कि वो इन मामलों में इतनी एक्सपर्ट है कि किसी लड़के को कैसे पटाया जाए।

क्योंकि उस दिन घर पर मम्मी डैडी नहीं थे इसलिये मैं दिन भर बाहर खेलता रहा और थकान हो जाने के कारण खाना खाकर जल्दी सोना चाह रहा था। लेकिन जैसे सपना की आँखों में तो नींद ही नहीं थी। वो तो आज रात में मुझसे जरूर ही चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं भोला-भाला बालक इस सब से अनजान सोने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे खिलाफ इतनी भयानक साजिश रची जा चुकी थी।

उधर थकान की वजह से मुझे नींद आ रही थी और सपना और दीदी बातें करने में लगी हुई थी जिस वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी। हम सभी तीनों लोग बैडरूम में एक साथ सो रहे थे। क्योंकि दीदी ने कहा कि घर में सिर्फ हम ही लोग हैं इसलिये एक साथ ही सो जाते हैं लेकिन साथ सोने का यह आइडिया भी सपना का ही था। सपना दीदी और मेरे बीच में लेट गई और दीदी के साथ बातें करती रही। लेकिन मुझे थकान की वजह से जल्दी ही गहरी नींद आ गई और मैं सो गया।

अचानक रात में मुझे अपने जिस्म पर किसी के हाथ का अहसास हुआ लेकिन शायद बिजली चली गई थी जिससे मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि वो हाथ किसका है। तभी मेरे बगल वाला जिस्म मुझसे और सट गया मैं समझ गया कि यह सपना ही है जो मुझे गर्म करने की कोशिश कर रही है। धीरे-धीरे उसने अपना हाथ मेरे चेहरे के पास लाकर मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया और मेरे गालों पर किस करने लगी।

कुछ देर बाद मुझे भी जोश आने लगा। लेकिन मैंने अभी जल्दीबाजी करना ठीक नहीं समझा। सच कहूँ तो मैं देखना चाहता था कि वह क्या करती है। मैंने अभी तक उसे यह अहसास नहीं होने दिया कि मैं नींद से जाग गया हूँ और बिजली जाने की वजह से यह काम और भी आसान हो गया था। वो भी नहीं चाहती थी कि मैं एक दम से जाग जाऊँ क्योंकि बगल में दीदी सो रही थी और हड़बड़ी में वो भी जाग सकती थी। इसलिये वह एक दम आराम से सबकुछ कर रही थी।

अचानक मुझे एक आइडिया आया और मैं करवट लेकर उसकी तरफ पलट गया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने सोचा शायद मैंने यह नींद में किया है इसलिये उसने मेरे हाथ को अपनी एक चूची पर कस कर दबा लिया। इससे ज्यादा मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उसकी चूची कस कर पकड़ ली और धीर से कहा- यह तुम क्या कर रही हो सपना ?

मेरी इस बात से वो एकदम चौंक गई। उसे अदांजा नहीं था कि मैं जाग रहा हूँ और ये सब मेरी ही मर्जी से हो रहा था।

उसने कहा- जब तुम सब कुछ समझ ही गये हो तो अनजान क्यों बने हुए हो। यह कहकर वो मेरे ऊपर लेट गय और अपने गर्म और नर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैंने भी धीरे-धीरे उसके होंठ चूसने शुरू कर दियें। क्योंकि यह मेरा होंठ चुसाई का पहला मौका था इसलिये मुझे शुरूआत में उसके होंठ चूसने में थोड़ी सी परेशानी हुई लेकिन फिर मैंने सब कुछ सम्भाल लिया। फिर मैंने उससे कहा कि यहाँ खतरा है क्योंकि थोड़ी सी हरकत से दीदी की नींद खुल सकती है। इसलिये दूसरे कमरे में चलते है।

मैंने उसे अपने ऊपर से उठाया और बगल वाले दीदी के कमरे में ले गया। क्योंकि चांदनी रात थी इसलिये उस कमरे में थोड़ी-थोड़ी रोशनी फैली हुई थी। मैंने उसे बैड पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। होंठ चूसने के साथ-साथ मैं उसके नाईट सूट के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी चूचियाँ नींबू के समान छोटी-छोटी थी लेकिन बहुत ही ज्यादा कड़क थी। फिर मैंने उसे उठाया और उसका नाईट सूट उतार दिया। अब वो सिर्फ पेन्टी में ही रह गई क्योंकि वो उसकी चूचियाँ निकलने का शुरूआती दौर था और उस समय वो ब्रा नहीं पहनती थी।

मैंने उसे लिटाया और उसकी टाईट और छोटी-छोटी चूचियों को मसलने लगा। वो एकदम कराह कर बोली- प्लीज विनय, धीरे-धीरे दबाओ ! बहुत दर्द होता है ! अभी बहुत टाईट हैं।

हालांकि उसकी तकलीफ मुझसे भी देखी नहीं जा रही थी लेकिन मैं क्या करूं, मुझे उसकी टाईट चूचियों को जोर से दबाने में ही मजा आ रहा था।

धीरे-धीरे वो पूरी तरह गर्म हो गई और मुझसे कहने लगी कि विनय अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो। तुमने तो मेरे पूरे शरीर के दर्शन कर लिये अब मैं भी तुम्हारा हथियार देखना चाहती हूँ। मैंने तुरन्त अपना नाईट सूट उतार दिया और उस चांदनी की हल्की रोशनी में वो मेरे हथियार को हाथ में लेकर घूरते हुये सहलाने लगी।

मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो।

पहले तो उसने आना-कानी की लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो तैयार हो गई। उसने मेरे लण्ड को चूस-चूस कर गीला कर दिया।

फिर मैंने उससे कहा- अब मेरी बारी है ! तुम सीधी होकर लेट जाओ और अपनी टांगों को फैला लो।

और उसके बाद मैंने उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर अपने होंठ टिका दिये। उसकी चूत बहुत छोटी सी सीप के आकार की बड़ी प्यारी लग रही थी। उसकी चूत चाटने में मुझे एक अलग ही मजा आया। धीरे-धीरे उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।

अचानक उसने मेरे बालो को पकड़ा और जोर से अपने ऊपर खींचा और कहा- क्या ऐसे ही जान ले लोगे? चलो अब असली काम करो।

मैं समझ गया कि वो मुझे अपने आपको चोदने के लिये कह रही है। मैंने देखा कि मेरा लण्ड अब अपनी पूरी मस्ती में था और किसी भी लड़की को चोदने के लिये एकदम तैयार था। मैंने उसकी टांगों को फैला कर लण्ड के टोपे को उसकी भीगी हुई चूत पर टिकाया लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी लण्ड का टोपा भी उसके अन्दर नहीं घुसा पाया। कारण कि हम दोनों ही इस काम के लिये नये थे। उसे तो कुछ जानकारी भी थी, मैं तो बिल्कुल ही नया माल था इसलिये अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसा नहीं पा रहा था।

दोस्तो आपको बता दूँ यदि आप नौसिखिये है और पहली बार किसी बिना सील टूटी लड़की के साथ चुदाई करने की सोच रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाये वरना आप भी मेरी तरह ही परेशान होगें। तभी मुझे अपने दोस्त की सुहागरात की बात याद आई जब उसे भी यही परेशानी हुई। लेकिन उसे उसकी भाभी ने बता दिया था कि यदि लण्ड चूत में न घुसे तो उसे या तो घोड़ी बना कर उसकी चूत में घुसाये या फिर एक टांग उठाकर लण्ड अन्दर घुसाने की कोशिश करें, तो ही काम बन सकता है।

मैंने भी वही फार्मूला अपनाने का फैसला किया। लेकिन सबसे पहले एक जरूरी काम करना बाकी था। मैं फ़ौरन उठकर ड्रेसिंग टेबल से उठाकर कोल्ड क्रीम की डिब्बी ले आया और उसके हाथ में देते हुए बोला- अगर चुदवाना है तो इससे मेरे लण्ड पर अच्छी तरह लगाना होगा।

उसने एक चौथाई क्रीम डिब्बे में से निकाली और मेरे लण्ड पर लगानी शुरू कर दी। उसके बाद मैंने भी काफी सारी क्रीम लेकर उसकी चूत पर अन्दर और बाहर की ओर लगाने लगा। लेकिन उसकी चूत टाईट होने के कारण उंगली ज्यादा अन्दर नहीं जा रही था फिर भी जहाँ तक हो सका, मैं क्रीम लगाता रहा।

उसके बाद मैंने उसकी एक टांग उठाकर अपने कन्धे पर रखी तो उसने पूछा- क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं ! तेरी माँ चोदने की तैयारी कर रहा हूँ ! आधी रात निकाल दी और कुछ भी नहीं हुआ।

मेरी इस तरह की बात सुनकर पहले तो वो चौंक गई लेकिन फिर समझ गई कि अब लण्ड के साथ-साथ मुझमें भी गर्मी आ गई है। मैंने उसकी टांग को अपने कन्धे पर टिकाया और उंगली से उसके चूत के छेद को टटोलकर उस पर अपने लण्ट का टोपा सेट कर दिया ताकि एक ही झटके में अन्दर घुस जाए।

जैसे ही मैंने लण्ड को झटका दिया। लण्ड पर बहुत सारी क्रीम लगी होने के कारण वो एक दम से दो-इंच उसकी चूत में घुस गया। उसके मुँह से एक दम एक जोर की चीख निकली- आई मम्मी ! मर गईऽऽऽ !

मैंने एकदम घबराकर उसका मुँह अपने एक हाथ से बन्द किया और दूसरा धक्का नहीं लगाया। उसके इस तरह चीखने से मैं डर गया था कि कहीं दीदी न जग गई हो और अगर इस हालत में मैं एक झटका और मार देता और अगर वो फिर से चिल्ला देती तो सारा गुड़-गोबर हो जाता।

मैंने मुँह दबाये हुये ही कहा- मरवाओगी क्या? जबसे तो चुदने के लिये तड़प रही थी और अब चिल्ला-चिल्ला कर पूरे मुहल्ले को इकट्ठा कर रही है।

उसने मुझे मुँह से हाथ हटाने का इशारा किया। पूरी तरह आश्वस्त होने पर मैंने उसके मुँह पर से हाथ हटा दिया। मेरे हाथ हटाने के बाद उसने कहा- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा। मेरी सहेलियों ने तो कहा था कि थोड़ा सा ही दर्द होगा और बहुत मजा आयेगा। लेकिन अभी तो मेरी जान ही निकली जा रही है। और चूत में तो ऐसा लग रहा है कि जैस किसी धारदार चीज से चीर दी गई हो।

मैंने उसकी चूचियाँ एक हाथ से दबानी और और एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी। जिससे उसे थोड़ा सा आराम मिला और कुछ दर्द का एहसास कम हो गया।

दर्द का एहसास कम हो जाने पर मैंने उससे पूछा- अब बाकी लण्ड भी अन्दर घुसा दूँ?

तो उसने कहा- हाँ, पर ध्यान से और धीरे-धीरे। पिछली बार के झटके का दर्द अभी तक मेरे जेहन में है।

मैं समझ गया कि अब मामला जल्दी से निपटाना पड़ेगा वरना कोई भी गड़बड़ हो सकती है।

लेकिन अब तक एक तरीका मेरे दिमाग में आ गया जिससे मैं लण्ड भी उसकी चूत में अन्दर घुसा दूंगा और वो चिल्लायेगी भी नहीं। क्योंकि मेरी सारी चिन्ता उसके चिल्लाने से ही थी क्योंकि दीदी बगल के कमरे में ही सोई थी ओर कभी भी जाग सकती थी। मैंने उसकी चूची छोड़ कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये। जैसे ही उसे मदहोशी छाने लगी और उसकी हथेलियो का कसाव मेरे सिर और पीठ पर पड़ा। मैंने एक जोर का झटका मारा और लण्ड आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। उसकी दर्द के मारे चीखने की कोशिश की, मगर उसके होंठ मेरे होंठों के कब्जे में थे इसलिये वो चिल्ला नहीं सकी और तड़प कर ही रह गई।

मैंने देर न करते हुए दो झटके और मारे और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक उतार दिया। दर्द के मारे उसने अपनी कमर को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ मरोड़ना शुरू कर दिया लेकिन मेरी पकड़ से ना तो उसके होंठ ही छूटे और न मेरे लण्ड ने उसकी चूत को छूटने दिया।

मैंने होंठ को चूसने के साथ ही उसकी चूचियाँ भी दबानी शुरू कर दी। लगभग पाँच मिनट के बाद उसे कुछ आराम मिला तो उसने अपनी आँखें खोली और मैंने भी उसके होंठो को छोड़ कर उसके चेहरे की तरफ देखा। आँसुओं की दो लम्बी रेखायें उसके गालों पर बनी हुई थी। दर्द से उसकी आंखें लाल हो चुकी थी। लेकिन मेरे लण्ड के उसकी चूत में घुस जाने की एक खुशी भी उसे थी। यह बात उसने मुझे बाद में बताई।

अब धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत में बुरी तरह फंसे अपने लण्ड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। उसकी चूत बहुत टाईट थी लेकिन क्रीम लगी होने की वजह से लण्ड धीरे-धीरे आगे पीछे हो रहा था। थोड़ीदेर के बाद उसे मजा आने लगा और उसकी चूत गीली होने की वजह से लण्ड अब आराम से आगे पीछे होने लगा। मैंने अब जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये और वो भी गांड हिलाकर मेरा साथ देने लगी।

फिर पाँच-सात मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों शान्त हो गये। मैंने जब उसकी चूत से लण्ड निकाला तो पकक्‌ की एक अजीब सी आवाज बाहर आई। जैसे ही हम दोनों खड़े हुए, एकदम लाईट आ गई। मैंने देखा उसके चूत के खून से मेरा लण्ड लाल हो गया था और बिस्तर पर बिछी चादर पर खून लगने की वजह से खराब हो गई।

मैंने कहा- यह क्या हो गया ? अब दीदी को सब पता चल जायेगा और वो मुझ पर बहुत नाराज होगी। चादर जल्दी से धोनी पड़ेगी वरना बहुत गड़बड़ हो जायेगी।

लेकिन उसने कहा- घबराओ मत ! मैं चादर को धो दूंगी।

मैंने कहा- ठीक है ! लेकिन पहले एक बार और चुदाई का मजा लेंगे उसके बाद धुलाई कार्यक्रम होगा।

उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा लेकिन उसने गाण्ड नहीँ मरवाई और मैंने भी कोई जिद नहीं की। इस तरह हमने रात के 12.15 से लेकर सुबह के तीन बजे तक चुदाई की और चादर धोकर सोने चले गये।

सुबह दीदी ने हमे 8.00 बजे जगाया और कहा- तुम दोनों तो जल्दी उठ जाते हो तो फिर आज क्या हो गया।

मैंने बहाना बनाया- आपने और सपना ने ही तो बात कर-कर के सोने नहीं दिया।

तभी दीदी ने पूछा- मेरे कमरे के बिस्तर पर यह नई चादर कहाँ से आई?

तो मेरे पास उस सवाल का कोई जबाब नहीं था। तभी बीच में ही उसकी बात काट कर सपना बोली- कल शाम तुमने ही तो सफाई के बाद पुरानी चादर हटाकर नई चादर डाली थी।

मैं उसकी तरफ देखकर धीरे से मुस्करा दिया। क्योंकि हम दोनों ही जानते थे कि चादर कैसे बदली थी।

उसके बाद उसे जब भी मौका मिलता वो मुझसे जरूर चुदवाती। मैं आज भी उसे अपना चुदाई का गुरू मानता हूँ और चाहता हूँ कि फिर उसे चोदने का मौका मिले। क्योंकि उस घटना के तीन महीने बाद ही मेरे मम्मी और डैडी कानपुर से नोएडा चले आये। तब से मैं यहीं रहता हूँ।

लेकिन मैं अभी तक पूरी तरह चुदक्कड़ नहीं बना था। यह तो सिर्फ शुरूआत थी। असली ट्रेनिंग तो नोएडा आने के बाद शुरू हुई। जो मैं आपसे अगली कहानी में बताऊँगा।

अब मुझे अपनी चूचियाँ दबा कर विदा कीजिये।

आपका नादान विनय पाठक।

प्यारे दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी। मुझे जरूर बताना।

vinay_1285@rediffmail.com



    अपना हाथ उसके मम्मे पर

    हाय ! मैं हूँ राहुल, चंडीगढ़ का रहने वाला एक आज़ाद ख्यालों वाला युवक। मेरी कहानी सिर्फ आप लोगों को उत्तेजित करने के लिए है, इसका मकसद अपनी सेक्स शक्ति का बखान करने के लिए नहीं है। सो, पढ़िए और मज़ा लीजिये।

    चंडीगढ़ में हमारा लड़के-लड़कियों का ग्रुप होता था, जो हर रोज़ शाम को गेड़ी रूट पर मौज मस्ती करते थे। हमारे ग्रुप में सभी की जोड़ी बनी हुई थी। मेरी भी एक पार्टनर थी नेहा ! जो इतनी खूबसूरत तो नहीं थी, पर हमें कौन सा शादी करनी थी। शुरू शुरू में मैं उसे लेकर ग्रुप में घूमता था, धीरे धीरे हम लोग अकेले घूमने लगे। मैंने उसे पहले दिन ही कह दिया था कि मेरे साथ भावुक होने की कोई ज़रुरत नहीं, लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में मुझे शादी के चक्कर में फ़ंसाने की बात थी।

    धीरे धीरे हम लोग शाम को मेरी कार में 2-3 घंटे इधर उधर घूमने लगे। एक दिन मैंने मौका पा कर उसे चूम लिया। वो एकदम से घबरा गई पर उसे भी मज़ा आया। फिर हमारी मुलाकातों में चूमा-चाटी का दौर चलने लगा। हम सुनसान जगह पर गाड़ी पार्क करके पहले बातें करते, फिर धीरे-धीरे किस्सिंग शुरू हो जाती।

    एक दिन मैंने उतेजना में आकर धीरे से अपना हाथ उसके मम्मे पर रख दिया। उसने हाथ वहीं पकड़ के नीचे कर दिया। मैंने चूमना चालू रखा, और दो मिनट बाद फिर से मम्मा दबा दिया। उसने फिर से मेरा हाथ हटाने की कोशिश की पर मैंने नहीं हटाया। उसने हार मान कर मज़ा लेना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा का हुक खुल दिया और फिर मैं जैसे जन्नत में पहुँच गया। एकदम गोरे गोरे माखन जैसे मम्मे देख कर मैं पागल होकर उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। नेहा भी वासना की आग में अआह आआह्ह की आवाजें निकलने लगी, उसके निप्पल चूस चूस कर मैंने लाल कर दिए।

    बस फिर क्या था, अब रोज़ का यही सिलसिला चलने लगा। मैं घंटों उसके मम्मे दबाता, उन्हें जी भर के चूसता। कुछ दिन यही खेल चला और मैं बीच बीच में उसे चेताता भी रहता कि यह सिर्फ अपनी दोस्ती है, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। पर वो शायद किसी उम्मीद में मुझे आगे बढ़ने दे रही थी।

    ऐसे ही एक दिन हम मोरनी हिल्स के रास्ते पर सुनसान सी जगह पर गाड़ी रोक कर प्यार करने लगे। मैंने झट से उसके मम्मों को दबाना, चूसना शुरू कर दिया। नेहा की साँसें तेज़ होने लगी। मैंने उसकी चूत के ऊपर हाथ फिराया और धीरे से उसकी जींस की जिप खोल के अन्दर चिकनी चूत पर ऊँगली फिराई। चूत एकदम से साफ़ और मखमली थी। मैंने अन्दर ऊँगली डाल के जैसे ही घुमाई, नेहा के मुँह से आआअयीईइ की आवाज़ निकली। उसकी चूत एकदम गीली थी। मैंने उसे ऐसे तड़पाना शुरू किया कि वो पागल हुई मुझसे लिपटी जा रही थी।

    मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी जींस के ऊपर से अपने लौड़े पर रख दिया। नेहा ने झिझकते हुए उस पर हाथ फेरना शुरू किया। मैंने मौका देख कर जिप खोल के अपना सात इंच के लौड़े को बाहर निकाल कर उसके हाथ में दे दिया। उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया। मैंने सर पकड़ा और झट से लौड़े को उसके मुँह में डाल दिया। नेहा ने हैरान होकर मुझे देखा, पर मैं कहाँ मानने वाला था। उसने धीरे धीरे सुपारे को चूसना शुरू किया और मैं जन्नत में !

    दस मिनट लौड़े को चूसाने के बाद मैंने अपना रस उसके मुँह में ही छोड़ दिया। वो आधा घंटा सबसे हसीं लम्हे थे।

    उसके बाद हमारा यह सिलसिला जारी रहा, मैं रोज़ उससे लौड़े को चुसवाता, शायद उससे भी मज़ा आता था।

    फिर एक दिन मैंने उसके साथ अपने दिल्ली के टूर की सेट्टिंग की। मैं एक तरफ से दिल्ली पहुंचा, और वो अपने माँ बाप को बहाना बनाकर दिल्ली पहुँच गई। वहाँ मिलते ही हम दोनों ने एक होटल में कमरा ले लिया पति पत्नी बनकर।

    कमरे में घुसते ही मैंने उसे बिस्तर पर गिराकर सारे कपड़े उतार फैंके। धीरे धीरे उसके मम्मों का सारा रस पी गया, निप्पल चूस चूस के लाल कर दिए।

    मुझसे इंतज़ार नहीं हो रहा था, मैंने झट से अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया, वो मज़े से चूसने लगी।

    अब मुझे इंतज़ार था उस चिकनी चूत का, जिसने मुझे इतना तड़पाया था। लौड़े को उसकी चूत के ऊपर रख कर जैसे ही मैंने धक्का लगाया, सीधा स्वर्ग में पहुँच गए हम दोनों ! फिर चुदाई का वो खेल शुरू हुआ कि दो दिन हमने न जाने कितनी बार चुदाई की, हम खुद भी नहीं जानते।

    उसके बाद हम दोनों ने न जाने कितने मज़े एक साथ लूटे, कितनी बार चुदाई की, पर मैंने उससे एक बात साफ़ शब्दों में कह दी थी कि हमारी दोस्ती सिर्फ शारीरिक सुख तक सीमित है। फिर हम दोनों की शादियाँ हो गई और हम फिर कभी नहीं मिले पर वोह हसीं लम्हें आज भी आनंदित कर जाते हैं।

    luvbytes4u@yahoo.com

    आँटी के ख्यालों के चक्कर में

    हाय दोस्तो, मुझे हिंदी लिखनी नहीं आती पर कोशिश कर रहा हूँ, मेरी गलतियों को नज़रान्दाज़ कर दें।

    मेरा नाम राज है, मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। मैं जब भी अपने घर जाता था तो हमेशा पड़ोस की आँटी को चोदने के बारे में सोचता रहता था।

    इस बार जब मैं अपने घर गया तो मेरे ऊपर कृपा हो ही गई, मुझे चोदने का मौका मिल ही गया। मैं जिम जाने लगा था जिसका असर मुझे घर पर मालूम चला। आँटी के पति दुबले पतले थे और दिन भर को़र्ट में रहते थे।

    उस दिन आँटी का हीटर ख़राब हो गया था। हमारे शहर में कई लोग हीटर पर खाना बनाते हैं। आँटी का भी खाना नहीं बना था, मैं गाय को रोटी देने बाहर आया तो आँटी बोली- राज, मेरा हीटर खराब हो गया है, उसे सुधार दो !

    मैंने मजाक में कहा- आप तो खुद ही इतनी गर्म हो कि तपेली को हाथ से पकड़ लो तो पानी भाप बन जाये !

    वो हंस दी, मैंने आज तो रास्ता साफ समझा और उनका हीटर सही करने उनके घर आ गया। उनकी लड़की जो दसवीं में है, स्कूल जा रही थी।

    मैं हीटर को सही करने लगा, उनसे टेस्टर माँगा तो वो उसे लेकर खुद ही हीटर की स्प्रिंग को चैक करने लगी। तब उनके बड़े बड़े स्तन उनके ब्लाउज़ से बाहर दीखने लगे थे। मन तो कर रहा था कि उनके स्तनों को पकड़ कर मसल डालूँ पर मर्यादा मुझे रोक रही थी।

    तब मैंने उनसे टेस्टर लेना चाहा तो उनका हाथ मेरे हाथ से छू गया। मुझे लगा कि आँटी इतनी हॉट हैं, अंकल की तो रोज जन्नत की सैर है।

    मैंने जब स्प्रिंग से टेस्टर छुआ तो मेरे आँटी के ख्यालों के चक्कर में मुझे करंट का एक झटका लगा, मैं लगभग बेहोश हो गया था। आँटी घबरा गई और उन्होंने पानी लाकर मेरे ऊपर डाला और मुझे अपनी गोद में ले लिया और मुझे उठाने लगी।

    मेरा सीना एकदम उभरा था जो शर्ट का बटन खुला होने से आँटी को दिख रहा था। आँटी ने अपना एक हाथ मेरी शर्ट में डाल दिया और धीरे-धीरे मेरे सीने पर फ़िराने लगी।

    मुझे होश आने लगा था, आँटी बड़े प्यार से अपना गर्म हाथ मेरे 40 इंच के सीने पर घुमा रही थी।

    मेरा लंड घोड़े के लंड की तरह धीरे धीरे बढ़ने लगा था जो मेरे रीबोक की चड्डी से बाहर निकलने को तरस रहा था और आँटी मेरे सीने को रगड़े जा रही थी।

    अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मैंने अपनी आंख खोल दी। वो एकदम से मुझसे अलग हो गई।

    मैंने बोला- आँटी करो ना ! मुझे मजा आ रहा है।

    उसने पूछा- पहले कभी सेक्स नहीं किया ?

    मैंने मना कर दिया- नहीं !

    मेरा दिमाग गर्म हो रहा था कि अगर आज सेक्स नहीं कर पाया तो मैं मर जाऊँगा।

    वो शायद मेरी अवस्था समझ चुकी थी, वो मेरे पास आई और हाथ को चूमने लगी। मुझे कुछ होने लगा था। उसने धीरे से मेरे माथे को चूम लिया। मेरा लंड जोर जोर से सांस ले रहा था। आँटी की भी सांसें गर्म होने लगी थी। फिर वो मेरी दोनों आँखों को चूमने लगी। मेरी तो हवा ख़राब होने लगी थी। वो इतनी गोरी थी कि अगर हाथ रख दो तो लाल हो जाये।

    उसने मेरे दोनों हाथ अपने वक्ष पर रख दिए और बोली- इनको दबाओ !

    वो मुझे अनाड़ी समझ रही थी। मैंने अपने हाथ उसके नर्म-नर्म बोबों पर घुमाने शुरु कर दिए। वो मचलने लगी और मेरे मसल्स को सहलाने लगी।

    मैंने धीरे से उसकी साड़ी के अंदर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत के दाने को छू लिया।

    वो सिसकने लगी और बोली- तेरे अंकल को तो कोर्ट से ही समय नहीं है, मैं सात महीने से अपनी प्यास मोमबत्ती या अपने हाथ से मिटा रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दे, तेरा मुझ पर उपकार होगा।

    मैं उसकी चूत को रगड़े जा रहा था, उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और रगड़ने लगी। मैंने उसके पेट पर हाथ रखा तो वो स्प्रिंग की लहरों की तरह हिलने लगा। अब हमारी धड़कने बढ़ चुकी थी। मैंने अपना लंड उसके कहने पर उसके दोनों बोबों के बीच रख दिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।

    उसके बाद वो मुझसे बोली- लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करो !

    मेरी उत्तेजना की सीमा पार हो रही थी, साथ ही मजा भी बढ़ता जा रहा था। मेरी सांसें तेज होने लगी थी। मेरा लंड ठीक उसके मुँह के पास आ जा रहा था। वो अपनी जीभ से उसे चाटने की कोशिश कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरा लंड जैसे दो रुई के गोलों के बीच में हो जिनको हल्का गर्म कर दिया हो।

    तभी वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- और जोर लगाओ अह अहअहहहह अहह हहहहहहह ...........

    उसने मेरे कूल्हे कस कर पकड़ लिए और एकदम ढीली हो गई .....

    lovebycall@gmail.com

    

    तुम्हारी चूची के बारे में

    मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इसमें लोग कुछ तो काल्पनिक कहानी लिखते हैं और कुछ कुछ ही सच्ची होती हैं। किसी का आज तक तीन इंच चौड़ा लंड देखा है? गधे का भी दो इंच चौड़ा होता है। वो फिर क्या गधे का बाप है। कोई बात नहीं मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह सच्ची है, आप लोग इसे सच माने या झूठ !

    मैं राजवीर बीस साल का हूँ। मैं यहाँ फरीदाबाद में रहता हूँ। यहाँ हमारा पूरा परिवार है। हमारा घर में दो कमरे खाली रहते थे। हमने वो किराये पर देने का सोच लिया था। बात तीन साल पहले की ही है। हमारे घर एक परिवार आया उस परिवार में एक बुड्ढा आदमी था और उसकी एक 19-20 साल की एक बेटी होगी। उसका बाप दो हफ्ते भर रहा और फिर गाँव चला गया। उसकी बेटी अकेली ही रहती थी। उसकी पढ़ाई पूरी हो गई थी और नौकरी भी नहीं करती थी। सारा दिन घर पर ही रहती थी। उन दिनों मेरी डांस की प्रैक्टिस चल रही थी।

    एक दिन उसने कहा- मुझ को भी डांस सिखा दो।

    मैंने उससे कहा- अभी नहीं, बाद में !

    वो मान गई।

    शाम को घर में कोई नहीं था। सिर्फ वो और मैं। मैं टीवी देख रहा था। वो आई और कहने लगी- अब डांस सिखा दो !

    तो मैंने पूछा- तुम डांस सीख कर क्या करोगी?

    वो कहने लगी- कुछ नहीं ! बस ऐसे ही।

    मैंने मना कर दिया तो वो मेरी मिन्नत करने लगी। सो मैं भी मान गया।

    मैंने गाना लगा दिया और उसे डांस का एक स्टेप कर के दिखाया। वो मेरे स्टेप्स की कॉपी करने लगी। उसने सूट पहन रखा था तो उसको नाचने में दिक्कत हो रही थी पर उसकी चूची को देख कर, जो हिल रही थी, मेरा लंड भी हिल रहा था। वो डांस करते करते रुक गई।

    मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?

    उसने कहा- परेशानी हो रही है इन कपड़ों में !

    मैंने मजाक में कह दिया- कपड़े उतार कर डांस कर लो।

    वो शरमा गई और चली गई।

    मैं भी उसके पीछे गया। वो मुँह छुपा कर लेट गई।

    मैंने कहा- मैं तो मजाक कर रहा था ! तुम बुरा तो नहीं मानी।

    उसने कहा- इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है? मजाक ही तो किया था।

    हम वहीं बैठ कर बातें करने लगे।

    उसने मुझसे अचानक पूछ लिया- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?

    मैंने कहा- हाँ ! हैं तो कई ! पर क्यों।

    उसने कहा- किसी के साथ सेक्स सम्बन्ध बनाये हैं या नहीं?

    मैंने कहा- तुम्हें क्यों बताऊँ।

    उसने कहा- मैं तुम्हारी दोस्त नहीं हूँ क्या? मुझे बता नहीं सकते?

    मैंने उससे कहा- हमने दोस्ती कब की?

    उसने कहा- अब कर लो।

    मैंने कहा- तुम बड़ी वो हो।

    उसने कहा- वो मतलब क्या?

    मैंने कहा- वो मतलब सेक्सी !

    उसने अपना हाथ मुँह पर रख लिया। मैंने उसका चुम्बन ले लिया।

    वो गुस्सा हो गई और कहने लगी- अभी तुम्हारी मम्मी को बताउँगी।

    मैं डर गया और वहाँ से चला आया।

    रात को मैं छत पर ही सोता हूँ। मैं छत पर सोया था, मेरे सामने रीमा की चूची थी। मैं उसके बारे में सोच कर मुठ मार रहा था। तभी वहाँ रीमा आ गई। उस समय रात के बारह बजे थे। मैं उसे देख कर घबरा गया। वो मुझे घूर कर देखने लगी। मैं घबराया हुआ था।

    उसने कहा- तुम मेरे बारे में सोच कर ही मुठ मार रहे हो न?

    मैंने कहा- नहीं !

    तो उसने कहा- सच बताओ, नहीं तो आंटी को बता दूंगी। मैंने हाँ कह दिया।

    उसने पूछा- क्या सोच रहे थे?

    मैंने कहा- तुम्हारी चूची के बारे में।

    मेरा लंड सिकुड़ गया था। उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और हिलाने लगी। मेरा लंड फिर खडा हो गया। उसने मेरी निक्कर उतार दी और जोर जोर से लंड हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अपनी सलवार और कुर्ती उतार दी और कहने लगी- अब ठीक है ! अब डांस सिखा दो !

    मैंने उससे कहा- सिखा तो दूँ ... पर . . . . . . . ?

    पर पर क्या ? उसने कहा- अगर कोई परेशानी है तो बाकी भी उतार देती हूँ।

    यह बोलते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। क्या चूची थी उसकी . . . . . . चूत अभी कुंवारी लग रही थी . . . . . . । चूत की खुशबू तो अलग ही आ रही थी। मेरा लंड वो देख कर और भी मोटा हो गया।

    मैंने कहा- डांस तो सिखा दूँगा पर क्या तुम फीस दे दोगी।

    उसने कहा- फीस अभी ले लो।

    उसने मेरा मुँह अपनी चूची पर लगा दिया। मैंने भी अपना काम शुरु किया और उसकी चूची चूसने लगा। पाँच मिनट उसकी चूची चूसने के बाद मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और रगड़ने लगा। वो मेरा लंड मुँह में लेकर रगड़ने लगी और मुठ मारने लगी। मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी। वो चिंहुक उठी। मैंने उसकी चूत चूसनी चालू की और साथ-साथ उंगली भी दे रहा था।

    मैंने उससे कहा- यहाँ हमें कोई देख लेगा ! हम नीचे चलते हैं तुम्हारे कमरे में !

    वो मान गई। मैंने जाते ही अपना मोबाइल ऑन किया और वीडियो रिकॉर्डर चालू कर दिया और 69 की अवस्था में आ गए। उसको मालूम नहीं था कि मैं उसकी और अपनी वीडियो बना रहा हूँ।

    15 मिनट बाद मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और धक्का दिया। मेरा आधा लंड अंदर चला गया। बिना रुके हुए दूसरा धक्का दिया और मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। दस मिनट चोदने के बाद उसके चूत में ही झड़ गया और थोड़ी देर बाद वो भी झड़ गई।

    हम लेट गए। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

    इस बार मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरु किया। चोदते-चोदते मैंने अपना लंड निकाला और उसकी गांड में दे दिया। आधा लंड उसकी गांड में चला गया।

    वो रोने लगी और कहने लगी- छोड़ दो ! निकाल दो बाहर ! दर्द हो रहा है !

    मैंने कहा- बस थोड़ी देर दर्द होगा फिर मजा आएगा।

    मैं रुक गया और उसकी चूची दबाने लगा। उसको थोड़ा आराम मिला तो मैंने फिर धक्का दिया और उसकी गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया। वो छटपटा रही थी। पर लण्ड निकालने में नाकामयाब रही।

    मैंने धक्के लगाने शुरु किये। वो आ आ ई ई की आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसे 15 मिनट तक चोदा।

    फिर मैंने अपना लंड निकाला तो उसने कहा- निकाल क्यों किया।

    तो मैंने कहा- मेरा झरने वाला है !

    तो उसने कहा- गांड में ही झार दो।

    मैं अभी डालने ही वाला था, तब तक मेरा पानी निकल गया और उसके गांड के ऊपर ही गिर गया। वो जल्दी से पलटी और बाकी का सारा पानी अपने मुँह में ले लिया और मेरा लंड साफ़ कर दिया। हम थोड़ी देर लेटे रहे और फिर उठ कर कपड़े पहनने लगे। बिस्तर पर थोड़ा सा खून गिरा हुआ था।

    तभी मुझे ध्यान आया कि मेरा वीडियो रिकॉर्डर चालू था। मैंने रीमा के नजरों से बचा कर अपना मोबाइल उठाया और वीडियो सेव करके मोबाइल ऑफ कर दिया। हम ऊपर ही जाकर सो गए। सुबह नींद खुली तो रीमा मेरे बगल में सो रही थी।

    मेरा लंड बाहर था और उसकी चूची बाहर थी। शायद मेरे सोने के बाद उसने मेरा लंड चूसा था। मैंने भी उसकी चूची दबाई और चूसने लगा और सुबह मैंने उसे फिर दुबारा चोदा, सिर्फ उसकी गांड मारी।

    तो दोस्तो, बताओ आपको मेरी कहानी कैसी लगी।

    एक और कहानी है आपके किये मेरे पास पर पहले इस पर अपने विचार जरूर लिखना कि मैंने रीमा को चोदने में कहाँ कसर छोड़ दी, यह बताना।

    veerudada33@gmail.com

    अजय के लण्ड का लाल लाल सुपारा

    मैं हूँ आपकी अंजू शर्मा ! मैं पच्चीस साल की हो चुकी हूँ। मैं आज आपको अपनी सच्ची कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम के माध्यम से बता रही हूँ कि मैंने अपने बड़े भाई से कैसे चुदवाया था।

    मेरे बड़े भाई का नाम अजय है, वह सताईस साल का है। उसकी एक गर्लफ्रैंड भी है जिसका नाम शैली है। शैली मेरे साथ पढ़ चुकी है और मेरे घर से थोड़ी दूर ही रहती है। शैली अजय को पसंद करती है लेकिन शैली के कई दोस्त हैं। शैली एक चालू लड़की है। फ़िर भी अजय को शैली से अकेले में मिलने का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था।

    एक दिन मेरे पापा और मम्मी दो दिन के लिए एक शादी में जबलपुर जाने वाले थे, हम पढ़ाई का बहाना करके घर में ही रुके रहे। वैसे अजय मेरा बड़ा भाई है लेकिन हम दोस्तों की तरह रहते हैं। हम एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते हैं और आपस में हर एक विषय पर खुल कर बातें करते हैं, यहाँ तक सेक्स की बात करने से भी हमें कोई शर्म नहीं आती है।

    उस दिन अजय ने मुझसे कहा- अंजू, दो दिन तक हम लोग अकेले रहेंगे, अगर तुम किसी तरह शैली को दो दिन के लिए अपने घर रहने के लिए तैयार कर लो तो मैं तुम्हारी हर शर्त मान लूंगा।

    मैंने भी अपनी शर्त रखी- मैं शैली को किसी भी बहाने अपने घर रुकने पर राजी कर लूंगी लेकिन तुम शैली के साथ जो भी करोगे मेरे सामने करना होगा।अजय बोला- लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरा पूरा साथ देना पड़ेगा !

    इस तरह हम दोनों के बीच शर्तें तय हो गईं।

    शाम को मैंने शैली को फोन किया कि मुझे अपना एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए उसकी मदद चाहिए और दो दिनों में प्रोजेक्ट पूरा करना है, घर में अकेली हूँ मेरे घर में कोई परेशानी नहीं होगी, मिल कर पढ़ाई और मस्ती करेंगे।

    मैंने कहा- अजय भी हमारी मदद करेगा !

    शैली भी फ़ौरन तैयार हो गई। शैली काफी चालाक है, वह सारा मामला समझ गई और एक घंटे के बाद ही घर आ गई। वह काफी सजधज कर आई थी।

    दरवाज़े पर अजय ने ही उसका स्वागत किया। शैली आराम से सोफे पर बैठ गई और इधर उधर की बातें करने बाद अजय तीन व्हिस्की के पैग बना कर लाया। हम धीमे धीमे व्हिस्की की चुस्कियाँ लेने लगे। अजय खड़े खड़े हमारी बातें सुन रहा था।

    तभी अजय ने झुक कर शैली को चूम लिया। शैली खड़ी हो गई और अजय की पैंट की जिप खोल कर उसका लण्ड चूसने लगी। शैली ने अजय का दस इंची लण्ड पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं भी अजय के लण्ड का लाल लाल सुपारा देख कर दंग रह गई। ऐसा लग रहा था कि जैसे गुस्से से लण्ड का मुँह लाल हो गया हो और चूत पर हमला करने वाला हो। शैली बड़े प्यार से लण्ड चूस रही थी और सारा लण्ड निगल लेना चाहती थी। यह देख कर मेरी चूत भी गीली हो रही थी। शैली लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी, इससे लण्ड और सख्त और लंबा हो रहा था। लण्ड शैली के थूक से पूरी तरह से सना था।

    तभी शैली ने अजय को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बाक़ी के सारे कपड़े निकाल दिए। अजय का लण्ड कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा था। एक एक करके शैली ने अपने कपड़े भी उतार दिए। जब शैली ने अपनी पैंटी भी उतार दी तो मैं उसकी गोरी गोरी चूत देख कर मोहित हो गई। शैली ने अपनी चूत के बाल अच्छी तरह से साफ़ किए थे। चूत से सेक्सी खुशबू आ रही थी। मैंने शैली की चूत को चूम लिया। आख़िर वह मेरे भाई का इतना लंबा मोटा लण्ड लेने जा रही थी। और कोई लड़की होती तो अजय के लण्ड से उसकी चूत जरूर फट जाती।

    फ़िर शैली उठी और अजय के लण्ड को निशाना बना कर उस पर अपनी चूत रख दी। लण्ड का सुपारा चूत पर था, शैली लण्ड पर बैठ गई। शैली के दवाब से लण्ड अन्दर घुसने लगा। जब लण्ड का सुपारा चूत में घुस गया तो चूत में लण्ड के लिए रास्ता बनता गया। लण्ड चूत को चीरते हुए भीतर जाने लगा।

    मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैं लगातार शैली को हिम्मत दिलाती रही और कभी उसे चूमती और कभी उसके स्तन सहलाती रही। जैसे ही पूरा लण्ड शैली की चूत में समा गया, मैंने ताली बजा कर शैली को बधाई दी। शैली अपनी चूत में अजय का लण्ड इस तरह अन्दर-बाहर करने लगी जैसे वह अजय की आज ठीक से चुदाई करे बिना नहीं मानेगी।

    कुछ देर बाद अजय शैली के ऊपर आ गया और उसका लण्ड गच से शैली की चूत में धंस गया। अजय शैली को लगातार चूम रहा था और उसकी चूत की भगनासा को मसल रहा था।

    शैली मस्ती में बक रही थी- अजय जोर जोर से डालो, फाड़ दो मेरी चूत ! उफ़ मज़ा आ रहा है ! जोर से धक्के मारो ! मेरी पूरी चूत भर गई है चूत में अब जगह नहीं है। चोदो ! लगे रहो ! आज मैं जन्नत का मज़ा ले रही हूँ ! तुम्हारा लण्ड कमाल है।

    करीब आधा घंटे के बाद अजय ने शैली को पलंग पर घोड़ी बनाकर अपना लण्ड उसकी चूत में पीछे से घुसा दिया और दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए। इस जबरदस्त चुदाई से शैली हाय हाय करने लगी। शैली हर धक्के पर अपनी चूत लण्ड की तरफ़ धकेल देती थी जिससे मजा दुगुना हो जाता था। शैली की चूत से पानी रिस रहा था, फ़िर भी वह लगातार चुदवा रही थी।

    यह देख कर मुझे भी इसी तरह चुदवाने की इच्छा हो रही थी और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

    इसी तरह आधा घंटा और चोदने के बाद अजय ने मुझे बुला कर कहा- शैली की चूत काफी चुद गई है, अब मैं शैली की गाण्ड मारूंगा, तुम ज़रा पास आकर शैली की कमर जोर से पकड़े रहना और शैली की चूत और वक्ष मसलते रहना। अगर शैली को दर्द हो तो उसकी चूत चाटते रहना, इससे दर्द कम हो जाएगा। वरना वह मेरा इतना लंबा मोटा लण्ड सह नहीं पायेगी, उसकी गाण्ड भी फट सकती है, तुम अपने हाथों से शैली के चूतड़ फैलाते रहना।

    फ़िर अजय ने दोबारा शैली को घोड़ी बनाया। मैंने थोड़ा सा तेल शैली की गाण्ड और अजय के लण्ड पर लगा दिया और अजय को गाण्ड जीतने का आशीर्वाद दे दिया। अजय ने उठ कर अपने लण्ड का सुपारा शैली की गाण्ड के छेद पर रख कर थोड़ा सा दवाब डाला। सुपारा गाण्ड में घुस गया, शैली चिल्लाई- मर गई ! ओह ओह उई उई ! धीमे ! ज़रा धीमे से ! यह लण्ड काफी मोटा है ! मैं सह नहीं पाऊँगी।

    अजय ने कहा- हिम्मत रखो ! हम तुम्हारी गाण्ड नहीं फटने देंगे ! आराम से डालेंगे !

    फ़िर अजय ने चौथाई लण्ड अन्दर घुसा दिया जो आसानी चला गया। फ़िर शैली के दर्द की परवाह किए बिना आधा लण्ड जब चला गया तो मैंने कहा- अब रुको नहीं ! बाक़ी लण्ड भी घुसा दो !

    अजय ने एक ऐसा जोर का धक्का मारा कि गाण्ड को फाड़ते हुए गाण्ड में समा गया। शैली ने इतनी जोर की चीख मारी कि मुझे उसका मुँह बंद करना पड़ा।

    अजय बोला- अब थोड़ा सा दर्द सह लो ! गाण्ड में लण्ड के लिए रास्ता बन चुका है !

    कुछ देर बाद अजय ने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया तो लण्ड आसानी से घुसने लगा। शैली ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, उसका दर्द गायब हो चुका था। मुझे ताज्जुब हुआ कि लण्ड कैसे फचा फच गाण्ड में जा रहा है और शैली मजे से गाण्ड मरवा रही है। मैं शैली की हिम्मत की दाद देने लगी, मैं बोली- तुम्हें तो गाण्ड मरवाने का ओलम्पिक मैडल मिलना चाहिए।

    यह सुन कर अजय ने अपनी स्पीड तेज कर दी। जब उसका लण्ड से बाहर आता तो तो ऐसा लगता था कि लण्ड के साथ पूरी गाण्ड बाहर आ जायेगी क्योंकि लण्ड गाण्ड में पूरी तरह से कसा हुआ था।

    शैली कभी मुझे और कभी अजय को चूम लेती थी। आधे घंटे की गाण्ड मराई के बाद अजय ने अपना गर्म गर्म वीर्य शैली की गाण्ड में छोड़ दिया जो गाण्ड से बाहर बहने लगा। अजय के लण्ड से शैली की गाण्ड काफी चौड़ी हो गई थी। लण्ड निकलने के बाद गाण्ड का गुलाबी चौड़ा छेद साफ़ दिखाई दे रहा था।

    शैली ने अजय के लण्ड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया और एक तरफ़ लेट कर साँस लेने लगी।

    मैंने पूछा- कैसा लगा अजय का लण्ड?

    शैली ने लण्ड को चूम लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। इससे लण्ड फ़िर से फड़कने लगा और कड़क होकर खड़ा हो गया। तभी शैली ने मुझे अपने पास पलंग पर गिरा लिया और मेरे मना करने के बावजूद मेरे कपड़े उतार दिए और अजय का लण्ड मेरी चूत पर रख दिया।

    शैली ने कहा- अंजू चुदाई कुदरत का वरदान है ! दुनिया के सभी प्राणी चुदाई करते हैं ! एक बार लण्ड किसी की चूत में घुस जाता है तो सारे रिश्ते ख़त्म हो जाते हैं, सिर्फ़ चूत और लण्ड का रिश्ता बाक़ी रह जाता है। इसलिए किसी लण्ड का अपमान नही करना चाहिए, जो भी मिले, जैसा भी मिले, जहाँ भी मिले, लण्ड का मजा जरूर लेना चाहिए। तू तो किस्मत वाली है कि घर में ही इतना मजेदार लण्ड मौजूद है। फ़िर भी पुराने विचारों में अपना मजा बरबाद कर रही है। हर एक चूत को हर एक लण्ड से मजा मिलता है। देख, मैंने इसी सुख के लिए अजय के घोड़े जैसे लण्ड से तेर सामने चुदा लिया और गाण्ड भी मरवाई। यह एसा मजा है जिसमे कोई खर्चा नहीं लगता, सिर्फ़ हिम्मत चाहिए। चल उठ और मेरे सामने ही अजय से चुदा ले ! फ़िर तुझे भी पता चल जाएगा कि ऐसे लण्ड से चुदाने में कितना मजा आता है। तू फ़िर रोज चुदवाने लगेगी और मुझे याद करेगी।

    उस दिन से अजय से कई बार लण्ड का मजा ले चुकी हूँ। शैली की बात सच है, आज रात मैं फ़िर चुदवाने वाली हूँ ! आप रात को क्या करने वाले हैं ?

    sharmabrij88@gmail.com

    तुम बेडरूम में जा के बैठो

    मैं लखनऊ में रहता हूँ ! मेरी उम्र इक्कीस साल, कद छः फीट और रंग मध्यम है ! मेरी बॉडी एवरेज है और मेरे हथियार का साइज़ 6'' है ! मुझे चोदने का बहुत शौक है !

    आपने मेरी चुदाई की कई कहानियां पढ़ी और मुझे काफी सारे मेल भी आई ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ....!

    कई बार चुदाई करने के बाद अब मैंने सोच लिया कि इसमें जो मज़ा है वो और किसी चीज़ में नहीं है ! तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना कॉल बॉय बन कर अपना चुदाई का शौक पूरा किया जाये ! इससे मुझे कुछ पैसे भी मिल जायेंगे और चुदाई भी करने को मिलेगी ! लेकिन सवाल था कि यह सब कैसे होगा ?

    यह जानने के लिए पढ़िये आगे की कहानी ..............

    एक दिन मैं ब्लू फिल्म देख रहा था। तब मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न किसी लड़की को आज होटल में ले जाकर चोदूं ! मैं एक लड़की को पैसे देकर उसे होटल में ले गया और वहाँ से घर में फ़ोन करके बताया कि मैं आज दोस्त की जन्मदिन-पार्टी के लिए जा रहा हूँ, इसलिए मैं कल सुबह आऊंगा।

    मेरे दिन आर्थिक तौर पर बहुत ख़राब चल रहे थे। मैंने उस रात उस लड़की को बहुत चोदा। जब मैंने दूसरा राउंड लिया तो वो लड़की जोर से रोने लगी। मैं हैरान हो गया कि जो लड़की धंधा करती है वो मेरे लंड के कारण रो रही थी ? !! चोदने के बाद उस लड़की को मैंने अपनी आर्थिक समस्या भी बता दी !

    वो लड़की बोली- तुम किसी जिगोलो जैसे काम क्यूँ नहीं करते ?? तुम में वो जोश है और तुम्हारा हथियार भी बहुत तगड़ा है !

    मैं सोचने लगा ! जब मैंने उससे पूछा कि यह सब होगा कैसे, तब उसने कहा- वो सब मेरे ऊपर छोड़ दो !

    सुबह ही मैंने उसका नंबर और नाम लिया ! उसका नाम प्रिया था ! एक दिन के बाद मैंने प्रिया को कॉल किया, उसने मुझे नटराज होटल में बुलाया और मेरे वहाँ पहुँचने पर बताया कि तुम्हें एक डॉक्टर के यहाँ कल रात को जाना है ! उसने मुझे उस पहली कस्टमर के बारे में जानकारी और उसका पता बताया। मुझे एक सिन्धी डॉक्टर की बीवी आरती को चोदना था, जिसकी उम्र 23 साल थी, वो एक घरेलू औरत थी जिसका पति दिल का विशेषज्ञ था, उसकी उम्र 31 साल की थी।

    प्रिया ने कहा- आरती को मैंने जब तुम्हारे बारे में बताया तो आरती ने तुम्हारे साथ रात गुजरने की जिद पकड़ी है, आरती का रंग गोरा है, उसकी हाईट 5’7'' और उसने तुम्हारे लिए पाँच हज़ार रुपये दिए हैं। प्रिया ने वो पैसे मेरे हाथ में दिए। पैसे और सारी जानकारी मैंने प्रिया से ली और मैंने प्रिया को मेरे दिल में आये हुए डर के बारे में बताया।

    प्रिया ने कहा कि आरती के पति किसी कोर्स के लिए दो दिन के लिए सुबह दिल्ली जा रहे हैं। तब मैं निश्चिंत हो गया। उस रात मुझे नींद नहीं आई। मैं शाम के 6 बजे घर से निकला और माँ को कहा- माँ, आज मैं नहीं आने वाला ! मेरी राह मत देखना !

    मैं शाम सात बजे उस पते पर पहुंचा और दरवाजे की घंटी बजाई तो सामने एक औरत आई।

    मैंने वो कोड बोला जो प्रिया ने मुझे बताया था, तब मुझे उसने अन्दर बुला लिया। मैं समझ गया कि वही आरती है। आरती ने दरवाजा बंद कर दिया। शायद वो भी मेरा इंतजार कर रही थी ! अन्दर जाने के बाद उसने कहा- "तुम तो रात दस बजे आने वाले थे ?

    मैंने कहा- पहली बार मुझे किसी ने रुपये दिए हैं, जिसके लिए मैंने कुछ नहीं किया ! इसीलिए सोचा कि उसका सब पैसा चुकता होना चाहिए, सो मैं जल्दी आ गया।

    आरती मुस्काई और मैं पागल हो गया क्यूंकि आरती (जितना प्रिया ने बताया) उससे बहुत ज्यादा खूबसूरत थी ! मैंने आरती को कहा- अब अपना काम शुरू करें ??

    तो आरती ने मुझे कहा- मैं दो मिनट में आती हूँ, तुम बेडरूम में जा के बैठो !

    और मुझे बेडरूम की तरफ इशारा किया।

    मैं बेडरूम में जा बैठा ! आरती दस मिनट के बाद दुल्हन की साड़ी पहन के हाथ में गिलास ले आई ! वह मेरे पास आकर बैठी और दूध का गिलास मुझे दिया।

    मैंने पूछा- यह क्या हैं ?

    उसने कहा- मैं अभी तक कुंवारी हूँ ! मेरे पति ने आज तक सुहागरात का मज़ा मुझे नहीं दिया !

    वो मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो- वो सब आज तुम्हें ही करना है !

    मैंने वो दूध आधा पिया। उसके बाद उसने बाकी का पिया। मैंने देखा कि बिस्तर पूरा फूलों से सजाया था !

    मैंने उसे कस के अपनी बाँहों में लिया और उसे चूमने लगा, जहाँ मेरे होंठ रुकते थे, वहाँ उसे चूमता था ! उसके बाद मैंने उसकी साड़ी और चूड़ियाँ उतार दी ! अब वो मेरे सामने ब्लाउज में थी ! मैंने उसके गर्दन को चूमा और उसके स्तन दबाने लगा।

    आरती सिसकारने लगी। मैंने ब्लाउज खोल दिया। उसके वक्ष देख के मैं बहुत गर्म हो गया, मैंने उन्हें चूसना और मसलना शुरू किया। तब आरती के मुंह से आआह्ह्ह उफ्फ्फ, दबाओ और जोर से, निकलने लगा।

    मैं चूसते चूसते नीचे की तरफ गया, आरती और सिसकारने लगी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत चाटने लगा।

    थोड़ी देर के बाद आरती ने अंदर डालने के लिए कहा !

    मैंने अपने कपड़े निकाल दिए और अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा रहा। आरती आँखें फाड़-फाड़ के उसे देख रही थी। थोड़ी देर के बाद वो प्यासी शेरनी की तरह झपट पड़ी, वो मेरे लंड को चूसने लगी ! मैंने थोड़ी देर के बाद लंड उसके मुंह से निकाल कर उस पर दो कंडोम चढ़ाये और आरती की चूत को सहलाते हुए कहा- आरती, इसे अंदर लो !

    मैं आरती की कमर को पकड़ कर लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। आरती आह्ह्ह्ह्ह करने लगी और मैंने उसके स्तनों को पकड़ कर एक जोर का झटका दिया, लंड चूत का बाहरी किनारा लेकर फिसल गया। आरती कुतिया की तरह चिल्लाई ! उसने मुझे उसके बदन से दूर धकेल दिया ! मैं वापस उसको समझा कर उस पर चढ़ गया, इस बार मैंने सही निशाना लगाया, आधा लंड चूत में घुस गया। आरती चिल्लाई- हाय भगवान् !! प्लीज़, इसे निकाल लो !

    मैंने दूसरा झटका दिया, लंड पूरा अंदर तक घुस गया ! तभी मैंने देखा कि आरती की आँखों से आंसू निकल आये।

    उसके बाद मैंने चोदना शुरू किया, मेरे हर एक झटके पर आरती चिल्लाती थी। दस मिनट के बाद आरती मेरा साथ देने लगी। थोड़ी देर के बाद मेरी स्पीड बढ़ने लगी। जैसे ही मैंने आखरी झटका दिया, मेरे अंडकोष जोर से पीछे हो गए और लंड बहुत अंदर तक चला गया, मेरा पानी निकल गया था !

    थोड़ी देर के लिए हम वैसे ही लेटे रहे।

    आरती ने बेड की चादर की ओर इशारा कर के कहा- आज मेरा कुंवारापन टूट गया !

    चादर खून से लाल हो गई थी ! फिर मैंने बाथरूम में जाकर कंडोम हटाया और लेट गया। आरती ने मेरे ऊपर चढ़ कर दूसरे दौर के लिए तैयारियाँ की ! जब मेरा लंड खड़ा हो गया तब मुझे भी बहुत तकलीफ होने लगी और उस रात आरती ने मुझे अपना पति मानकर मेरे साथ 5 बार सम्भोग किया।

    सुबह मुझे जाना था पर सिन्धी लड़की ने मेरी पूरी पॉवर चूस ली थी, मैं दोपहर को नींद से उठा। आरती भी उठ गई, उसने मुझे लम्बा किस किया और कहा- नाश्ता करके जाना !

    हम एक साथ नहाए और फिर आरती ने नाश्ता बना कर मुझे दिया ! जाते समय उसने मुझे और दो हज़ार रुपए और दिए और बाय किया।

    दोस्तो ! आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी ? मुझे मेल करके जरुर बताएं ! मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।

    robirtdecostta@gmail.com

    Thursday, September 30, 2010

    मैं जरा इस से अपनी चूत चुसवा लूँ

    रीता मेरी पड़ोसन थी। मेरी पत्नी नेहा से उसकी अच्छी दोस्ती थी। शाम को अक्सर वो दोनों खूब बतियाती थी। दोनों एक दूसरे के पतियों के बारे में कह सुनकर खिलखिला कर हंसती थी। मुझे भी रीता बहुत अच्छी लगती थी। मैं अक्सर अपनी खिड़की से उसे झांक कर देखा करता था। उसके कंटीले नयन, मेरे को चीर जाते थे। उसकी बड़ी बड़ी आंखें जैसे शराब के मस्त कटोरे हों। उसका मेरी तरफ़ देख कर पलक झपकाना मेरे दिल में कई तीर चला देता था। वो सामने आंगन में जब बैठ कर कपड़े धोती थी तो उसके सुन्दर वक्ष ऐसे झूलते थे ... मेरा मन उसे मसलने के लिये उतावला हो उठता था। पेटिकोट में उसके लचकते चूतड़ बरबस ही मेरा लण्ड खड़ा कर देते थे। पर वो मुझे बस मुस्करा कर ही देखती थी... अकेले में कभी भी घर नहीं आती थी।

    नेहा सुबह ही स्कूल चली जाती थी... मैं दस बजे खाना खाकर ही दफ़्तर जाता था।

    एक बार रीता ने नेहा को सवेरे स्कूल जाते समय रोककर कुछ कहा और दोनों मेरी तरफ़ देख कर बाते करने लगी। फिर नेहा चली गई। उसके जाने के कुछ ही देर बाद मैंने रीता को अपने घर में देखा। मेरी आंखें उसे देख कर चकाचौंध हो गई। जैसे कोई रूप की देवी आंगन में उतर आई हो... वो बहुत मेक अप करके आई थी। उसका अंग अंग जैसे रूप की वर्षा कर रहा था। उसके उठे हुये गोरे-गोरे चमकते हुये बाहर झांकते हुये उभरे हुये वक्ष जैसे बिजलियां गिरा रहे थे।

    उसका सुन्दर गोल गोरा चिकना चेहरा ... निगाहें डालते ही जैसे फ़िसल पड़ी।

    "र्...र्...रीता जी ! आप ... ?"

    "मुझे अन्दर आने को नहीं कहेंगे?"

    "ओ ... हां ... जी हां ... आईये ना ... स्वागत है इस घर में आपका !!!"

    "जी, मुझे तो बस एक कटोरी शक्कर चाहिये ... घर में खत्म हो गई है।" उसके सुन्दर चेहरे पर मुस्कराहट तैर गई। मेरी सांसें जैसे तेज हो गई थी। वो भी कुछ नर्वस सी हो गई थी।

    "बला की खूबसूरत हो...!"

    "जी !... आपने कुछ कहा ...?"

    मैं हड़बड़ा गया ... मैं जल्दी से अन्दर गया और अपनी सांसें नियंत्रित करने लगा। यह पहली बार इस तरह आई है , क्या करूँ ...!!!"

    मैंने कटोरी उठाई और हड़बड़ाहट में शक्कर की जगह नमक भर दिया। मैं बाहर आया...

    मुझे देख कर उसे हंसी आ गई... और जोर से खिलखिला उठी।

    "जीजू ! चाय में नमक नहीं... शक्कर डालते हैं ... यह तो नमक है...!"

    "अरे यह क्या ले आया ... मैं फिर से अन्दर गया, वो भी मेरे पीछे पीछे आ गई ...

    "वो रही शक्कर ..." उसके नमक को नमक के बर्तन में डाल दिया और शक्कर भर ली।

    "धन्यवाद जीजू ... ब्याज समेत वापस कर दूंगी !"

    और वो इठला कर चल दी...

    "बाप रे ... क्या चीज़ है ...!"

    उसने पीछे मुड़ कर कहा,"क्या कहा जीजू... मैंने सुना नहीं...!"

    "हां... मैं कह रहा था आप तो आती ही नहीं हो ... आया करो ... अच्छा लगता है!"

    "तो लो... हम बैठ गये ...!"

    मैं बगलें झांकने लगा ... पर उसने बात बना ली और बातें करने लगी। बातों बातों में मैंने उसका मोबाईल नम्बर ले लिया। जब मैंने बात आगे नहीं बढाई तो वो मुस्करा कर उठी और घर चली गई। मुझे लगा कि मैंने गलती कर दी... वो तो कुछ करने के लिये ही तो शायद आई थी !

    और फिर वो मेरे कहने पर बैठ भी तो गई थी ...

    "बहुत लाईन मार रहे थे जी...?"

    "नहीं नेहा, वो तो नमक लेने आई थी..."

    "नमक नहीं...शक्कर ... मीठी थी ना?"

    "क्या नेहा ... वो अच्छी तो है... पर यूँ ना कहो।"

    "मन में लड्डू फ़ूट रहे हैं ... मिलवाऊं उससे क्या ?"

    "सच ... मजा आ जायेगा ...!"

    नेहा हंस पड़ी...

    "ऐ रीता... साहब बुला रहे हैं ... जरा जल्दी आ...!" नेहा ने बाहर झांक कर रीता को आवाज दी।

    रीता ने खिड़की से झांक कर कहा," आती हूँ !"

    वो जैसे थी वैसे ही भाग कर हमारे घर आ गई।

    "अरे क्या हुआ साहब को ...?"

    "कुछ नहीं, तेरे जीजू तुझे चाय पिलाना चाह रहे हैं।" और हंस दी।

    रीता भी शरमा गई और तिरछी नजरों से उसने मुझे देखा। फिर उसकी आंखें झुक गई। नेहा चाय बनाने चली गई।

    मैंने शिकायती लहजे में कहा,"सब बता दिया ना नेहा को...!"

    "तो क्या हुआ ... आप ने तो मुझे फोन ही नहीं किया?"

    "करूंगा जरूर ...बात जरूर करना !"

    कुछ ही देर में चाय पी कर रीता चली गई।

    "बहुत अच्छी लगती है ना...?"

    मैंने नेहा को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा और सर हां में हिला दिया।

    "तो पटा लो उसे ... पर ध्यान रखना तुम सिर्फ़ मेरे हो !"

    कुछ ही दिनों में मेरी और रीता की दोस्ती हो चुकी थी। वो और मैं नेहा की अनुपस्थिति में खूब मोबाइल पर बातें करते थे। धीरे धीरे हम दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा। रात को तो उसका फोन मुझे रोज आता था। नेहा भी सुन कर बहुत मजा लेती थी। पर नेहा को नहीं पता था कि हम दोनों प्यार में खो चुके हैं। वो कभी कभी मुझे अपने समय के हिसाब से झील के किनारे बुला लेती थी। वहां पर मौका पा कर हम दोनों एक दूसरे को चुम्मा-चाटी कर लेते थे। कई बार तो मौका मिलने पर रीता के उभार यानि चूतड़ों को और मम्मों को धीरे से दबा भी देता था। मेरी इस हरकत पर उसकी आंखों में लाल डोरे खिंच जाते थे। प्रति-उत्तर में वो मेरे कड़कते लण्ड पर हाथ मार कर सहला देती थी ... और एक मर्द मार मुस्कान से मुझे घायल कर देती थी।

    अगले दिन रीता के पति के ऑफ़िस जाते ही नेहा ने रीता को बुला लिया। मुझे लग रहा था कि रीता आज रंग में थी। उसकी अंखियों के गुलाबी डोरे मुझे साफ़ नजर आ रहे थे। मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से नेहा को देखा। नेहा ने तुरन्त आंख मार कर मुझे इशारा कर दिया। रीता भी ये सब देख कर लजा गई। मेरा लण्ड फ़ूलने लगा... । नेहा रीता को एक दुल्हन की तरह बेडरूम में ले आई। रीता अपना सर झुका कर लजाती हुई अन्दर आ गई।

    नेहा ने रीता को बिस्तर पर लेटा दिया और कहा,"रीता, अब अपनी आंखे बन्द कर ले"

    "हाय नेहा, तू अब जा ना ... अब मैं सब कर लूंगी !"

    "ऊं हु ... पहले उसका मुन्ना तो घुसा ले ... देख कैसा कड़क हो रहा है !"

    "ऐसे तो मैं मर जाऊंगी ... राम !"

    मैं इशारा पाते ही रीता के नजदीक आ गया। उसके नाजुक मम्मे को सहला दिया। ये देख कर नेहा के उरोज भी कड़क उठे। उसने धीरे से अपने मम्मों पर हाथ रखा और दबा दिया। मैंने रीता की जांघों पर कपड़ों को हटा कर सहलाते हुये चूत को सहला दिया। उधर नेहा के बदन में सिरहन होने लगी ... उसने अपनी चूत को कस कर दबा ली। रीता का शरीर वासना से थरथरा रहा था। वो मेरी कमीज पकड़ कर अपनी तरफ़ मुझे खींचने लगी। उसने अपने कपड़े ऊंचे करके अपने पांव ऊपर उठा दिये। एक दम चिकनी चूत ... गुलाबी सी... और डबलरोटी सी फ़ूली हुई। मैं तो उसकी चूत देखता ही रह गया, ऐसी सुन्दर और चिकनी चूत की तो मैंने कभी कल्पना ही नहीं की थी।

    "विनोद, चोद डाल मेरी प्यारी सहेली को ...! है ना मलाईदार कुड़ी !"

    रीता घबरा गई और मुझे धकेलने लगी। मैंने उसे और जकड़ लिया।

    "नेहा तू जा ना !... मैं तो शरम से मर जाऊंगी ... प्लीज !" रीता ने अनुनय करते हुये कहा।

    "वाह री... मेरी शेरनी ... नीचे दबी हुई है, चुदने की पूरी तैयारी है ... फिर मुझसे काहे की शरम है... मुझे भी तो यही चोदता है... अब छोड़ शरम !"

    मेरा लण्ड कड़क था... उसकी चूत के द्वार पर उसके गीलेपन से तर हो चुका था।

    "अरे राम रे ... नहीं कर ना ... उह्ह्ह्ह्... नेहा जा ना ... आईईईईइ... घुस गया राम जी"

    "रीता... इतनी प्यारी चूत मिली है भला कौन छोड़ देगा... पाव रोटी सी चूत ... रसभरी..." मैंने वासना से भीगे हुये स्वर में कहा।

    "अह्ह्ह्ह मैं तो मर गई ... नेहा के सामने मत चोदो ना ... मां री ... धीरे से घुसाओ ना !"

    मैंने जोर लगा कर लण्ड पूरा ही घुसेड़ दिया। उसने आनन्द के मारे अपनी आंखें बन्द कर ली। नेहा ने भी अपने कपड़े उतार दिये और रीता के करीब आ गई।

    "तुम चोदो ना, मैं जरा इस से अपनी चूत चुसवा लूँ..."

    नेहा ने अपनी टांगें चौड़ी की और दोनों पांव इधर उधर करके मेरे सामने ही उसके मुख पर अपनी चूत सेट कर ली। अपने हाथों से अपनी चूत खोल कर उसे रीता के मुख पर दबा दिया। रीता के एक ही बार चूसने से नेहा चिहुंक उठी। मैंने भी सामने रीता पर सवार नेहा के दोनों बोबे पकड़ कर दबा दिये और उन्हें मसलने लगा।

    "यह रीता भी ना साली ! इतने कपड़े पहन कर चुदा रही है... ले और चूस दे मेरी चूत !" नेहा कुछ असहज सी बोली।

    "तू बहुत खराब है ... जीजू को सामने ही देखते हुये मुझे चुदवा रही है !" रीता ने नेहा से नजरें चुराते हुये शिकायत की।

    "चल हट ... इच्छा तो तेरी थी ना चुदने की ... अब जी भर कर चुदा ले... अरे ठीक से मसलो ना विनोद !"

    मैं तो हांफ़ रहा था ... शॉट बड़ी मुश्किल से लग रहे थे। कभी नेहा तो कभी रीता के भारी भरकम कपड़े...।

    अचानक नेहा ऊपर से उतर गई और मुझे भी उतार दिया और रीता के कपड़े उतारने लगी।

    "ना करो, मने सरम आवे है ..." वो अपनी गांव की भाषा पर आ गई थी।

    "ऐसे तो ना मुझे मजा रहा है और ना विनोद को...!" कुछ ही देर में हम दोनों ने रीता को नंगी कर दिया। वो शरम के मारे सिमट गई। उसकी प्यारी सी गोल गाण्ड उभर कर सामने आ गई।

    "विनोद चल मार दे इसकी...साली बहुत इतरा रही है, इतने नखरे मत साली... मेरे पास भी ऐसी ही प्यारी सी चूत है... पर मेरा विनोद तो तुझ पर मर मिटा है ना !"

    मुझे तो उसकी सेक्सी गाण्ड देखकर नशा सा आ गया। मैं उसकी पीठ से जा चिपका और उसके चूतड़ों के बीच अपना लण्ड घुसेड़ने लगा। नेहा ने मेरी मदद की और उसकी गाण्ड में ढेर सारी क्रीम लगा दी।

    "काई करे है... म्हारी गाण्ड मारेगो ... बाई रे... अरे मारी नाक्यो रे ... यो तो गयो माईने !" जोश में रीता अपनी मूल भाषा पर आ गई थी।

    "रीताजी, आप राजस्थान की भाषा बोलती है... वहां भी रही है क्या ?" मैंने आश्चर्य से कहा।

    "एक तो म्हारी गाण्ड मारे, फिर पता और पूछे... चाल रे, धक्का मारो नी सा ..."

    मुझे क्या फ़रक पड़ता था भला ! मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। रीता की चिकनी गाण्ड चुदने लगी। उसकी सिसकारियाँ भी तेज होने लगी। मुझे वो सब मजा मिल रहा था जिसकी मैं रीता के साथ कल्पना करता रहा था। नेहा भी रीता के नाजुक अंगों से खेल रही थी। मैंने नेहा का हाथ रीता के स्तनों से हटा दिया और उसे मैंने थाम लिया। नेहा ने अपनी अंगुली में थूक लगाया और मेरी गाण्ड में धीरे से दबा कर अन्दर कर दी। मुझे इस क्रिया से और आनन्द आने लगा। मेरा लण्ड फ़ूलता जा रहा था। रीता की टाईट गाण्ड चोदने में मुझे अपूर्व आनन्द आ रहा था। उसकी टाइट गाण्ड ने मेरी जान निकाल दी और मेरा वीर्य निकल पड़ा। मेरा ढेर सारा वीर्य उसकी गाण्ड में भरता चला गया।

    रीता की गाण्ड मार कर मैं बिस्तर से उतर गया। रीता ने नेहा की तरफ़ वासना युक्त नजरों से देखा। नेहा को तो बस इसी बात का इन्तज़ार था। वो मर्दो की भांति रीता पर चढ़ गई और अपनी चूत को उसकी चूत से टकरा दिया। रीता ने आनन्द के मारे आंखें बन्द ली। नेहा ने अपनी चूत की रगड़ मारी और दोनों का गीलापन चूत पर फ़ैल गया। दोनों ने एक दूसरे के स्तन भींच लिये और मसलने लगी। अपनी चूत को भी एक दूसरे की चूत से रगड़ने लगी।

    "हाय रे नेहा, मुझे तो कड़क लण्ड चाहिये ... चूत में घुसेड़ दे... हाय विनोद ... मुझे लण्ड खिला दे..."

    "अभी उसका ठण्डा है, खड़ा तो होने दे ... तब तक मेरी चूत का मजा ले... देख मैंने भी यह खेल बहुत दिनों के बाद खेला है ... लण्ड तो अपन रोज ही लेते हैं !"

    "पर विनोद का लण्ड तो मैं अपनी चूत में पहली बार लूंगी ना..." रीता कसमसाते हुये बोली।

    "अरे, अभी तो पेला था उसने..."

    वो तो गाण्ड मारी थी ... चूत तो बाकी है ना ... विनोद... प्लीज आ जाना..."

    उसकी बातें सुन कर मेरा लण्ड फिर से तन्ना उठा। मैंने नेहा को अपना लौड़ा दिखाया तो वो अलग हो गई। मैंने रीता की टांगें ऊपर करके उसे चौड़ा दी और अपना लण्ड हाथ से थाम कर उसे धीरे से अन्दर तक पिरो दिया। और एक दो बार हिला कर अन्दर तक पूरा घुसेड़ कर जड़ तक सेट कर दिया। फिर उसके ऊपर आराम से लेट गया। उसके बोबे मैंने थामे और उसे भींच कर, अपने होंठ उसके होठों से सेट कर दिए। उसके दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर कस गये थे। लण्ड को चूत की गहराइयों में पाकर वो आनन्दित हो रही थी। लण्ड उसकी बच्चेदानी के छेद के समीप पहुंच गया था। उसने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था। चुदाई की रफ़्तार मैंने आनन्द के मारे तेज कर दी थी। मैं उसकी चूत में लण्ड को ऊपर नीचे रगड़ कर चोदने लगा था । उसके होंठ जैसे फ़ड़फ़ड़ा कर रह गये... मेरे अधरों से चिपके उसके होंठ जैसे कुछ कहना चाहते थे। उसका जिस्म वासना से तड़प उठा। उसकी चूत भी ऊपर उठ कर लण्ड लेने लगी। दोनों जैसे अनन्त सागर में गोते लगाने लगे। चुदाई चलती रही। वो शायद बीच में एक बार झड़ भी गई थी, पर और चुदने की आशा में वो चुपचाप ही रही। उसकी फ़ूली हुई चूत मेरे लण्ड को गपागप खा रही थी।

    हम दोनों एक दूसरे को बस रगड़ कर चोद रहे थे, समय का किसे ज्ञान था, जाने कब तक हम चुदाई करते रहे। दूसरी बार जब रीता झड़ी तो इस बार वो चीख सी उठी। मेरी चुदाई की तन्मयता भंग हो गई, और मेरा लन्ड भी फ़ुफ़कारता हुआ, किनारे पर लग गया। वीर्य लावा की तरह फ़ूट पड़ा ... और उसकी चूत में भरता गया।

    "हाय बस करो ... आगे पीछे सब जगह तो अपना माल भर दिया ... बस करो..."

    नेहा पास में बैठी अपनी चूत को अंगुली से चोद रही थी, अपने दाने को हिला हिला कर अपना माल निकालने की कोशिश कर रही थी। हम दोनों ने उसकी सहायता की और मैंने उसकी चूत में अपनी अंगुली का कमाल दिखाना आरम्भ कर दिया। उधर रीता ने उसके मम्मे मसल कर और उसके अधरों को चूस कर उसे मस्त करने लगी। नेहा की चूत के दाने को मसलते ही वो तड़प उठी और झड़ने लगी।

    "हाय विनोद... मैं तो गई... आह निकल गया ... साले मर्दों के हाथ की बात तो मस्त ही होती है... कैसा हाथ मार कर मेरी जान निकाल दी !"

    हम तीनों सुस्ताने लगे। नेहा उठी और कुछ ही देर में दूध गरम करके ले आई।

    "लो कमजोरी दूर करो और दूध पी जाओ !"

    हम सभी धीरे धीरे दूध पीने लगे ... तभी रीता को जैसे खटका हुआ। उसने फ़टाफ़ट अपने कपड़े पहने और अपने आप को ठीक किया और तेजी से भाग निकली।

    "अरे ये रीता का आदमी आज जल्दी कैसे आ गया?" हम दोनों ही आश्चर्य कर रहे थे। थोड़ी ही देर में उनके झग़ड़े की आवाजे आने लगी।

    "क्या कर रही थी अब तक... खाना क्यो नहीं पकाया ... मेरा बाप बनायेगा क्या ? बहुत तेज भूख लगी है।"

    हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और हंस पड़े।

    "उसकी मां चुदने दे यार ... आज छुट्टी ली है तो उसका पूरा फ़ायदा उठायें !" मैंने मुस्करा कर कहा और नेहा मेरे से चिपक गई।

    रीता शर्मा

    

    ब्लाऊज उतारने की कोशिश

    मैं उन दिनों गांव में अपनी दीदी के घर आया हुआ था। उनके पास काफ़ी जमीन थी, जीजा जी की उससे अच्छी आमदनी थी। उनकी लड़की कमली भी जवान हो चली थी। कमली बहुत तेज लड़की थी, बहुत समझदार भी थी। मर्दों को कैसे बेवकूफ़ बनाना है और कौन सा काम कब निकालना है वो ये अच्छी तरह जानती थी।

    एक दिन सवेरे जीजू की तबीयत खराब होने पर उन्हें दीदी शहर में हमारे यहाँ पापा के पास ले गई। हमारे गांव से एक ही बस दोपहर को जाती थी और वही बस दूसरे दिन दोपहर को चल कर शाम तक गांव आती थी।

    कमली और मैं दीदी और जीजू को बस पर छोड़ कर वापस लौट रहे थे। मुझे उसे रास्ते में छेड़ने का मन हो आया। मैंने उसके चूतड़ पर हल्की सी चिमटी भर दी। उसने मुझे घूर कर देखा और बोली,"खबरदार जो मेरे ढूंगे पर चिमटी भरी..."

    "कम्मो, वो तो ऐसे ही भर दी थी... तेरे ढूंगे बड़े गोल मटोल है ना..."

    "अरे वाह... गोल मटोल तो मेरे में बहुत सी चीज़ें है... तो क्या सभी को चिमटी भरेगा?"

    "तू बोल तो सही... मुझे तो मजा ही आयेगा ना..." मैंने उसे और छेड़ा।

    "मामू सा... म्हारे से परे ही रहियो... अब ना छेड़ियो..."

    "कमली ! थारे बदन में कांई कांटा उगाय राखी है का"

    "बस, अब जुबान बंद राख... नहीं तो फ़ेर देख लियो..." उसकी सीधी भाषा से मुझे लगा कि यह पटने वाली नहीं है। फिर भी मैंने कोशिश की... उसकी पीठ पर मैंने अपनी अन्गुली घुमाई। वो गुदगुदी के मारे चिहुंक उठी।

    "ना कर रे... मने गुदगुदी होवे..."

    "और करूँ कई ... मने भी बड़ो ही मजो आवै..." और मैंने उसकी पीठ पर अंगुलियाँ फिर घुमाई। उसकी नजरे मुझ पर जैसे गड़ गई, मुझे उसकी आँखों में अब शरारत नहीं कुछ और ही नजर आने लगा था।

    "मामू सा... मजा तो घणो आवै... पर कोई देख लेवेगो... घरे चाल ने फिर करियो..."

    उसे मजा आने लगा है यह सोच कर एक बार तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। उसका मूड परखने के लिये रास्ते में मैंने दो तीन बार उसके चूतड़ो पर हाथ भी लगाया, पर उसने कोई विरोध नहीं किया।

    घर पहुंचते ही जैसे वो सब कुछ भूल गई। उसने जाते ही सबसे पहले खाना बनाया फिर नहाने चली गई। मैंने बात आई गई समझते हुये मैंने अपने कपड़े बदले और बनियान और पजामा पहन कर पढ़ने बैठ गया। पर मन डोल रहा था। बार बार रास्ते में की गई शरारतें याद आने लगी थी।

    इतने में कमली ने मुझे आवाज दी,"मामू सा... ये पीछे से डोरी बांध दो..."

    मैं उसके पास गया तो मेरा शरीर सनसनी से भर गया। उसने एक तौलिया नीचे लपेट रखा था मर्दो वाली स्टाईल में... और एक छोटा सा ब्लाऊज जिसकी डोरियाँ पीछे बंधती हैं, बस यही था। मैंने पीछे जा कर उसकी पीठ पर अंगुलियां घुमाई...

    "अरे हाँ मामू सा... आओ म्हारी पीठ माईने गुदगुदी करो... मजो आवै है..."

    "तो यह... ब्लाऊज तो हटा दो !"

    "चल परे हट रे... कोई दीस लेगा !" उसकी इस हाँ जैसी ना ने मेरा उत्साह बढ़ा दिया।

    "अठै कूण है कम्मो बाई... बस थारो मामू ही तो है ना... और म्हारी जुबान तो मैं बंद ही राखूला !"

    "फ़ेर ठीक है... उतार दे..." मैंने उसका छोटा सा ब्लाउज उतार दिया। फिर उसकी पीठ पर अंगुलियों से आड़ी तिरछी रेखाएँ बनाने लगा। उसे बड़ा आनन्द आने लगा। मेरा लण्ड कड़क होने लगा।

    "मामू सा, थारी अंगुलियों माणे तो जादू है..." उसने मस्ती में अपनी आंखें बंद कर ली।

    मैंने झांक कर उसकी चूचियां देखी। छोटी सी थी पर चुचूक उभार लिये हुये थे। अभी शायद उत्तेजना में कठोर हो गई थी और तन से गये थे। मैंने धीरे से अंगुलियां उसके चूतड़ों की तरफ़ बढा दी और उसके चूतड़ों की ऊपर की दरार को छू लिया। उसे शायद और मजा आया सो वह थोड़ा सा आगे झुक गई, ताकि मेरी अंगुलियाँ और भीतर तक जा सके। उसका बंधा हुआ तोलिया कुछ ढीला हो गया था। मैंने हिम्मत करके अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर सरकाते हुये उसकी चूंचियों की तरफ़ आ गया और उसकी एक एक चूची को सहला दिया। कमली ने मुझे नशीली आंखों से देखा और धीरे से मेरी अंगुलियाँ वहां से हटा दी। मैंने फिर से कोशिश की पर इस बार उसने मेरे हाथ हटा दिये।

    कुछ असमंजस में मुझे घूरने लगी ।

    "बस अब तो घणा होई गयो ... अब... अब म्हारी अंगिया पहना दो..."

    "अह ... अ हां लाओ" मुझे लगा कि जल्दबाजी में सब कुछ बिगड़ गया। उसने अपने चूतड़ तक तो अंगुलियां जाने दी थी... अब तो वो भी बात गई...। उसने अपना ब्लाऊज ठीक से पहना और भाग कर भीतर कमरे में बाकी के कपड़े पहनने चली गई।

    रात को मैं कमली के बारे में ही सोच रहा था कि वो दरवाजे पर खड़ी हुई नजर आ गई।

    "आओ कम्मो... अन्दर आ जाओ !" उसकी आँखों में जैसे चमक आ गई। वो जल्दी से मेरे पास आ गई।

    "मामू सा... आपरे हाथ में तो चक्कर है... मने तो घुमाई दियो... एक बार और अंगुलियां घुमाई दो !" उसकी आँखों में लगा कि वासना भरी चमक है। मेर लण्ड फिर से कामुक हो उठा।

    "पर एक ही जगह पर तो मजो को नी आवै... जरा थारे सामणे भी तो करवा लियो..." मैंने अपनी जिद बता दी। यदि चुदाई की इच्छा होगी तो इन्कार नहीं करेगी। वही हुआ...

    "अच्छा जी... कर लेवो बस... " उसकी इजाजत लेकर मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और अपनी अंगुलियां उसके बदन पर घुमाने लगा। उसका ब्लाऊज मैंने उतार दिया और अपनी अंगुलियाँ उसकी चूचियों पर ले आया और उससे खेलने लगा। मेरे ऊपर अब वासना का नशा चढ़ने लगा था। उसकी तो आंखें बंद थी और मस्ती में लहरा रही थी। मेरा लण्ड कड़ा हो कर फ़ूल गया था। जब मुझसे और नहीं रहा गया तो मैंने दोनों हाथों से उसके बोबे भींच डाले और उसे बिस्तर पर लेटा दिया।

    "ये कांई करो हो... हटो तो..." उसे उलझन सी हुई।

    "बस कमली... आज तो मैं तन्ने नहीं छोड़ूंगा... चोद के ही छोड़ूंगा !"

    "अरे रुक तो... यु मती कर यो... हट जा रे..." उसका नशा जैसे उतर गया था।

    "कम्मो... तु पहले ही जाणे कि म्हारी इच्छा थारे को चोदवां की है ?"

    "नहीं वो आप, मणे अटे दबावो, फ़ेर वटे दबावो... सो मणे लागा कि यो कांई कर रिया हो, फेर जद बतायो कि चोदवा वास्त कर रिओ है तो वो मती करो... माणे अब छोड़ दो... थाने म्हारी कसम है !"

    मैंने तो अपना सर पकड़ लिया, सोचा कि मैं तो इतनी कोशिश कर रहा हू और ये तो चुदना ही नहीं चाहती है। मैंने उसका घाघरा और ब्लाऊज उतारने की कोशिश की। पर वो अपने आप को बचाती रही।

    "मामू सा... देखो ना कसम दी है थाणे... अब छोड़ दो !" पर मेरे मन में तो वासना का भूत सवार था। मैंने उसका घाघरा पलट दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। अब मैंने उसे अपनी बाहों में दबा कर चूमना चालू कर दिया। मेरा लण्ड उसकी चूत पर बहुत दबाव डाल रहा था। छेद पर सेटिंग होते ही लण्ड चूत में उतर गया। कमली ने तड़प कर लण्ड बाहर निकाल लिया।

    "मां ... मने मारी नाक्यो रे... आईईई..." मैंने फिर से उसे दबाने की कोशिश की।

    "देख कमली , थाने चोदना तो है ही... अब तू हुद्दी तरह से मान जा..."

    "और नहीं मानी तो... तो महारा काई बिगाड़ लेगो..."

    "तो फिर ये ले..." मैंने फिर से जोर लगाया और लण्ड सीधा चूत की गहराईयों में उतरता चला गया...।

    "हाय्... मैया री माने चोद दियो रे... अच्छा रुक जा... मस्ती से चोदना !"

    मैं एक दम से चौंक गया। तो ये सब नाटक कर रही थी... वो खिलखिला कर हंस पड़ी।

    "कम्मो, जबरदस्ती में जो मजा आ रहा था... सारा ही कचरो कर मारा !"

    "अबे यूं नहीं, म्हारे पास तो आवो, थारा लवड़ा चूस के मजा लूँ ... ध्हीरे सू करो... ज्यादा मस्ती आवैगी !" उसने मुझे अपने पास खींचा और मेरा फ़नफ़नाता हुआ लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं मस्ती में झूम हो गया, मैं अपनी कमर यूं हिलाने लगा कि जैसे उसके मुँह को चोद रहा हूँ। मेरे लण्ड को अच्छी तरह चूसने के बाद अब वो लेट गई। उसने अपनी योनि मेरे मुँह के पास ले आई और अपनी टांगें ऊपर उठा दी... उसकी सुन्दर सी फ़ूली हुई चूत मेरे सामने आ गई। हल्के भूरे बाल चूत के आस पास थे... उसकी चूत गीली थी... मैंने अपनी जीभ उसकी भूरी सी और गुलाबी सी पंखुड़ियों पर गीलेपन पर रगड़ दी, मुझे एक नमकीन सा चिकना सा अहसास हुआ... उसके मुख से सिसकारी निकल गई।

    "आह्ह्ह मामू सा... मजो आ गयो... और करो..." कमली मस्ती में आ गई। मैंने अपनी जीभ उसकी गीली योनि में डाल दी। उसकी चूत से एक अलग सी महक आ रही थी। तभी उसका दाना मुझे फ़ड़फ़ड़ाता हुआ नजर आ गया। मैं अपने होठों से उसे मसलने लगा।

    "ओई... ओ... मेरी निकल जायेगी ... धीरे से...चूसो... !" वो मस्ती में खोने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे को मस्त करने में लगे थे...

    तभी कमली ने कहा,"मामू सा लण्ड में जोर हो तो म्हारी गाण्ड चोद ने बतावो !"

    "इसमें जोर री कांई बात है ... ढूंगा पीछे करो... और फ़ेर देखो म्हारा कमाल... !"

    कम्मो ने पल्टी मारी और बिस्तर पर कुतिया बन गई। उसके दोनो सुन्दर से गोल गोल चूतड़ उभर कर मेरे सामने आ गये। मैंने उन्हें थपथपाया और दोनों चूतड़ हाथों से और अधिक फ़ैला दिए। उसका कोमल सा भूरा छेद सामने आ गया। मैंने पास पड़ी कोल्ड क्रीम उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया और अपना मोटा सा लण्ड का सुपाड़ा उस पर रख दिया।

    "मामू सा नाटक तो मती करो ... म्हारी गाण्ड तो दस बारह मोटे मोटे लण्ड ले चुकी है... बस चोदा मारो जी ... मने तो मस्ती में झुलाओ जी !"

    मैं मुस्करा उठा... तो सौ सौ लौड़े खा कर बिल्ली म्याऊं म्याऊं कर रही है। मैंने एक ही झटके में लण्ड गाण्ड में उतार दिया। सच में उसे कोई दर्द नहीं हुआ, बल्कि मुझे जरूर लग गई। मैं उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा। मुझे तो टाईट गाण्ड के कारण तेज मजा आने लगा। मेरी रफ़्तार बढ़ती गई। फिर मुझे उसकी चूत की याद आई। मैंने उसी स्थिति में उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया... सच मानो चूत का में लण्ड घुसाते ही चुदाई का मधुर मजा आने लगा। चूत की चुदाई ही आनन्द दायक है... कम्मो को भी तेज मजा आने लगा। वो आनन्द के मारे सिसकने लगी, कभी कभी जोर का धक्का लगता तो खुशी के मारे चीख भी उठती थी। उसके छोटे छोटे स्तनो को मसलने में भी बहुत आनन्द आ रहा था।

    "मामू ... ठोको, मने और जोर सू ठोको ... म्हारी तो पहले सु ही फ़ाट चुकी है और फ़ाड़ नाको..."

    "म्हारी राणी जी... मजो आ रियो है नी... उछल उछक कर थारे को ठोक दूंगा ... पूरा के पूरा लौड़ा पीव लो जी !"

    "मैया री... लौड़ो है कि मोटो डाण्डो लगा राखियो है... मजो आ गियो रे... दे मामू सा ...चोद दे !"

    मेरा लण्ड उसकी चूत में तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। मेरा लण्ड में अब बहुत तरावट आ चुकी थी। वह फ़ूलता जा रहा था। उसकी चूत की लहरें मुझे महसूस होने लगी थी। उसने तकिया अपनी छाती से दबा लिया और मेरा हाथ वहाँ से हटा दिया।

    तभी उसकी चूत लप लप कर उठी... "माई मेरी... चुद गई... हाई रे... मेरा निकला... मामू सा... मेरा निकला... गई मैं तो... उह उह उह।"

    उसका रज छूट पड़ा। मेरा भी माल निकला हो रहा था। मैंने समझदारी से लण्ड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा। एक दो मुठ मारने पर ही मेरा वीर्य पिचकारी के रूप में उछल पड़ा। लण्ड के कुछ शॉट ने मेरा वीर्य पूरा स्खलित कर दिया था। मैं पास ही में बैठ गया।

    "तू तो लगता है खूब चुदी हो..."

    "हां मामू सा... क्या करूँ ... मेरे कई लड़के दोस्त हैं... चुदे बिना मन नहीं लागे ... और वो छोरा ... हमेशा ही लौड़ा हाथ में लिये फिरे... फिर चुदने की लग ही जावे के नहीं !"

    "तब तो आपणे घणी मस्ती आई होवेगी..." मैंने उसकी मस्ती के बारे पूछा।

    " छोड़ो नी, बापु और बाई सा तो काले हांझे तक आ जाई, अब टेम खराब मती कर ... आजा... लग जा... फ़ेर मौका को नी मिलेगा !" उसके स्वर में ज्वार उमड़ रहा था।

    अब हम दोनो नंगे हो कर बिस्तर पर लेट गये थे और प्यार से धीरे धीरे एक दूसरे को सहला रहे थे। जवान जिस्म फिर से पिघले जा रहे थे... जवानी की खुशबू से सरोबार होने लगे थे... नीचे छोटा सा सात इंच का कड़क शिश्न योनि में घुस चुका था। हम दोनों मनमोहक और मधुर चुदाई का आनन्द ले रहे थे। ऐसा लगता था कि ये लम्हा कभी खत्म ना हो... बस चुदाई करते ही जायें...

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    मां गुदगुदी के मारे सिसकियाँ भरने लगी

    रात आने को थी... मेरा दिल धड़कने लगा था। मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी मां मेरे सामने ही चुदेगी ! कैसे चुदेगी ... आह्ह्ह चाचा का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा ? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतरने लगा था।

    रात का भोजन मैं और मम्मी साथ साथ कर रहे थे।

    "मम्मी, एलू अंकल अच्छे है ना... "

    "हूं, बहुत अच्छे है ... प्यारे भी हैं !"

    "प्यारे भी हैं ... क्या मतलब ... यानि आपको प्यारे हैं ?"

    "अरे चुप भी रह ना, वो हमारा कितना ख्याल रखते हैं ... घर को अपना ही समझते हैं ना !"

    "मम्मी ! उन्हें यहीं रख लो ना ... देखो ना उनका अपने अलावा और कौन है ? उनके तो कोई बच्चा भी नहीं है, बिल्कुल अकेले हैं... वो तो मुझे भी बहुत प्यार करते हैं।"

    "हां, जानती हूँ... " फिर मुझे वो मुस्करा कर देखने लगी। खाना खाकर मैं अपने कमरे में चली आई। कुछ ही देर में चाचा आ गये। मम्मी ने मुझे कमरे में झांक कर देखा, उन्हें लगा कि मैं सो गई हूँ। वो चुपचाप अपने कमरे में चली गई और कमरा भीतर से बन्द कर लिया। मैंने अपने लिये लाईव शो का इन्तज़ाम पहले से ही कर रखा था। उनके दरवाजा बन्द करते ही मैं चुपके से कमरे से बाहर आ गई और खिड़की को ठीक से देखा। अन्दर का दृश्य साफ़ नजर आ रहा था। मेरा दिल धड़क रहा था कि मां की चुदाई होगी।

    मां धीरे धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थी। उनके पास आ कर वो रुक गई और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगी।

    "माया, तुम कितनी सुन्दर हो ... "

    मां ने नजर नीची कर ली। अंकल ने आगे बढ़ कर मम्मी को प्यार से गले लगा लिया। मां तो जैसे उनसे चिपट सी गई। दोनों के लब एक दूसरे से मिल गये।

    गहरे चुम्बनों का आदान प्रदान होने लगा। मां की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी, मां के भारी भारी चूतड़ों को अंकल ने दबा दिया। मां के मुख से एक प्यारी सी आह निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो हो रहा था। मम्मी ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपना पेटीकोट उनके लण्ड से टकरा दिया। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थी।

    अंकल ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की चूचियों को सहला कर दबा दिया। मम्मी सिमट सी गई।

    "माया, मेरे लण्ड को प्यार करोगी... ?"

    मम्मी धीरे से नीचे बैठ गई और उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया। उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का लण्ड बाहर आ गया। सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था। मां ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल दिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली। अंकल के हाथ मां के ब्लाऊज को खोलने में लगे थे। मम्मी ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपना ब्लाऊज उतार दिया।

    हाय रे ! मम्मी के उरोज तो सच में बहुत सधे हुये थे। हल्का सा झुकाव लिये, चिकने और अति सुन्दर।

    मम्मी ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी। अंकल के हाथ मम्मी के बालों में चल रहे थे, उनके बाल खुल गये थे। उन्होने मां को अब उठा कर अब खड़ा कर लिया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरा दिया।

    "माया, मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?"

    पहले तो मां शरमा गई। फिर वो बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगें ऊपर खोल ली।

    "हाय ... माया ... इतनी चिकनी, इतनी प्यारी ... लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाये !"

    "ऐसे मत बोलो, बस इसे चूम लो, फिर चाहे जो करो। भले ही उसे अन्दर उतार दो !"

    मां को चुदने की बहुत लग रही थी, पर अंकल ने अपना मुख मम्मी की चूत पर लगा दिया। उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया। मम्मी अपनी चूत उछालने लगी। मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया। मैं अपने कमरे में से जा कर अंकल का दिया हुआ डिल्डो उठा लाई। पहले तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी।

    मां तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थी। पर अंकल चूत से चिपके हुये उसका रस चूसने में लगे थे।

    "अब तड़पाओ मत ... जैसा मैं कहूँ वैसा करो !"

    "पीछे घूम जाओ, तुम्हारी चिकनी गाण्ड पहले मारूंगा !"

    "ओह, तुम्हें गाण्ड मारना अच्छा लगता है... कोई बात नहीं ... दोनों तरफ़ छेद है, किसी को भी चोद दो ! पर पहले मुझे मुठ मार कर दिखाओ ना !"

    "ओह, जैसी माया जी की इच्छा... "

    चाचा नीचे बैठ गए और मुठ मारने लगे। मां बहुत ध्यान से मुठ मारते हुये देखने लगी। मां के मुख से बीच बीच में सिसकी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को मुठ मारते रहे और मां ने अपनी चूत घिसना चालू कर दिया।

    जैसे ही अंकल का वीर्य छलक पड़ा। मां के मुख से भी सीत्कार निकल पड़ी।

    "इसमें आपको बहुत मजा आता है ना... ?" उनके लण्ड को मां ने हिलाया, मां ने अंकल को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे उनकी छाती पर घिसने लगी।

    "माया, अब तुम्हारी बारी है ... चलो शुरू हो जाओ !"

    मां भी जमीन पर बैठ गई और अपनी चिकनी चूत को पहले तो सहलाने लगी। फिर चूत की धार को मसलने सी लगी। फिर मां ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगी। फिर उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी अंगुली घुसा ली और आह भरते हुये हस्तमैथुन करने लगी। मां जल्दी ही झड़ गई, वो शायद पहले ही उत्तेजित थी।

    मां के झड़ते ही अंकल मां की चूत का रस चूसने लगे। मां ने उन्हें अपनी जांघों के बीच दबा लिया।

    "अब देखो, मैं तैयार हूँ, अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूंगा... मजा आ जायेगा !"

    मां ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की ओर उभार दी। अंकल तो गाण्ड मारने में उस्ताद थे ही। उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और मां मस्त हो गई। मुझे देखने में बहुत आनन्द आ रहा था। मम्मी की गाण्ड अंकल ने बहुत देर तक बजाया। मम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रही।

    मम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।

    "जूस पियोगे या दूध लाऊँ?"

    "अभी तो दूध ही पियूंगा, फिर जूस... "

    मां जैसे ही उठी दूध लाने के लिये, चाचा ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुख से दबा लिया।

    "कहां जा रही हो, दूध नहीं पिलाओगी क्या ?"

    और मां को गुदगुदाते हुये दूध पीने लगे।

    हुंह ... मां के खूब चूस चूस के पी रहा है ... मेरे तो चूसता ही नहीं है !

    मां गुदगुदी के मारे सिसकियाँ भरने लगी।

    "बहुत प्यारे हो एलू तुम तो ... कैसी कैसी शरारते करते हो... "

    दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ खेल रहे थे... खेलते हुये उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। अंकल का लण्ड फिर से फ़ुफ़कारने लगा था।

    "अब देरी किस बात की है?" मां ने अनुरोध किया।

    "बस हो गया ना ... अब कल के लिये तो कुछ छोड़ो !"

    "बस एक बार, मेरे ऊपर चढ़ जाओ ... मुझे शांत कर दो !"

    "कहीं कुछ हो गया तो ... ?"

    "कुछ नहीं होगा, मेरा ऑप्रेशन हो चुका है ... अब तो आ जाओ !"

    अंकल का चेहरा खिल गया। मां ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा ली। अंकल उन टांगों के बीच में समा गये। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड मां की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड मां की चूत में घुसता चला गया। मां खुशी से झूम उठी। मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, मैंने डिल्डो को धीरे से अपनी चूत में घुसा लिया, मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।

    मेरी मां अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा था। मां की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थी। दोनों गुत्थम-गुत्था हो गये थे। कभी अंकल ऊपर तो कभी मम्मी ऊपर ! खूब जम कर चुदाई हो रही थी। मां को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था। वो एक काम की देवी लग रही थी। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो दोनों आज ही कर डालेंगे।

    तभी दोनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा। अरे ! क्या दोनों झड़ चुके थे? सफ़र की इति हो चुकी थी। वो दोनों झड़ चुके थे।

    मैं अपने कमरे में आ गई और चूत में डिल्डो को फ़ंसा कर अन्दर बाहर करने लगी। साथ में अंकल को गालियाँ भी देती जा रही थी- साला, बेईमान, झूठा ! मम्मी को तो बुरी तरह चोद दिया और मुझे... हरामी घास भी नहीं डालता है।

    अब किसे क्या बताऊं, मैं भी तो जवान हूँ, मुझे भी तो एक मोटा, लम्बा, कड़क ... हाय, हां ... बस आपके जैसा ही... ऐसा ही तो लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ना है। प्लीज आईये ना !!!

    

    भईया, यह क्या कर रहे हो?

    मैं आप लोगों को आज अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।। मेरा नाम राहुल है और मैं एक बिज़नसमैन हूँ। मेरे घर में हम चार लोग हैं- पिताजी, माँ, मैं, और मेरी छोटी बहन !

    बात आज से 4 साल पहले की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मेरी बहन दसवीं में थी। मेरे पिताजी अक्सर घर देर से ही आते थे क्योंकि बिज़नस की वज़ह से उन्हें देर हो जाती थी और माँ ज्यादातर अपने घर के काम में या फिर टीवी देखने में व्यस्त रहती थी। मेरी बहन जिसका नाम रिया है अधिकतर पढ़ाई करती रहती थी।

    मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा था। मगर एक दिन मैं अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था कि एकदम से रिया मेरे कमरे में आ गई मैंने उसको देखते ही कंप्यूटर बंद कर दिया मगर उसने सब देख लिया था लेकिन वो कुछ बोली नहीं। मैं उससे कुछ नहीं कह पाया, वो हिम्मत करके मेरे पास आई और बोली- भईया मुझे यह सवाल नहीं आ रहा, इसको हल करने में मेरी मदद करो। मैंने कहा- ठीक है !

    लेकिन मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मैंने उसका सवाल हल कर दिया। फिर वो जाने लगी तो मैंने उससे बोला- जो भी तुमने देखा है, वो किसी को मत बताना !

    तो वो बोली- भईया, मैं किसी को नहीं बताउंगी पर यह सब अच्छी चीज़ नहीं हैं, आप मत देखा करो !

    मैंने उससे कहा- ठीक है !

    फिर वो चली गई लेकिन उस दिन मुझे उसे देख कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ, मेरे दिल में उसके लिए गलत ख्याल आने लगे। मैं आपको बता दूँ कि रिया देखने में बहुत ही सेक्सी है। उसका फिगर 34-26-34 है, रंग हल्का साँवला है। जो भी उसको एक बार देख ले, उसका लंड अपने आप ही खड़ा हो जाए।

    दो दिन बाद दोपहर के वक़्त माँ घर का काम निपटा कर सो रही थी और मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। इतने में रिया आई और बोली- भईया उठो, मुझे एक सवाल समझ नहीं आ रहा, मुझे समझा दो।

    तो मैं उठ कर उसे सवाल समझने लगा। लेकिन आज उसके मेरे पास बैठने से मुझे कुछ-कुछ हो रहा था, उसकी खुशबू मेरी साँसों में भर रही थी। मैं सवाल पर ध्यान नहीं लगा पा रहा था कि इतने में वो बोली- भईया, क्या बात है ?

    तो मैं बोला- मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए मैं यह सवाल नहीं कर पा रहा हूँ !

    तो वो बोली- भईया, नींद तो मुझे भी आ रही है ! ऐसा करते है ख़ी कुछ देर के लिए सो जाते हैँ, बाद में सवाल कर लेंगे।

    इतना कह कर वो आपने कमरे की तरफ जाने लगी तो मैंने उससे कहा- रिया, कहां जा रही है? यहीँ पर सो जा ! थोड़ी देर में तो उठ कर सवाल करना ही है।

    तो वो बोली- ठीक है !

    फिर वो मेरे बगल में आकर सो गई। मैं भी सोने का नाटक करने लगा। लेकिन नींद तो आ ही नहीं रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने आपना एक हाथ हिम्मत करके उसके चूचों पर रख दिया और कोई हरकत नहीं की ताकि उसको ऐसा लगे कि गलती से नींद में रखा गया हो।

    थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज चलने लगी। फिर मैंने हिम्मत करके उसकी टांग के बीच अपनी टांग फंसा दी। अब वो मेरी पकड़ में थी, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी पर उसने अभी तक कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।

    मैंने अपने हाथ से उसके चूचे मसलना चालू कर दिया, कुछ देर बाद वो बोली- भईया, यह क्या कर रहे हो?

    तो मैंने उससे साफ़ साफ़ कह दिया- मैं तुझे प्यार करता हूँ और जब भी तू मेरे सामने आती है तो मैं अपने होश खो बैठता हूँ।

    वो बोली- भईया, यह सब सही नहीं है ! अगर किसी को पता चल गया तो? और वैसे भी हम भाई-बहन हैं।

    मैंने उससे कहा- किसी को पता नही चलेगा ! और भाई-बहन हैं लेकिन हैं तो लड़का-लड़की ! इतना तो सब में ही चलता है ! आखिर एक दिन तो तुम्हें किसी न किसी से चुदना ही है तो अपने भाई से ही क्यों नहीं !

    इतना कह कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा विरोध भी कर रही थी। तो मैंने उससे कहा- तुम मेरा साथ दो तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और घर की बात घर में ही रहेगी।

    तो उसने करवट ली और मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा ला दिया और बोली- ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए !

    मैंने उससे कहा- तू फिक्र मत कर !

    फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे। फिर उसके बाद मैंने उसका कुरता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार दी।

    क्या क़यामत लग रहे थे उसके चूचे !

    मैंने एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसल रहा था और उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। फिर उसने मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपने हाथ से दबाने लगी। मुझे लगा जैसे कि मैं जन्नत में पहुँच गया।

    इतनी में मैंने उसकी जींस और पेंटी नीचे सरका दी। फिर उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के बगल में लेटे थे। मैंने देर न करते हुए उसे अपनी बाहों में समेट लिया और कहा- मैं तुम्हारे बदन की गर्मी लेना चाहता हूँ, इसका अहसास लेना चाहता हूँ !

    रिया बोली- केवल आप ही नहीं मैं भी यही चाहती हूँ !

    उसका इतना कहना था कि मैं तो खुशी से पागल हो गया। फिर मैंने अपनी जीभ से उसका पूरा बदन चाटा, फिर मैं उसकी टांगों के बीच गया और उसकी गुलाबी पंखुड़ी वाली चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसकी चूत में हल्के-हल्के बाल थे। मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी, वो तो जैसे पागल ही हो उठी और उसके पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया।

    वो बोली- भईया, मैं मर जाउंगी !

    और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी तो वो बोली- भईया, मुझे भी आपका लंड चूसना है !

    तो हम 69 की मुद्रा में आ गए। अब हम दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे और फिर हम दोनों एक एक करके झड़ गए। इसके बाद हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेट गए। थोड़ी ही देर में हम फिर से गर्म हो गए और मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा तो वो बोली- भईया, अब नहीं रहा जाता ! अपना लंड अन्दर डाल दो !

    मैं उसकी टांगो के बीच आ गया, उसकी चूत अभी कुँवारी थी और मैं उसे दर्द नहीं पहुँचना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने पहले अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया, फिर उसकी चूत पर भी थूक से मालिश कर दी। मेरा लुंड सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है।

    उसके बाद मैंने अपना लंड रिया की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अन्दर करने लगा, पर जा नहीं रहा था इसलिए मैंने एक हल्का सा धक्का लगा दिया तो रिया जैसे तड़प सी गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई। मेरे लंड का सुपारा अन्दर जा चुका था। फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उसके चूचे मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने हल्के-हल्के लंड अन्दर डालना चालू किया और बीच बीच में हल्का सा धक्का भी मार देता था जिससे कि उसकी चीख निकल जाती थी। लेकिन मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख रखे थे जिससे उसकी चीख बाहर न जाये। अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत बहुत ही कसी थी और मैं हल्के-हल्के अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। शुरु में तो उससे थोड़ा दर्द हुआ पर फिर उसे भी मज़े आने लगे और वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।

    अब हम दोनों चुदाई का पूरा आनंद ले रहे थे। वो कह रही थी- भईया और जोर से !

    मैं भी रिया से कह रहा था- देख ! बहन को अपने भाई से चुदने में कितना मज़ा आता है !

    वो बोली- हाँ भईया, सही में बहुत मज़ा आ रहा है ! यह तो सबको करना चाहिए ! लेकिन दुनिया के ये झूठे रिवाज़ हमें रोके रखते हैं। भईया, मैं तो ये सोचती हूँ कि कोई भी किसी के साथ भी चुदाई कर सकता है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो रिश्ते में क्या लगते हैं, आखिर वो हैं तो मर्द और औरत ही !

    और हम ऐसे ही बातें करते करते चुदाई का आनंद लेते रहे। शायद रिया एक बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी चरम सीमा तक पहुँच चुका था और फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ एक दूसरे में समां गए और अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और एक दूसरे को पूरी ताकत से पकड़ लिया।

    फिर हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया। हम लोग उस वक़्त भी बिलकुल नंगे थे, मुझे रिया के चूतड़ दिखाई दिए बिल्कुल गोल-गोल और मुलायम ! बिल्कुल गोरे-गोरे और चिकने !

    मेरा लंड फिर से जोर मारने लगा। मैं उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और ले जाकर उसे फिर से बिस्तर पर डाल दिया।

    वो बोली- भईया, अब क्या?

    मैंने उससे कहा- बहन, मुझे तेरी गांड मारनी है !

    तो वो बोली- नहीं भईया ! मुझे बहुत डर लगता है, गांड मरवाने में तो बहुत दर्द होगा !

    तो मैंने उससे कहा- मैं दर्द नहीं करूँगा, आराम आराम से करूँगा !

    वो बोली- भईया, मार लेना मेरी गांड, लेकिन अभी नहीं, अभी बहुत देर हो गई है और माँ भी उठने वाली होगी हम गांड का प्रोग्राम किसी और दिन करेंगे।

    मैं मान गया और उसके होठों का एक लम्बा चुम्मा लिया और उसके चूचे भी दबाये। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर रिया चाय बनाने चली गई।

    मैंने और रिया ने मिलकर चाय पी। फिर वो अपने कमरे में चली गई।

    मैंने रिया की गांड कैसे मारी, यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा।

    आप मुझे बताइए कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

    coolestjain.rahul@gmail.com

    

    भाभी तड़प गई

    मेरा नाम अनिल है मैं कानून का छात्र हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। अन्तर्वासना पर मैं एक अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी ऐसी है जो आज तक मैंने अपने दिल में दबा कर रखी है और जिसे पढ़ कर सभी चूत और लंड पानी छोड़ देंगे ! जब बच्चे यह भी नहीं जानते कि मुठ मारना क्या होता है, मैं तब से और आज तक मुठ मारता आ रहा हूँ। जिससे मेरा लंड भी टेढ़ा हो गया है, तो तुम अंदाजा लगा सकते हो कि मैं कितना गुंडा हूँ !

    बात उस समय की है जब मेरी जवानी पूरे जोश पर थी मेरा वीर्य निकलना शुरू ही हुआ था और कोमल-कोमल झांट आई थी और चूत मारने का इतंना मन करता था कि बस चूत हो ! कैसे ही हो !

    मेरे बड़े भाई की शादी हुई, बड़ी सुंदर भाभी आई, नाम है मनोरमा, जिसके गोल-गोल चूचे, उठी हुई गांड है !

    शुरू से ही मैं अपनी भाभी से एक हद तक मजाक करता था पर मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ! भाई की रात की ड्यूटी लगी हुई थी, मम्मी और पापा भैंसों के प्लाट में सोते थे।

    अब मम्मी बोलने लगी- अनिल बेटा, तेरे भाई की रात की ड्यूटी है, तू अपने कमरे में सोने की बजाय अपनी भाभी के साथ सो जाना, कभी वो अकेली डर जाये!

    एक बार तो मैंने मना किया पर मम्मी के कहने पर तैयार हो गया। तब तक मेरा मन बिलकुल शुद्ध था और सोच रहा था कि डबल बेड है, एक तरफ मैं सो जाऊंगा और एक तरफ भाभी !

    बस एक अजीब सी खुशी थी कि भाभी के बेड पर सोऊंगा !

    अब भाभी ने सारा घर का काम खत्म कर लिया और आ गई सोने के लिए अपने बेड पर। मैं पहले से ही बेड पर था, भाभी बोली- अनिल, सो जाओ !

    हमने लाइट बुझाई और सो गए, डबल बेड पर एक तरफ मैं और एक तरफ भाभी थी।

    रात को लगभग बारह बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ पर था और मुँह भाभी के पैरों के तरफ था। बस वो पल मेरे लिए तूफान बनकर आया जिसने मेरी माँ समान भाभी मुझसे चुदवा दी।

    अब मेरी नींद उड़ गई और मुझे अपनी भाभी एक लंड की प्यास बुझाने का जुगाड़ दिखने लगी। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कहाँ से शुरुआत करूँ !

    कम से कम एक घंटा मैं एक अवस्था में ही लेटा रहा, जब तक भाभी गहरी नींद में थी।

    अब मेरा सबर का बांध टूट गया, मैंने भाभी की तरफ करवट ली और अपना ग्यारह इंच का लंड भाभी की गांड क़ी दरार में धीरे से भिड़ा दिया। उस समय मैं बहुत डरा हुआ था, फिर धीरे से पैरों पर एक चुम्बन लिया ! उसके बाद मेरा कुछ होंसला बढ़ा कि भाभी कुछ नहीं बोल रही ! मेरे हिसाब से भाभी जग गई थी और आराम से मजा ले रही थी।

    फिर मैं भाभी क़ी गांड से हाथ हटाकर पेट पर हाथ ले गया, पर मेरी गांड फट रही थी !

    मैंने धीरे से कमीज़ ऊपर कर दिया और धीरे-धीरे सलवार के अन्दर हाथ ले गया, फिर कच्छी क़ी इलास्टिक ऊपर क़ी और भाभी क़ी चूत पर हाथ रख दिया। लगता था कि भाभी ने सात-आठ दिन पहले ही झांट काटी होंगी क्योंकि छोटे-छोटे बाल आ रहे थे जो मेरे हाथ में चुभ रहे थे !

    भाभी ने एक अंगड़ाई ली और सीधी हो गई। मेरी गांड फट कर हंडिया हो गई, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और सोने का नाटक करने लगी। मेरा लंड तन कर पूरा लक्कड़ हो रहा था। अब मेरा डर दूर था, मैंने भाभी का नाड़ा खोलकर सलवार और कच्छी उतार दी।

    भाभी जग गई और बोलने लगी- अनिल, यह क्या बद्तमीजी है?

    मैं बोला- भाभी, एक बार मुझे अपनी चूत में अपना लण्ड घुसाने दे ! यह बात किसी को नहीं पता चलेगी।

    वो कहने लगी- अनिल, यह गलत है !

    मैं भाभी क़ी अनसुनी करते हुए भाभी के होंठ चूसने लगा, अब भाभी भी गर्म हो गई थी और मेरा विरोध नहीं किया, इसलिए मैंने देर नहीं क़ी और भाभी क़ी चूत में उंगली डाल दी। चूत कुंवारी जैसी थी क्योंकि अभी मेरी भाभी एक बार भी गर्भवती नहीं हुई थी।

    अब भाभी तड़प गई और कहने लगी- अनिल जल्दी कर !

    मैंने अपना टेढ़ा लंड भाभी क़ी कोमल चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा, एक ही धक्के में लंड तो अन्दर चला गया पर भाभी दर्द से तड़प गई और बोली- अनिल, तेरे टेढ़े लंड ने तो मेरी जान ले ली !

    मैंने भाभी को जोर-जोर से धक्के मारे, भाभी तड़पती रही और अपनी गांड हिला कर मेरा साथ देती रही।

    पंद्रह-बीस मिनट में पहले भाभी झड़ गई और फिर मैं !

    उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा !

    भाभी सुबह जल्दी उठ गई और बोली- अनिल, यह बात मेरे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिए !

    मैंने कहा- ठीक है भाभी !

    दोस्तो, अन्तर्वासना पर मेरी पहली और सच्ची कहानी कैसी लगी?

    अगली कहानी में बताऊंगा कि किस तरह मेरी भाभी ने मुझे फंसवा दिया !

    hindi39@yahoo.com

    

    बहन राधा की चुदाई

    यह मेरी पहली कहानी है। जब मेरी उम्र 18 साल की थी, मैं अपने गाँव में शादी में गया हुआ था। वहां पर रजनी भी आई हुई थी लेकिन उससे मेरी कभी बात नहीं होती थी। उसके स्तन मुझे बहुत हो प्यारे लगते थे जो मैंने नहाते समय देख लिए थे- जब वो नहाने के लिए बाथरूम में गई तो थोड़ी देर बाद में ही घुस गया क्योंकि बाथरूम के गेट में कुण्डी नहीं थी वो केवल पैंटी में ही थी।

    मई का महीना चल रहा था, गर्मियों के दिन थे। सभी लोग रात में छत पर सोते थे। घर में भी मेहमान आये हुए थे। एक दिन रजनी अनजाने में मेरे बगल में आकर लेट गई। तब रात के 11 बज रहे थे, मुझे अब नींद नहीं आ रही थी। एक बज चुका था, सभी लोग सो चुके थे, वो भी सो गई थी। उसने फ़्रॉक पहनी हुई थी और सोते समय उसकी फ़्रॉक काफी ऊपर आ गई थी। अब उसे देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने डरते हुए उसकी पैंटी को छुआ तो कोई हलचल नहीं हुई क्योंकि वो सो रही थी। अब मेरी हिम्मत और बढ़ गई। अब मैंने उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया। उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डाला। उसकी चूत के ऊपर बाल थे। अब मैं उसकी चूत को सहला रहा था और उसके छेद में ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी चूत बहुत कसी हुई थी।

    तभी उसने एकदम करवट ली, मैं एकदम डर गया और सोने का नाटक करने लगा। लेकिन वो अब भी सो ही रही थी। थोड़ी देर बाद मैं मुठ मार कर सो गया।

    सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो मुझसे पहले उठ चुकी थी। अब मेरा दिन नहीं कट रहा था और रात का इंतजार कर रहा था।

    जब रात हुई तो वो कल की तरह ही सोने के लिए आई लेकिन उसके और मेरे बीच में मेरे ताउजी की बेटी राधा आकर लेट गई। राधा मुझसे एक साल बड़ी थी। मैं रात को सोना नहीं चाहता था। रजनी सो चुकी थी और राधा भी।

    तभी मैंने राधा के ऊपर से हाथ डाल कर जैसे ही रजनी को छुआ तो राधा के स्तन मेरे हाथ से दब रहे थे। इसी वजह से राधा की नींद खुल गई और वो सोने का नाटक करने लगी थी। अब मैंने जैसे ही रजनी की पैन्टी में हाथ डाला तो राधा ने अपनी आँखे खोल दी। उसे जगता देखकर मैं डर गया लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और थोड़ी देर बाद वो उठकर मेरी दूसरी तरफ आ गई अब मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है। उसने मेरा रास्ता साफ कर दिया। अब मैं आसानी से रजनी की चूत सहला रहा था।

    लेकिन थोड़ी देर बाद राधा ने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया। मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो क्या चाहती है। अब राधा मुझसे चिपक गई थी और वो काफी गरम लग रही थी। उसने अपना कमीज़ खुद ही ऊपर कर दिया लेकिन वो मेरी बहन थी इसलिए मुझे बहुत डर लग रहा था। पर उस वक्त मुझे केवल चूत ही दिख रही थी। मैं राधा की चूत को सलवार के ऊपर से सहला रहा था और उसके स्तन चूस रहा था क्योंकि उसने अपना कुर्ता खुद ही ऊपर कर लिया था।

    थोड़ी देर बाद मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला तो राधा ने पैन्टी नहीं पहनी थी। उसने कहा कि वो सूट के साथ पैन्टी नहीं पहनती है। उसकी भी चूत पर बहुत बाल थे। अब मैं उसकी चूत के दाने को सहला रहा था, बीच बीच मैं उसके छेद में उंगली भी डाल देता था। उसकी चूत रजनी की तरह कसी हुई नहीं थी। तो उसने बताया कि वो चुपचाप मोमबत्ती अन्दर डालती थी।

    थोड़ी देर बाद उसकी चूत में से पानी निकलने लगा। अब उसने मुझसे कहा कि उसकी चूत को अब लंड की जरुरत है।

    राधा ने अपनी सलवार और नीची कर दी और अब मैं उसके ऊपर था और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ रहा था लेकिन वो बहुत ही उतावली हो रही थी चुदने के लिए !

    मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला तो उसके मुँह से अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह की आवाज निकली और मैं उसको लगातार चोदने में लगा हुआ था। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और मैंने भी अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। फिर हम लोगों ने अपने कपड़े सही किये और बातें करने लगे। रात के तीन बज चुके थे।

    अचानक रजनी ने करवट बदली और उसका एक पैर मेरे ऊपर था वो भी बहुत गरम हो रही थी। मैंने फिर रजनी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

    तब राधा ने कहा- मैं तुझे रजनी की चूत भी दिलवाऊंगी।

    अब तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न था। थोड़ी देर तक हम लोग चूमा-चाटी करके सो गए।

    सुबह राधा ने मुझे कहा- मैं रजनी को दोपहर में ऊपर के कमरे में ले आऊअगी और तुम कमरे में छुप जाना। जब मैं इशारा करूं तो तुम बाहर निकल आना !

    वही हुआ। दोपहर में मैं कमरे में छुप गया तो वो दोनों कपड़े बदलने लगी। यह सब राधा का नाटक था।

    उसने रजनी को कहा- हमें कहीं जाना है इसीलिए ऊपर कमरे में कपड़े बदल ले !

    जब रजनी ने अपने कपड़े उतारे तो मैं उसका बदन देखकर दंग रह गया। उसका शरीर तो मानो एकदम मक्खन की तरह लग रहा था। वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी।

    तभी राधा ने उसकी एक चूची को दबा किया। इस पर उसने भी राधा की दोनों चूचियां मसल दी। राधा तो यही चाहती थी कि रजनी यह सब करे।

    अब वो दोनों एक दूसरे के स्तन दबा रही थी कि तभी राधा ने रजनी की पैन्टी उतार दी और खुद भी नंगी हो गई। अब वो दोनों एक दूसरे की चूत में ऊँगली डाल रही थी।

    तभी रजनी ने कहा- काश ! यहाँ कोई लड़का होता तो कितने मजे आते !

    तो राधा ने मुझे इशारा किया तो मैं बाहर आ गया। मुझे वह देखकर रजनी को शर्म आने लगी और अपनी चूत को अपने हाथों से छुपाने लगी। लेकिन तब तक वो मेरी बाहों में थी और मैं उसको गालों और होंठों को चूम रहा था। मेरा एक हाथ रजनी के वक्ष पर था और दूसरा उसकी चूत पर !

    उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैं समझ गया कि वो चुदाने के लिए तैयार है।

    अब मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसकी चूत पर लंड रगड़ने लगा। फिर जैसे ही मैंने अपने लंड को झटका दिया तो वो थोड़ा सा उसकी चूत में चला गया। वो रोने लगी और बोली- प्लीज, बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है !

    मैं उसकी एक नहीं सुन रहा था। थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। मैं बिल्कुल शांत था ताकि उसका दर्द कुछ कम हो जाये।

    जब वो कुछ शांत हुई तो मैंने उसको चोदना शुरू किया। उसे भी अब अच्छा लग रहा था। राधा भी अपनी चूत में उंगली डाल के शांत हो गई थी।

    थोड़ी देर में मैंने वीर्य से उसकी चूत भर दी थी। जब मैंने देखा तो वहाँ पर खून पड़ा था और रजनी की चूत भी खून से लाल थी।राधा ने बाद में यह सब साफ किया।

    फिर जब भी मौका मिलता तो मैं अपनी बहन राधा की चुदाई करता।

    2-3 दिन में रजनी अपने घर जा चुकी थी लेकिन उसको मैंने 3-4 बार चोद लिया था।

    हम लोग भी अपने घर पर आ गए। राधा और मेरा चुदाई का सिलसिला आज भी है।

    आपको मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी? मुझे जरूर बतायें !

    agrah_sharma@yahoo.com

    

    Thursday, March 18, 2010

    सम्भोगकला स्वर्गीय आनन्द र स्त्री

    सम्भोगलाई दाम्पत्य जीवनको प्रमुख तत्वको रूपमा लिइन्छ। प्राणीलाई भोजनको अति आवश्यकता पर्दछ। सम्भोगको भोक पनि त्यस्तै हो, जो निश्चित समयमा इच्छा जागेर आउँछ आपसी आवश्यकताअनुरूप ग्रहण गर्ने गरिन्छ। सम्भोग एउटा कला हो यसलाई पर्याप्त ज्ञान अभ्यासबाट नै निपूर्णता हासिल गर्न सकिन्छ। सम्भोग वासना तृप्ति मनोरञ्जनको साधन मात्र होइन, यो एउटा स्वाभाविक प्रकृतिप्रदत्त नियमहरूभित्र रहेर खेलिने सुमधुर एवं स्वर्गीय आनन्द प्राप्तिको लागि खेलिने खेल हो। यसलाई सम्पादन गर्नका लागि विभिन्न शास्त्रीय तथा प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक नियम मान्यताहरू छन्।

    1.

    सम्भोग क्रिया पूर्वनियोजित हुनुपर्दछ, आकस्मिक होइन। पूर्वनियोजित सम्भोगले पुरुषलाई कामकलाका लागि उत्साहपूर्ण तयारीको अवसर प्रदान गर्दछ।
    पुरुष स्त्रीको जीवनमा एउटा स्वाभाविक अन्तर के हो भने सम्भोग क्रियाको लागि पुरुष अल्पसमयमा नै आफ्नो वासनालाई जागृत गरेर कामोत्तेजित अवस्थामा आएर कामक्रीडाको लागि तयार हुन्छ तर स्त्रीलाई मानसिकरूपले कामोत्तेजित अवस्थामा ल्याउन केही समय ढिलो हुन्छ। सम्भोग सुखको यथार्थ अनुभूति तथा तृप्तिको लागि स्त्री-पुरुष दुवै समानरूपले कामोत्तेजनाको शिखरमा पुग्न जरुरी हुन्छ। यस कारण सम्भोग कार्यका लागि तत्पर पुरुषले स्त्रीलाई कामोत्तेजनामा तीव्रता ल्याउनका लागि केही विशेष उपायहरूको अवलम्बन गर्नु आवश्यक हुन्छ। स्त्री-पुरुषले यस कामको लागि उत्साहपूर्ण वातावरण बनाउनुपर्दछ। स्त्री चाहन्छिन् कि यो कामको लागि उपयुक्त वातावरणको सिर्जना पुरुष स्वयम्ले नै गरोस्। उनको सम्भोग इच्छा जागृत गर्नका लागि प्रारम्भिक चरणका क्रियाकलापहरूको सुरुवात पुरुषले नै गर्नुपर्दछ। किनभने स्त्री स्वभावतः लजालु हुने भएकाले अगाडि बढ्न सक्दिनन्।
    सम्भोग क्रियाकलापका लागि शान्त वातावरण हुनु जरुरी हुन्छ। शान्त स्थानमा बसेर स्त्री साथीसँग मधुर तथा हृदयस्पर्शी वार्तालाप गर्नुपर्छ। एकापसमा बसेर गरेका कुराकानीहरूलाई सुमधुररूपमा अगाडि बढाउँदै लैजानुपर्दछ। यसबाट एकापसमा रहेका संकोचहरू हट्दै जानेछन्। हल्का केही खाने कुरा स्वेच्छाले खाँदै कुरा गर्दै गरेमा अरू उनको मन जित्न सफल होइन्छ। कुराकानीको क्रमसँगै आफ्ना नयनले स्त्रीको नयनभित्र नियाल्ने प्रयत्न गर्दै गर्नुपर्दछ।
    यसरी गरिएको ख्यालठट्टा हँसीमजाकले गर्दा दुवैमा एक प्रकारको आनन्दानुभूति गराउँछ। स्त्री-पुरुष आपसमा नजर जुध्न थालेपछि स्त्रीमा भएको डर संकोच हटेर जान थाल्छ उनी बिस्तारै-बिस्तारै निर्धक्करूपमा हाँस्ने, ठट्टा गर्ने गर्न थाल्नेछिन्। आँखाको भावद्वारा उनको अवचेतन मनमा कामभावनाका तरङ्गहरू उत्पन्न हुन थाल्नेछन्। बिस्तारै पुरुषले कुनै बहाना बनाएर उनका हात समाउने चेष्टा गर्नुपर्दछ, यसबेला उनको मुखाकृतिमा कस्तो भाव उत्पन्न हुन्छ, यसलाई पुरुषले धेरै विचार गर्नुपर्दछ। उनी हाँसिन् रोमाञ्चक भावमा वार्तालाई अरू अगाडि बढाइन् भने तपाईं पनि अगाडि बढ्नोस् उनको पिँडुलादेखि टाउकोसम्म हातले स्पर्श गर्नुस्। यसले स्त्रीको शरीरमा एक प्रकारको विद्युतीय तरङ्ग उत्पन्न गर्दछ। जस्तो कुनै युवतीले हाम्रो शरीरमा छुँदा सिरिङ्ग हुन्छ, त्यस्तै हो। यसपछि उनको मनमा कामचाहनाको टुसा उम्रन सुरु गर्छ।
    तपाईंले उनको शारीरिक सौन्दर्य, मधुर बोली, शृंगार, मदमत्त मृगका झैँ नयन उनको सुशील व्यवहारको खुला हृदयले प्रशंसा गर्नुपर्छ। प्रायःजसो सबै स्त्रीहरू आफ्नो प्रशंसा सुनेर धेरै आनन्दको अनुभूति गर्दछन्। आफ्नो अनुपम सौन्दर्यको प्रशंसा सुनेर उनी विशेष सुखानुभूति गर्छिन्। यसबाट उनको पूर्णरूपमा मन जित्न सकिन्छ। यसपछि उनमा पूर्ण संकोच हट्दै कामोत्तेजना जागृत हुन थाल्छ। अब पुरुषले उनका स्याउझैँ लालिमायुक्त गाला, ओठ, निधार, आँखा, घाँटी, कान, चिउँडो, कपाल आदिमा प्रगाढ चुम्बन बर्साउन थाल्नुपर्दछ। उनका स्तनहरूमा हल्कारूपमा स्पर्श गर्न थाल्नुपर्छ। क्रमिकरूपमा एक-अर्काका शरीरिक अङ्गहरूलाई कोमलतापूर्वक समाएर माड्ने, मुसार्ने, चुस्ने, खेलाउने, काउकुती लगाउने, चुम्बन गर्ने गर्नुपर्दछ।
    जुन सम्भोगको दृष्टिले पूर्ण सम्वेदनशील हुन्छन्। पुरुषको शरीरको सबैभन्दा प्रमुख कामकेन्द्र उसको लिङ्गको अगाडिको भाग हो, जसलाई शिश्नमुण्ड भनिन्छ। यसको स्पर्शले मात्र पनि पुरुष कामोत्तेजित हुन पुग्छ। यस्तै स्त्रीको शरीरमा ओठ, स्तनका मुन्टाहरू, भगनासालाई खेलाएर, सुम्सुम्याएर, काउकुती लगाएर चुम्बन गरेमा स्त्रीको शरीरमा विद्युतीय शक्तिझैँ भई स्त्री कामातुर हुन्छिन्। उक्त प्रक्रियाले स्त्रीलाई कामान्ध बनाइदिन्छ। यही मौका छोपेर पुरुषले उनका भित्री कपडाहरू फुकालिदिनुपर्छ। यसबेला उनले आपत्ति गरिन् भने पुनः उनका स्तन मुसार्नुका साथै स्त्री कामकेन्द्रहरू- ओठ चुस्ने, निधार, केश, आँखा, घाँटी, छाती, गर्दन आदिमा चुम्बन गर्ने तथा पाखुरा, ढाडको तल-माथि तिघ्राका बीचमा सुम्सुम्याउने मुसार्ने गर्नुपर्दछ।
    यसपछि उनको यौनेन्द्रीयबाट केही तरल पदार्थ बाहिर आउन थालिसकेको हुन्छ। यदि यो उनको पहिलो सम्भोग क्रिया हो भने आफू कामातुर भएर पनि लज्जाले उनी आफ्नो दुवै हातले स्तनहरू छोप्ने दुवै तिघ्रा जोरेर कामेन्द्रीयलाई लुकाउने, आँखा चिम्लिने आदि गर्ने गर्दछिन्। यस्तो अवस्थामा संयमद्वारा धैर्य गरेर मधुर व्यवहारले नै स्त्रीको लाज, संकोच तथा डरको निवारण गर्नुपर्दछ। बिस्तारै उनको कामाङ्ग विशेष भगोष्ठ, भङ्गाकुर योनी वरिपरिको क्षेत्र, स्तन आदिमा पर्याप्त चुम्बन गर्ने, घर्षण गर्ने तथा मुसार्ने, मिच्ने आदि गर्नुपर्छ। तत्पश्चात् उनको शरीरमा छचल्किरहेको कामेच्छा तीव्ररूपमा जागृत भएर आउँछ। उनी रोक्न सक्दिनन् सम्भोगको निम्ति आतुर हुन थाल्छिन्। उनी हाँस्न थाल्छिन्, नयनहरू नसिला देखिन्छन्, पुरुषलाई अङ्गालो हाल्ने, चुम्बन गर्ने टाँसिन थाल्छिन्। उनका ओठहरूमा अलिअलि कम्पन हुन थाल्छन्।
    अब तिनी मदमत्त भएर आफ्नो योनीमा लिङ्ग प्रवेशको लागि इच्छुक भइन् भन्ने कुरा बुझ्नुपर्छ। स्त्रीमा यस्तो अवस्था उत्पन्न हुनासाथ पुरुषले उसको योनीमा आफ्नो शिश्नलाई बिस्तारै-बिस्तारै प्रविष्ट गराउनुपर्दछ। पहिलो आघातमा नै सम्पूर्ण शिश्न स्त्री योनीमा पसाउनुहुँदैन। बिस्तारै-बिस्तारै सम्पूर्ण शिश्न स्त्री योनीमा पसाउनुपर्छ। यसरी सम्पूर्ण शिश्न प्रविष्ट भइसकेपछि पुरुषले एक क्षण पर्खेर स्त्रीलाई प्रगाढ चुम्बन गर्नुपर्दछ। त्यसपछि कोमलतापूर्वक योनीमा भित्र-बाहिर हल्का धक्का दिइरहनुपर्दछ। बिस्तारै-बिस्तारै केही समयान्तरमा घर्षणमा तीव्रता ल्याउनुपर्दछ। जबसम्म कामानन्दको चरम स्थितिको प्राप्ति हुँदैन, तबसम्म घर्षण क्रिया जारी रहन्छ। कामानन्दको चरम बिन्दुमा पुग्दै पुरुषको लिङ्गबाट झट्काका साथै तीव्र बेगले एक किसिमको लस्सादार सेतो तरल पदार्थ स्त्रीको योनीमा स्खलित हुन्छ। पुरुषको लिङ्गबाट स्खलित हुने यस तरल पदार्थलाई बीर्य भनिन्छ। यसको स्खलनसँगै सम्भोग क्रिया पनि समाप्त हुन्छ।
    पुरुषको लिङ्गबाट वीर्य स्खलन भएमा यस कुराको प्रमाण हुन्छ कि त्यो सम्भोग क्रिया चरमसुखको स्थितिमा पुगिसक्यो। तर स्त्रीलाई चरमसुख प्राप्ति भयो कि भएन भन्ने प्रत्यक्ष पहिचान हुँदैन।
    यो मात्र स्त्रीको विभिन्न शारीरिक चेष्टाहरू प्रतिक्रियाहरूद्वारा जान्न सकिन्छ। साधारणतः चरमसुखको स्थिति प्राप्त भएमा स्त्री पुरुषलाई प्रगाढ आलिङ्गन गर्न थाल्छिन्, चुम्बन गर्छिन् तथा टाँसिन्छिन्। पुरुषको लिङ्गमा उनको योनी तिघ्राको दबाब A